भागवत कथा सुनने वाला सच्चा श्रोता वह जिसे भागवत कथा की भूख हो : देवकीनंदन ठाकुर - Punjab Kesari
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भागवत कथा सुनने वाला सच्चा श्रोता वह जिसे भागवत कथा की भूख हो : देवकीनंदन ठाकुर

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करनाल : विश्व शांति सेवा चेरिटेबल ट्रस्ट के तत्वाधान में हुड्डा ग्राउंड में श्रीमद् भागवत कथा आयोजन किया। कथा में अपनी गरिमामयी उपस्थिति वरिष्ठ नागरिक केसरी कलब की चेयरपर्सन एवं करनाल के सांसद अश्विनी चोपड़ा की धर्मपत्नी श्रीमती किरण शर्मा चोपड़ा ने दर्ज करवाई। श्रीमती किरण शर्मा चोपड़ा ने फूल मालाओ से कथावाचक श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज का अभिनन्दन किया। कथावाचक श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज ने श्रीमती किरण शर्मा चोपड़ा को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। ठाकुर जी महाराज ने भाजपा जिला प्रधान जगमोहन आनंद को भी समृति चिन्ह भेट कर सम्मानित किया । कथा के अंतिम दिन भी हजारों की संख्या में भक्तों व श्रीमती किरण शर्मा चोपड़ा ने महाराज जी के श्रीमुख से कथा का श्रवण किया। इससे पूर्व विश्व शांति सेवा चेरिटेबल ट्रस्ट के सदस्यों द्वारा फूल मालाओ से श्रीमती किरण शर्मा चोपड़ा का जोरदार स्वागत किया गया।

भागवत कथा की शुरुआत भागवत आरती और विश्व शांति के लिए प्रार्थान के साथ की गई। कार्यक्रम में श्रीमती किरण शर्मा चोपड़ा ने सेवा धर्म को जीवन का सबसे बड़ा लक्ष्य बताया और कहा कि वर्तमान समय में युवा तथा बाल पीढ़ी को सुसंस्कारित करना वक्त की मांग है। यदि संतान सुसंस्कारी है तो परिवार का भविष्य सुरक्षित है और बुुजुर्गों का जीवन आनन्दमय है। उन्होंने माता-पिता का आदर करने, दूसरों का भला करने की प्रेरणा जनसमूह को दी। देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज ने कथा की शुरुआत करते हुए कहा की गलत बातें नही बोलनी चाहिए, दूसरों के बारे में बुरी बातें बोल कर कटाक्ष करना सही नहीं है। अगर बोलना ही है तो धर्म के नाम पर बोलो, देश को आगे बढ़ाने के विषय में बोलो, अगर पूरी जिंदगी दूसरों के बारे में कटाक्ष कर के बिता देनी है तो ऐसी जिंदगी जीने से बढिय़ा तो कुछ ओर करो, आपसे आग्रह है की सतमार्ग पर चलिए। महाराज जी ने कहा की इस संसार में हम लोगों को गोविंद की कृपा से मानव जीवन मिला और इसकी एक एक सांस अनमोल है।

हमारी सांस की कितनी कीमत है इस बात का पता इससे चलता है की एक भी सांस हमारे मां बाप हमें नही दे सकते, ना खरीदी जा सकती है, क्या संसार में कोई दुकान है जहां सांस मिलती है ? पूरा जीवन हम कमाई करने में लगा देते हैं लेकिन ये कमाई हमें सांस नहीं दे सकती। उन्होंने कहा की पूरे जीवन की अशांति हम पैसा कमाने में लगा देते हैं और पैसा लेकर बुढ़ापे में घुमते हैं की शांति मिल जाए लेकिन शांति नहीं मिलती। पूरा जीवन खो दिया पैसा कमाने के लिए अब बुढ़ापा खो रहे हैं शांति के लिए । उन्होंने कहा की जीवन बड़ा अनमोल है और इस अनमोल जीवन में श्रीमद् भागवत कथा सुनने को मिल जाए और उसमें हमारा मन लग जाए तो बहुत बड़ी बात है। देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज ने कहा की सही कथा सुनने वाला श्रोता वो होता है जिसे भुख प्यास नहीं लगती। वो घर की सुध भूल जाता है, वो रोता है बिलखता है की मुझे भागवत कथा सुनने को मिल जाए। उन्होंने कहा की कहा की मृत्यु को कोई नहीं टाल सकता, मृत्यु तीन चीजों से आती है एक समय, एक कारण, एक जगह।

मृत्यु का समय तय है, कारण तय है और जगह तय है जब ये तीनों मिलती हैं तो मृत्यु हो जाती है। इसका अभिप्राय ये है की मृत्यु को हम टालना चाहे तो टाल नहीं सकते जिसका जन्म हुआ है उसकी मृत्यु जरुर होगी, मृत्यु से डरने की जरुरत नहीं है। मृत्यु बुरी ना हो ऐसा कर्म हम कर सकते हैं और मृत्यु को सुंदर बनाने के लिए भगवत नाम का स्मरण किजिए। मृत्यु को जीतना चाहते हो तो कर्मों से जीतो, कर्म अच्छे करो मृत्यु अच्छी होगी। देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज ने कथा का वृतांत सुनाते हुए कहा कि पुराणों की कथा के अनुसार भगवान श्री कृष्ण ने कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी तिथि को नरकासुर नाम के असुर का वध किया। नरकासुर ने 16 हज़ार 100 कन्याओं को बंदी बना रखा था। नरकासुर का वध करके श्री कृष्ण ने कन्याओं को बंधन मुक्त करवाया। इन कन्याओं ने श्री कृष्ण से कहा की समाज उन्हें स्वीकार नहीं करेगा अत: आप ही कोई उपाय करें।

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– आशुतोष गौतम

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