औरत ने जन्म दिया मर्दों को, मर्दों ने उसे बाजार दिया... - Punjab Kesari
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औरत ने जन्म दिया मर्दों को, मर्दों ने उसे बाजार दिया…

यह एक बहुत ही पुरानी फिल्म का गीत है। शायद मैं उस समय पैदा भी नहीं हुई थी

यह एक बहुत ही पुरानी फिल्म का गीत है। शायद मैं उस समय पैदा भी नहीं हुई  थी परन्तु आज मणिपुर की शर्मनाक हृदय विदारक दिल दहला देने वाली घटना से सारा देश शर्मसार है, इंसानियत शर्मसार है। यह गीत नया लगना शुरू हो गया है। मैं समझती हूं हमारे गीतकार पुराने समय से इस आवाज को उठाते आ रहे हैं, क्योंकि औरत को सदियों से बाजार दिया। कभी दीवारों में चुनवाई गई, कभी बाजारों में बिकी, कभी नंगी नचाई गई, कहीं सामूहिक बलात्कार। कभी पश्चिमी बंगाल में अत्याचार, कभी बिहार, कभी राजस्थान कभी छोटी 5, 8 साल की लड़कियों  से बलात्कार। इतना खून खौल रहा है कि दिल कर रहा जितने भी दुनिया के गंदे शब्द हैं उन लड़कों और पुरुषों के लिए इस्तेमाल करूं जिन्होंने इस अमानवीय घटना काे अंजाम दिया। मेरा बस चले तो एक-एक व्यक्ति को जो इसमें शामिल है उसे चौराहे पर खड़ा करके फांसी दे दूं। उस भीड़ में कोई भी माई का लाल नहीं था जिसने इसे रोकने की कोशिश की हो। मणिपुर की महिलाएं दो समुदायों के झगड़े, आपसी नफरत का शिकार हो रही हैं। हैवानियत और हवस का शिकार हो रही हैं।
बस अब और नहीं, मणिपुर की समस्या का समाधान होना चाहिए और इस देश की हर महिला चाहे वो किसी भी जाति, धर्म या आदिवासी हो या किसी राज्य पश्चिमी बंगाल, बिहार, राजस्थान की हो उसका मान-सम्मान होना चाहिए आैर जिस देश की राष्ट्रपति एक सशक्त आदिवासी महिला हो उस देश की किसी भी बेटी के साथ अन्याय बर्दाश्त नहीं हो सकता। जिस देश का प्रधानमंत्री सारी दुनिया का चहेता हो, जिसने महिलाओं को हर क्षेत्र में आगे बढ़ाया हो और बढ़ा रहे हैं उस देश की बेटी के साथ अन्याय नहीं हो सकता। अगर हुआ है तो प्रधानमंत्री उन्हें बख्शेंगे नहीं।
इस जघन्य अपराध के लिए ऐसे लोगों को फांसी मिलनी चाहिए जिस देश की न्यायपालिका इतनी शक्तिशाली हो। न्यायपालिका ने हमेशा लोकतंत्र के आधार ‘लोक’ अर्थात लोगों के मान-सम्मान की रक्षा की है, जिस न्यायपालिका के न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी.वाई. चन्द्रचूड़ ने जिस तरह पूरे देश के लोगों काे चेताया है कि मणिपुर जैसी घटनाएं किसी रूप से स्वीकार्य नहीं हो सकती। जिस देश के प्रधानमंत्री ने कहा हो कि अपराधियों को बक्शा नहीं जाएगा तो ऐसे अपराधियों को सरेआम सजा ​मिलनी चाहिए ताकि कोई भी भविष्य में ऐसी हरकत के बारे में न सोचे। अगर कोई ऐसा सोचे तो उसकी सजा के डर से रूह कांप जाए।
हर किसी के घर में मां, बेटी, बहन, पत्नी के रूप में महिला विराजमान है। उन्हीं से घर चलता है, समाज बनता है और देश आगे बढ़ता है। एक महिला एक ईंटों के मकान को घर बना देती है। सारे रिश्तों को संजो कर रखती है, उस महिला से ऐसा अत्याचार कदापि सहन नहीं हो सकता।
आज महिला सक्षम है हर क्षेत्र में। पुरुषों को चुनौती दे रही है या कंधे से कंधा मिलाकर चल रही है परन्तुु ईश्वर ने शारीरिक रूप से महिला को ऐसा बनाया है कि जब ऐसे दरिन्दे सामने आ जाए तो शिकार हो जाती हैं। इसका भी कोई न कोई हल ढूंढना पड़ेगा कि किस तरह एक महिला अपनी अस्मिता बचा सके। इसके लिए पहले तो पुरुषों की गंदी सोच, मानसिकता बदलनी होगी और महिलाओं और लड़कियों को इस समय देवी से हटकर चंडी का रूप धारण करना होगा। जिस तरह मणिपुर की महिलाओं ने अपने साथ हुए अत्याचार को जगजाहिर किया है, उसी तरह किसी भी महिला या युवती को जिसके साथ कोई भी अत्याचार हो उसे आवाज उठानी चाहिए। कभी भी शर्म या डर महसूस नहीं होना चाहिए। एक आवाज से हजारों आवाजें, फिर लाखों-करोड़ों की आवाज ऐसे पुरुषों को समाप्त करके ही छोड़ेंगी। मुझे लिखते-लिखते इतना गुस्सा आ रहा है कि दिल कर रहा है मैं वहां जाऊं और ऐसे पुरुषों की जिन्होंने यह कांड किया है उनकी मां, बहन,  बेटियों को बिठाकर उनके सामने ऐसे बेटे, भाइयों को जलील करूं कि वो मौत मांगें और उनको मौत न मिले, वो जीने लायक ही न रहें।
आज देश की हर बेटी, बहन, मां उन महिलाओं के साथ हैं। मुझे पूरा विश्वास है जिन्होंने यह अपराध किया है उनकी मां, बहन, बेटी, पत्नी ने भी उन्हें काेसा होगा। इस विषय पर कोई सियासत नहीं होनी चाहिए। सबसे ऊपर उठकर इस पर एक ही आवाज उठनी चाहिए कि नारी का सम्मान हो। चाहे वो पश्चिम बंगाल की, राजस्थान, बिहार या मणिपुर की हो। जैसे कि प्रधानमंत्री जी ने कहा है कोई भी गुनाहगार बख्शा नहीं जाएगा। यह लोग बख्शे नहीं जाने चाहिए। मुझे और सारे देश को अपने सशक्त प्रधानमंत्री पर विश्वास है।

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