कांग्रेस ईकाई में एक बार फिर नेतृत्व परिवर्तन की मांग - Punjab Kesari
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कांग्रेस ईकाई में एक बार फिर नेतृत्व परिवर्तन की मांग

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चंडीगढ़: कांग्रेस के नवनियुक्त राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी पर हरियाणा कांग्रेस में चल रही जंग को थामने का दबाव आ गया है। प्रदेश इकाई में एक बार फिर नेतृत्व परिर्वतन की मांग उठ गई है और इसके लिए पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा खेमा फिर से सक्रिय हो गया है।
हुड्डा के खास सिपहसालार माने जाने वाले विधायक जयतीर्थ दहिया ने सार्वजनिक तौर पर मौजूदा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डा. अशोक तंवर को हटाकर हुड्डा को कमान सौंपने के लिए दबाव बढ़ा दिया है। उन्होंने न केवल राहुल गांधी को इस सिलसिले में एक पत्र लिखा है बल्कि प्रदेश इकाई के मौजूदा हालातों की जानकारी देने के लिए राहुल गांधी से मिलने का टाइम तक मांग लिया है। अब यह देखना रोचक होगा कि राहुल इस पर क्या रुख अपनाएंगे लेकिन, इतना तय है कि आने वाले दिनों में प्रदेश इकाई में रार और तेज होने के हालात बन गए हैं।

लंबे अरसे से विधायक रहे हैं नेतृत्व परिवर्तन की मांग
हरियाणा की कांग्रेसी राजनीति पर नजर रखने वाले विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के रुख की संभावना शीर्ष पर नया नेतृत्व आने के साथ ही बन गई थी और अब ऐसा ही कुछ हो भी रहा है। पार्टी विधायक लंबे अर्से से तंवर के खिलाफ लामबंद हैं। पार्टी प्रभारी कमलनाथ से लेकर शीर्ष नेतृत्व तक यह मांग कई बार उठ चुकी है लेकिन,अबतक नेतृत्व सभी पक्षों को समझाबुझाने की रणनीति पर ज्यादा चलता दिखाई दे रहा है। अब यह देखना रोचक रहेगा कि ताजा-ताजा कमान संभाल रहे राहुल इस तरह की गुटबाजी से निपटने के लिए क्या रणनीति अपनाते हैं।

अपने बयान पर पार्टी एक्सन लेगी तो मैं हूं तैयार
दहिया ने खुलेआम प्रदेश नेतृत्व के खिलाफ बयानबाजी की वजह से पार्टी अनुशासन तोडऩे के मुद्दे पर कहा कि पार्टी जो एक्शन लेगी, उसके लिए तैयार हैं लेकिन, सच्चाई यही है कि बीजेपी को हराने में अगर कोई सक्षम है तो वे हुड्डा हैं। हुड्डा की बजाए किसी और को कमान के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि रणदीप सुरजेवाला के राष्ट्र स्तर पर कांग्रेस को मजबूत करने की जिम्मेदारी मिली हुई है जबकि अन्य सभी के बीच हुड्डा ही एकमात्र उपयुक्त व्यक्ति हैं। दहिया ने कहा कि प्रदेश के पार्टी विधायकों ने सोनिया गांधी के कार्यकाल में एक प्रस्ताव पारित कर नेतृत्व का फैसला उनपर छोड़ दिया था लेकिन, अब चूंकि नया नेतृत्व मिल चुका है तो वे केवल मांग उठा रहे हैं।

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(राजेश जैन)

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