करनाल: हरियाणा सरकार द्वारा करनाल में देश का पहला ऐसा प्रोजेक्ट बनाया गया है जो बिना जलाएं कचरे व अन्य वेस्ट से सीएनजी तैयार करने और सीएनजी से बिजली बनाने का कार्य करेगा। इस प्रोजेक्ट के लगने से पराली को जलाने की समस्या से निजात मिलने के साथ-साथ शैल्टर हाऊस, नगर निगम, बागवानी व गोबर इत्यादि वेस्ट का प्रबंधन हो सकेगा। नगर निगम करनाल द्वारा इस प्रोजेक्ट पर करीब एक करोड रुपये की राशि खर्च की गई है। यह प्रोजेक्ट आगामी 15 जनवरी से कार्य करने शुरू कर देगा। यह प्रोजेक्ट भारत देश का एक युनीक प्रोजेक्ट है, ऐसे प्रोजेक्ट प्रदेश के अन्य जिलों में भी लगाए जाएगें। यह जानकारी हरियाणा के मुख्य सचिव डीएस ढेसी ने शुक्रवार को स्थानीय लघु सचिवालय के सभागार में प्रोजेक्ट की समीक्षा करते हुए अधिकारियों को दी।
इस समीक्षा बैठक में उन्होंने प्रधानमंत्री आवास योजना और कृषि विभाग के माध्यम से किसानों के लिए खाद वितरण के लिए चलाई जा रही डीबीटी योजना तथा करनाल स्मार्ट सिटी की परियोजनाओं के बारे में सम्बन्धित अधिकारियों से जानकारी ली। उन्होंने अधिकारियों को चलाई जा रही योजनाओं को तत्परता से कार्यवाही करने के निर्देश दिए। इस बैठक में वेस्ट टू फ्यूल परियोजना के सीईओ अतुल सक्सेना ने बताया कि धान के हर सीजन में करीब 10 लाख टन पराली जलाई जाती है जोकि पर्यावरण के लिए बहुत बडा खतरा है। इस समस्या से निजात पाने के लिए हरियाणा सरकार द्वारा यह प्रोजेक्ट लगवाया गया है।
इस प्रोजेक्ट से चालू होने से 50 हजार टन सीएनजी तैयार होगी तथा 2 लाख टन बायो फर्टिलाईजर प्राप्त होगा। उन्होंने बताया कि करनाल जिला में इस प्रोजेक्ट के द्वारा एक हजार किलो गैस, दो हजार किलो बायो फर्टिलाईजर तथा 3 हजार युनिट बिजली प्रतिदिन तैयार होगी, जिसे नगर निगम शहर के विभिन्न क्षेत्रों में प्रयोग कर सकेगा। मुख्य सचिव ढेसी को बैठक में प्रधानमंत्री आवास योजना के बारे में जानकारी देते हुए नगरीय परियोजना अधिकारी प्रवीन कुमार ने बताया कि करनाल जिला में 17 हजार 98 लोगों ने मकान के लिए आवेदन किए थे, अब तक जिला के 10 हजार 425 लोगों के आवेदन पत्रों की जांच पडताल करने के उपरांत सही पाए गए है तथा शेष आवेदन पत्रों की जांच का कार्य जारी है और जिन आवेदकों के कागजात पूरे नही है, सर्वे कम्पनी द्वारा कागजात मांगे जा रहे है।
पात्रों को प्रधानमंत्री आवास योजना का जल्दी लाभ मिलेगा। इसी प्रकार कृषि विभाग के उप निदेशक डा. प्रदीप मिल से मुख्य सचिव ने किसानों के लिए खाद वितरण के लिए चलाई जा रही डीबीटी योजना की जानकारी ली। डा0 प्रदीप मिल ने बताया कि इस योजना का लाभ लेने के लिए किसान के लिए आधार कार्ड अनिवार्य किया गया है और पोस मशीन पर अंगुठा लगाने के उपरांत ही सम्बन्धित को खाद दिया जाता है और सबसिडी उसके खाते में भेजी जाती है। इसकी सूचना भारत सरकार के मंत्रालय पर भी तुरन्त पहुंच जाती है और इस योजना के लागू होने से खाद की बिक्री पहले की तरह ही होती है। उन्होंने बताया कि रबी के फसल के लिए 90 हजार मीट्रिक टन युरिया की खपत है जिसमें मार्च से दिसम्बर तक 76 हजार मीट्रिक टन खपत हो चुकी है, जिला में किसानों के लिए पर्याप्त मात्रा में खाद उपलब्ध है।
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– हरीश चावला