आरोपी होने के बाद कैसे मिल गया शुगर मिल में डेपुटेशन - Punjab Kesari
Girl in a jacket

आरोपी होने के बाद कैसे मिल गया शुगर मिल में डेपुटेशन

NULL

करनाल : आखिरकार मनोहर सरकार सोनीपत में सहकारी चीनी मिल के सेल्स एवं परचेज अधिकारी पर क्यों मेहरबान है? आखिरकार सरकार कैसे उन्हें इतना योग्य अधिकारी मानती है कि उन्हें करनाल में सहकारी चीनी मिल में डेपुटेशन पर भेजने की तैयारी कर ली थी। किन्तु अधिकारी के खिलाफ जांच अधर में थी। इसलिए बीच का रास्ता देखते हुए अधिकारी को सहकारी चीनी मिल करनाल में तीन दिन कार्य करने के लिए व तीन दिन सोनीपत चीनी मिल का कार्यभार सौंप दिया। क्या सरकार सेल्स एवं परचेज अधिकारी को इतना योग्य और समर्थ अधिकारी मानती है कि वह दोनो सहकारी चीनी मिलो को कार्यभार संभालेंगे। जहां एक में तो 225 करोड़ रुपए की लागत से नया प्लांट लगना है और दूसरी मिल का करोड़ों रुपए की लागत से नवीनीकरण होना है।

दोनो ही चीनी मिलो को ऐसे अधिकारी की जरूरत है। जो अपनी सामर्थ से ज्यादा काम कर सके और ईमानदारी से जनता का पैसा लगाकर चीनी मिलो को किसानों की लाइफ लाईन बना सके क्योंकि इन दोनों सहकारी चीनी मिलों पर लाखों किसानों का भविष्य निर्भर करता है लेकिन सरकार में बैठे लोग किसानों का भविष्य बनाने की बजाए अपना भविष्य बना रहे हैं। यही कारण है कि सेल्स एवं परचेज जैसे अधिकारी में उन्हें कोई कमी नजर नहीं आ रही है। वह दोनों ही मिलों में इस अधिकारी को तैनात कर सरकार को नुक्सान पहुंचाने की तैयारी में है। सेल्स एवं परचेज अधिकारी पर विवादों का दौर भूना शुगर मिल से शुरू होता है और यह सोनीपत सहकारी मिल में भी साथ-साथ चलता रहा। यहां 478 कट्टे अधिक पाए गए।

जिसमें मुख्य तौर पर आरोप सेल्स एवं परचेज अधिकारी पर लगे। इस मामले की जांच राष्ट्रीय गन्ना अनुसंद्यान संस्थान के अधिकारी एन.एस.दहिया ने की। जिसमें गंभीर आरोप लगाए गए लेकिन अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर जांच को अलग-अलग भटकाते हुए इसमें से निकलने में कामयाब होने की कोशिश की। लेकिन इस मामले की जांच विजिलैंस द्वारा अभी भी की जा रही है। जिसकी जांच सोनीपत विजिलैंस के अधिकारी द्वारा की जा रही है। इसकी जांच की तारीख अप्रैल में लगी है। जहां सभी पक्षों को सुना जाना है। इस मामले के अलावा कई मामले सोनीपत में सामने आए है। जिसमें सेल्स एवं परचेज अधिकारी ने अपनी होशियारी दिखाने की कोशिश की। दस्तावेज को देखकर यह पता चलता है कि वह कितना होशियार है। सोनीपत चीनी मिल में शीट सप्लाई का ठेका देने में भी अनियमितताएं बरती गई।

आमतौर पर बोली के लिए तीन से ज्यादा कम्पनियों को बुलाया जाता है और उनमें से योग्य कम्पनी को ठेका दिया जाता है लेकिन सेल्स एवं परचेज अधिकारी ने अपनी होशियारी दिखाते हुए दिल्ली की एक कम्पनी शंशाक क्रिएशन को ठेका दे दिया। इसमें अकेली ही इसी कम्पनी को बुलाया गया। परचेज आर्डर पर साफ तौर पर लिखा है कि मिल का तकनीकी अधिकारी जब शीट की गुणवत्ता को चैक कर अपनी रिपोर्ट देगा, तभी शीट सप्लाई होगी और इनको आईएसआई मार्का के साथ-साथ जिन्दल टाटा और सेल कम्पनी का होना जरूरी है लेकिन इस कम्पनी ने बिना गुणवत्ता की जांच करवाएं ही शीट सप्लाई कर दी। यह शीट बाजार में 700 रुपए की उपलब्ध थी लेकिन 1130 रुपए की एक शीट आर्डर में दर्शा दी गई। कम्पनी ने प्लेन शीट सप्लाई कर दी। इसका विरोध सिविल इंजीनियर ने किया। इसके बाद उसने कहा कि इस कम्पनी को ब्लैक लिस्टिेड किया जाएं और माल को रिजैक्ट किया जाएं लेकिन सेल्स एवं परचेज अधिकारी ने फिर एक कमेटी बनाने की बात कर दी।

उधर इंजीनियर के खिलाफ भी एक शिकायत हो गई। जब मामला ज्यादा बढ़ा तो सेल्स एवं परचेज अधिकारी को अपने कदम वापिस लेने पड़े और शीट सोनीपत के बाजार से 700 रुपए प्रति शीट के हिसाब से खरीदी थी। यह सब इतनी गोपनियता से हुआ कि किसी को ज्यादा भनक तक नहीं लगी। बहरहाल चीनी मिल में सेल्स एवं परचेज अधिकारी की तैनाती चर्चा का विषय बनी हुई है। क्या शुगर मिल के चैयरमैन इसे खुद यहां लाए है? अगर लाए है तो सोच लीजिए कि चीनी मिल में अब बडे भ्रष्टाचार का आगाज शुरू हो गया है। अब मनोहर सरकार खुद सोच ले कि हाल ही में वह खुद नई चीनी मिल का उद्घाटन करके गए है। जिस पर करोडों रूपये खर्च होने है। अभी से चीनी मिल में घुन लगने शुरू हो गए है। बाकी का आगाज क्या होगा। इसका अंदाजा जनता और किसान खुद लगा लें।

24X7  नई खबरों से अवगत रहने के लिए यहाँ क्लिक करें।

– हरीश चावला

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

twenty + 4 =

Girl in a jacket
पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।