भाजपा सांसद व एक मंत्री ने रची थी साजिश - Punjab Kesari
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भाजपा सांसद व एक मंत्री ने रची थी साजिश

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रोहतक: अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष यशपाल मलिक ने कहा कि 18 फरवरी को होने वाले बलिदान दिवस पर हरियाणा सरकार के खिलाफ बडे आंदोलन की घोषणा की जाएगी। साथ ही उन्होंने सरकार पर वायदा खिलाफी का भी आरोप लगाया और स्वीकृत समझौते को लागू करने की मांग की। यशपाल मलिक ने कहा कि रोहतक से जाट आरक्षण हिंसा की पटकथा लिखी गई थी और इसके पीछे भाजपा के ही एक सांसद व एक मंत्री का हाथ रहा है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में हुई हिंसा निदंनीय है और जाट समाज दलित समुदाय के साथ खड़ा है।

इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि संसद का सत्र खत्म होने के बाद केन्द्रीय नेतृत्व से भी बातचीत की जाएगी। हरियाणा सरकार द्वारा पिछडा वर्ग आयोग को जो आंकडे पेश किए गए है, समिति ने उन पर भी सवाल उठाएं। बुधवार को समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष यशपाल मलिक रोहतक पहुंचे और समिति सदस्यों की बैठक के बाद पत्रकारों से रूबरू हुए। मलिक ने कहा कि पुणे के भीमा गोरे गांव में दलित पिछडी जातियों पर जो हिंसा हुई है, वह निंदनीय है। उन्होंने कहा कि जाट समाज हमेशा से सामंतवादी ताकतों के खिलाफ सभी पिछडी जातियों को एकजुट कर संघर्ष कर रहा है। हरियाणा में भी वर्ष 2016 में हुए जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान साजिश कर हरियाणा के भाईचारा तोडने का प्रयास किया गया था, जिसमें हरियाणा की पिछडी जातियों को आपसी संघर्ष में झोकने का प्रयास था। उतर भारत में जाट बाहुल्य राज्यों में भी राजनीति लोग आपस में लडवा कर अपना राजनीतिक फायदा साधने में लगे हुए। आज पिछडे व दलितों को सावधान रहने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि सरकार ने जो समझौता किया था, आज तक उसे भी लागू नहीं किया गया, जिसको लेकर बलिदान दिवस पर आगामी आंदोलन की घोषणा की जाएगी और इस आंदोलन में 36 बिरादरी के लोग शामिल होगे। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि हरियाणा के साथ साथ केन्द्र में भी आरक्षण की लडाई है और इसके लिए केन्द्रीय नेतृत्व से भी मुलाकात की जाएगी। इसके अलावा उन्होंने वर्ष 2016 में हुई हिंसा को लेकर भी सरकार पर निशाना साधा और कहा कि इसके पीछे भाजपा का एक सांसद और मंत्री शामिल है। यशपाल मलिक ने कहा कि जैसे हालात है, उससे साफ है कि हरियाणा सरकार के खिलाफ एक बडे आंदोलन की जरूरत है, जिसको लेकर समिति विचार विमर्श में लगी हुई है कि आंदोलन की रूपरेखा क्या होगी। इस अवसर पर अशोक बल्हारा भी उनके साथ मौजूद रहे।

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(मनमोहन कथूरिया)

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