डेरा सच्चा सौदा की खामोशी ने बढ़ाई राजनीतिक दलों की धड़कन - Punjab Kesari
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डेरा सच्चा सौदा की खामोशी ने बढ़ाई राजनीतिक दलों की धड़कन

हरियाणा में अब तक हुए प्रत्येक चुनाव में सक्रिय भूमिका निभाने वाले डेरा सच्चा सौदा की लोकसभा चुनाव

चंडीगढ़ : हरियाणा में अब तक हुए प्रत्येक चुनाव में सक्रिय भूमिका निभाने वाले डेरा सच्चा सौदा की लोकसभा चुनाव से पहले की खामोशी ने राजनीतिक दलों की धडक़ने बढ़ा दी हैं। बदले हुए हालातों में डेरा प्रेमियों ने अपनी उपस्थिति का अहसास करवाने के लिए रविवार को हरियाणा के पांच जिलों में स्थापना दिवस समारोह के माध्यम से शक्ति प्रदर्शन किया। हालांकि यह कार्यक्रम पूरी तरह से सामाजिक थे लेकिन इनके कई राजनीतिक मायने हैं।

पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनाव में डेरा सच्चा सौदा ने खुलकर भारतीय जनता पार्टी की मदद की थी। भाजपा के कई बड़े नेताओं ने डेरा पहुंचकर माथा भी टेका था लेकिन साध्वी यौन शोषण तथा पत्रकार हत्याकांड में डेरा मुखी राम रहीम के जेल जाने के बाद डेरा सच्चा सौदा ने एक बार अपनी सक्रियता कम कर दी थी लेकिन पिछले कुछ माह से सरकार द्वारा नरम रूख अपनाए जाने के चलते डेरा सच्चा सौदा में फिर से सामाजिक कार्यक्रमों का आयोजन शुरू हो चुका है।

अब लोकसभा चुनाव के दौरान डेरा प्रेमियों ने फिर से लामबंद होना शुरू कर दिया है। हालांकि अभी तक हरियाणा के किसी भी राजनीतिक दल का मुखिया डेरा के मुख्यालय में नहीं गया है अलबत्ता कई विधायकों व सियासी नेताओं ने डेरे के नामचर्चा घरों में जाना शुरू कर दिया है।

दूसरी तरफ रविवार को डेरा सच्चा सौदा की तरफ से करनाल, कैथल, हिसार के बरवाला व गंगवा, कुरूक्षेत्र व अंबाला जिलों में डेरा का 71वां स्थापना दिवस समारोह आयोजित किया गया। भले ही डेरा प्रबंधक इन कार्यक्रमों को पूरी तरह से सामजिक कार्यक्रम बता रहे हैं लेकिन लोकसभा चुनाव से ठीक पहले हुए इस आयोजन में हजारों की संख्या में डेरा प्रेमियों ने भाग लेकर राजनीतिक दलों को एक संदेश देने का प्रयास किया है। यह आयोजित एक रणनीति के तहत किया गया है। यहीं डेरा प्रेमियों ने अगले एक माह तक विभिन्न शहरों में स्थापना दिवस समारोह आयोजित करने का ऐलान किया है।

हालांकि डेरा प्रेमी खुलकर किसी भी राजनीतिक दल का समर्थन करने से गुरेज कर रहे हैं लेकिन माना जा रहा है कि रविवार को हुए इन कार्यक्रमों के माध्यम से डेरा के प्रमुख जिम्मेदारों द्वारा इससे जुड़े अनुयायियों की नब्ज टटोलने का प्रयास किया गया है। ताकि बदले हुए हालातों में डेरे से जुड़ी संगत के मूढ के अनुसार चुनाव में कोई फैसला लिया जा सके।

(राजेश जैन)

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