यूथ की काउंसलिंग बहुत जरूरी है - Punjab Kesari
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यूथ की काउंसलिंग बहुत जरूरी है

यह सच है कि पूरी दुनिया में इस समय युवा वर्ग भारत में सबसे ज्यादा है। भारत में

यह सच है कि पूरी दुनिया में इस समय युवा वर्ग भारत में सबसे ज्यादा है। भारत में यूथ की आबादी लगभग चालीस प्रतिशत है और निश्चित रूप से देश को दिशा देने में यूथ एक बड़ी भूमिका निभा सकता है। हर चीज सीखने और हर नई चीज को एडाप्ट करने में यूथ सबसे तेज सीखकर पहले स्थान पर रहता है। जिस तरह से आज के टैक्नालॉजी और कंप्यूटर के युग में नई-नई चीजें आ रही हैं, उसे आत्मसात करने में यूथ सबको पछाड़ता जा रहा है। लेकिन उसके बावजूद ऐसे लगता है कि यूथ को सही काउंसलिंग देने का सही समय आ गया है। मोबाइल एक ऐसी चीज है जो बहुत उपयोगी है और अधिकतर के काम इसी मोबाइल पर किये जा सकते हैं। मैसेज भेजने से लेकर एक-दूसरे से रिश्ते नाते और भावनाएं समझने और समझाने के लिए व्हाट्सऐप का प्रयोग मोबाइल पर किया जा सकता है। ये सब इस मोबाइल की उपयोगी खूबियां हैं लेकिन अगर यूथ इसी मोबाइल के दम पर कुछ भी चीज लिखते हुए अपने ग्रुप के माध्यम से कुछ ऐसी गतिविधियों को अंजाम दें जो राष्ट्रहित में नहीं है तो इसे क्या कहेंगे। दुर्भाग्य से देश में ऐसा काफी कुछ हो रहा है।
इसीलिए मैं इस चीज पर फोकस हूं, यूथ की काउंसलिंग होनी चाहिए। यूथ की काउंसलिंग का मतलब सीधा सा है कि उन्हें भटकने से रोका जाये। कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक भारत में विकास या अन्य योजनाएं जब लागू होती हैं तो इस पर अपनी असहमति को आगे बढ़ाने के लिए यूथ का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए। कश्मीर घाटी या छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उड़ीसा में जितने भी आतंकी और नक्सली संगठन हैं, उनके बारे में सोशल मीडिया पर यही सामने आया है, लोगों ने यही कहा है कि यूथ को भड़काने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। यह बंद होना चाहिए। 18 से 30 वर्ष तक के लोगों को आतंकी या जेहाद के नाम पर या एक अलग मकसद के लिए चाहे नक्सली संगठन ट्रेनिंग दें या आतंकवादी संगठन अपने से जोड़ें और उनका इस्तेमाल करें यह बर्दाश्त नहीं होगा और इसी दिशा में कुछ न कुछ किया जाना चाहिए। मेरा कहने का मतलब यूथ को देश और देशभक्ति के बारे में बचपन से ही किताबों के अलावा अलग से ट्रेनिंग दी जानी चाहिए जो देश की उन्नति के बारे में और भारतीयता के बारे में उन्हें अवगत करायें।
शिक्षा के अभाव में यूथ भटक सकते हैं और वे गन उठा सकते हैं। ऐसे ही कितने आॅइकान के रूप में लोगों को फिल्मों में बहुत कुछ दिखाया जाता है। यूथ फिल्मों में ऐसे ही भड़काऊ और अजीब सी ड्रेस पहनने वाले चरित्रों को देखकर बंदूक के दम पर वैसा बनने की कोशिश करते हैं। सिनेमा, कार्टूून या वीडियो या फिर सोशल मीडिया में दिखाई जाने वाली कहानियां काल्पनिक होती हैं लेकिन यूथ सबसे ज्यादा वहीं आकर्षित होता है। वैसी ही फोटो खींचकर इसे वायरल करवाता है और उन ताकतों के हाथों में खेलने लगता है जो देश के खिलाफ जाती हैं। कितने ही आंदोलनों में यूथ द्वारा बनाये गए ग्रुप्स और उनकी भूमिका रिकॉर्ड के तौर पर सामने आ चुकी है। इसीलिए यूथ को काउंसलिंग की बात हो रही है। यह सच है कि जीवन बहुत छोटा है। जीवन में तरह-तरह के तनाव आते रहते हैं। हानि-लाभ और अन्य तनाव के साथ-साथ उतार-चढ़ाव आते रहते हैं और कई बार तो कुछ यूथ डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं। अपने मित्र से बिगड़ गई और बदला लेने के लिए या उसे चिड़ाने के लिए सोशल मीडिया पर बहुत कुछ वायरल कर दिया जाता है। इसे रोकना होगा।
बड़ी चिंता तो यह है कि यूथ चाहे वह किसी भी मजहब से, किसी भी धर्म से क्यों न जुड़ा हो उसे अगर कोई प्रलोभन किसी काम के लिए देता है तो वह इसका शिकार हो सकता है। सरकार तक जब ऐसी जानकारियां पहुंचती हैं तो छापेमारी और अन्य काम करने के साथ-साथ गिरफ्तारियां भी होती हैं लेकिन जब इस काम में यूथ के इस्तेमाल की बातें सामने आती हैं तो बहुत दु:ख होता है। कितने ही अपराधों में जुबेनाइल अर्थात किशोर शामिल रहे हैं, इसीलिए मेरा मानना है कि यूथ की काउंसलिंग जरूर होनी चाहिए और अगर यह राष्ट्रीय स्तर पर किसी भी माध्यम से की जाये तो इसकी प्रशंसा करनी होगी। यूथ को भटकने से रोकना है तो उनकी काउंसलिंग एक अच्छे स्टूडेंट्स की तरह होनी बहुत जरूरी है। यही समय की मांग है।

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