सतलोक आश्रम संचालक संत रामपाल को आज कोर्ट ने बरी कर दिया है आपको बता दे कि दो केसों में कोर्ट ने ये फैसला सुनाया है । इस मामले की सुनवाई जज मुकेश कुमार कर रहे थे। रामपाल के खिलाफ सरकारी कार्य में बाधा पहुंचाने और आश्रम के अंदर महिलाओं को बंधक बनाकर रखने के आरोप थे। वैसे बाबा रामपाल इन दोनों मामलों में बरी होने के बाद भी जेल में ही रहेंगे।
वही रामपाल पर देशद्रोह , हत्या का केस चलता रहेगा। रामपाल हिसार सेंट्रल जेल नंबर-1 में मौजूद हैं । ये फैसला वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कार्यवाही की जा रही थी । इस फैसले के मद्देनजर हिसार में धारा 144 लागू कर दी गई है । बीते बुधवार को संत रामपाल के खिलाफ दर्ज FIR नंबर 201, 426, 427 और 443 के तहत पेशी हुई थी । कोर्ट ने FIR नंबर 426 और 427 का फैसला सुरक्षित रख लिया था ।
जानकारी के अनुसार रामपाल पर FIR नंबर 426 में सरकारी कार्य में बाधा डालने और 427 में आश्रम में जबरन लोगों को बंधक बनाने का केस दर्ज है ।
पहला केस : एफआइआर नंबर 426
धारा सजा का प्रावधान
323 एक साल तक कैद
353 तीन साल तक कैद
186 तीन साल तक कैद
426 तीन माह तक कैद
नोट : सजा के साथ जुर्माने का प्रावधान भी है।
दूसरा केस : एफआइआर नंबर 427
धारा सजा का प्रावधान
147 एक साल तक कैद
149 एक साल तक कैद
188 एक साल तक कैद
342 एक साल तक कैद
नोट : सजा के साथ जुर्माने का प्रावधान भी है।
इन दोनों मामलों में प्रीतम सिंह, राजेंद्र, रामफल, वीरेंद्र, पुरुषोत्तम, बलजीत, राजकपूर ढाका, राजकपूर और राजेंद्र को भी आरोपी बनाया गया है ।
बता दे कि हिसार के बरवाला में तीन साल पहले हुए विवाद के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। इससे पहले साल 2006 में भी रामपाल पर हत्या का केस दर्ज हुआ था। रामपाल स्वामी रामदेवानंद महाराज के शिष्य हैं। रामपाल का जन्म सोनीपत के धनाणा गांव में 1951 को हुआ था। पढ़ाई पूरी करने के बाद वे हरियाणा सरकार के सिंचाई विभाग में इंजीनियर बन गए। कुछ समय बाद सत्संग करने लगे।
इसे देखते हुए हरियाणा सरकार ने सन् 2000 में उन्हें इस्तीफा देने को कहा था। इसके बाद उन्होंने करोंथा गांव में सतलोक आश्रम बनाया। फिलहाल यह आश्रम सरकार के कब्जे में है। इस आश्रम की जमीन को लेकर रामपाल पर कई आरोप लगे हैं। कहा जाता है कि यहां गैर-कानूनी गतिविधियां होती हैं। जब पुलिस तलाशी लेने जाती है तो रामपाल के समर्थन हंगामा मचाते हैं।
उनके अंधभक्त कहते हैं, बाबा एक चमत्कारी आत्मा हैं जो धरती पर भगवान का स्वरूप है। कुछ अन्य कहते हैं, रामपाल तो पशुओं से भी बात कर सकते है। रामपाल अपनी टिप्पणियों के कारण भी विवाद में रहे। उन्होंने जाकिर नाइक और कई अन्य धर्म गुरुओं पर आपत्तिजनक बातें कहीं।
2006 में स्वामी दयानंद पर रामपाल ने एक बयान दिया। जिसके बाद रामपाल और आर्य समाज के समर्थकों के बीच सतलोक आश्रम के बाहर हिंसक झड़प हुई। इसमें एक महिला की मौत हो गई थी। झड़प के बाद पुलिस ने रामपाल को हत्या के मामले में हिरासत में लिया था। तब 22 महीने जेल में रहने के बाद वह 30 अप्रैल 2008 को रिहा हुए थे। इसके बाद कोर्ट में पेश नहीं हुए।
सितंबर 2014 में पंजाब तथा हरियाणा हाई कोर्ट में केस की सुनवाई हुई। वहां रामपाल पेश नहीं हुए। तब हाई कोर्ट ने गैरजमानती वारंट जारी किया। इससे गुस्साए रामपाल समर्थकों ने 5 नवंबर को अंबाला, पंचकूला और चंडीगढ़ में रेल तथा सड़क मार्ग पर उत्पात मचाना शुरू कर दिया। 9 नवंबर को रामपास को गिरफ्तार करने पुलिस आश्रम पहुंची तो समर्थकों ने रोकने की कोशिश की। पुलिस ने बातचीत के मामला शांत करने की कोशिश करते हुए रामपाल को सरेंडर करने को कहा। इस पर रामपाल के समर्थक बोले कि एक लाख भक्तों की लाशों से गुजरकर ही पुलिस यह काम कर पाएगी।
18 नवंबर को हिसार में सतलोक आश्रम पर भारी मात्रा में समर्थक जुटे। उनके पास हथियार और बंदूके थीं। अगले दिन यानी 19 नवंबर को पुलिस ने रामपाल को बलपूर्वक गिरफ्तार किया।
1999 में खुला पहला आश्रम
इसी बीच उनकी भक्त कमला देवी ने करौंथा गांव में आश्रम के लिए जमीन दान में दी। सन् 1999 में उन्होंने करौंथा में सतलोक आश्रम की स्थापना की। शुरुआत में पहली जून, 1999 से 7 जून, 1999 तक लगातार सप्ताह भर का सत्संग शुरू किया। देखते-देखते कुछ ही वर्षों में इस आश्रम ने भव्य रूप ले लिया और यह कई एकड़ में फैल गया।
इतना ही नहीं, हिसार जिला के बरवाला के अलावा अन्य राज्यों में भी उन्होंने अपने आश्रम बना डाले। शुरुआत के कुछ वर्षों में तो सब सामान्य चला किंतु धीरे-धीरे करौंथा व साथ लगते गांवों के लोगों खासकर आर्यसमाजियों ने रामपाल द्वारा किए जा रहे प्रचार पर आपत्ति जतानी शुरू कर दी।