फर्रुखनगर तहसील में अव्यवस्था का आलम - Punjab Kesari
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फर्रुखनगर तहसील में अव्यवस्था का आलम

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फर्रुखनगर: एक तरफ हरियाणा सरकार भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन बनाने के बड़े-बड़े दावे करती नही थक रही है। वहीं दूसरी ओर प्रशासनिक अधिकारी सरकार की किरकिरी बढ़ाने में ऐसे मशगूल है जैसे उन्हें सरकार के दावे व कानून की कोई परवाह ही नहीं है। बता दें कि फर्रुखनगर तहसील के अन्र्तगत दर्जनों अवैध और अनाधिकृत कालोनियों में कानून व नियमों को ताक पर धर सरेआम न सिर्फ अवैध निर्माण जोरों पर हैं। अपितु धड़ल्ले से हरे-भरे पेड़ों की कटाई, अवैध बोरिंग, बिजली के मीटर व तमाम कागजी कार्रवाई थोड़ा सा चढ़ावा चढ़ाने के बाद आसानी से हो जाए तो हैरानी की कोई बात नहीं है। तहसील की नाक तले अवैध कालोनी में जायज भी नाजायज बनाकर चांदी कूटी जाती है। यही नहीं तहसील के समीप पूरी लम्बी-चौड़ी कालोनी तेजी से बसाई जा रही है लेकिन प्रशासन का इस ओर ध्यान जाता ही नहीं है। कहने को जिला योजनाकार विभाग समय-समय पर तोड़-फोड़ भी करता है परन्तु उनके द्वारा की जाने वाली कार्रवाई महज खानापूर्ति है। लोगों की माने तो विभागकर्मी द्वारा की जाने वाली दिखावटी कार्रवाई रिश्वत लेने का एक संदेश देने का काम करती है। स्थानीय चमन देवी का कहना है कि पैसे देकर सब काम करा लिए जाते हैं।

फिर चाहें वो अवैध कालोनी में मकान के कागज बनवाने हों या रजिस्ट्री कराने का मामला हो। जुगल किशोर का कहना है कि सब कुछ पैसा देकर तहसील में बैठे वकील व दलाल मिनटों में करवा लेते हैं। बीरु सैनी ने कहा कि प्रशासन व कानून नाम की कोई चीज नहीं रही हर ओर भ्रष्टाचार का दानव बाहें फैलाए खड़ा नजर आता है। दलित रक्षा मंच के सदस्य महावीर जाटव की माने तो बिना पैसे काम कराना आज भी आसान बात नहीं है सरकार चाहें कितने भी बड़े दावे करती हो फर्रुखनगर में भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है। देवेन्द्र छीका कहते हैं कि तहसील में कोई भी काम हो इतने चक्कर कटवाए जाते हैं कि व्यक्ति न चाहते हुए भी रिश्वत देने को विवश कर दिया जाता है। धानावास के प्रवीन व टिंकू, वेदप्रकाश आदि का कहना है कि तहसील में पटवारी हो स्टाम्प वैंडर या आधार बनाने वाले या फिर एफिडेविट बनाने वाले कर्मचारी या अधिकारी सब के सब भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। हरे पेड़ काटे जाते हैं लेकिन कोई नहीं बोलता, रातों-रात अनाधिकृत जमीनों पर निर्माण से पहले ही मीटर पास कर दिए जाते हैं। अवैध कालोनियां सरेआम विकसित हो रही हैं जहां किसी प्रकार की मूलभूत सुविधाएं है ही नहीं। लेकिन किसी को कानून व नियमों की कतई परवाह नही है।

– हंसराज यादव

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