कब रुकेगा लड़कियों से अन्याय होना... - Punjab Kesari
Girl in a jacket

कब रुकेगा लड़कियों से अन्याय होना…

पिछले दिनों से कई घटनाएं सामने आईं जिससे रूह कांप गई। चाहे वो साक्षी की निर्मम हत्या, श्रद्धा

पिछले दिनों से कई घटनाएं सामने आईं जिससे रूह कांप गई। चाहे वो साक्षी की निर्मम हत्या, श्रद्धा कांड हमें समझ नहीं आ रहा कि आज का युवा​ किस ओर जा रहा है। न संस्कार, न सहनशक्ति। प्यार करना कोई गुनाह नहीं परन्तु इस कच्ची उम्र में लड़कियों काे समझ नहीं होती वह गलत युवाओं के हाथों फंस जाती हैं। जैसे श्रद्धा कांड, साक्षी कांड तो दिल को कंपाने वाले हैं, 16 साल की लड़की जो 20 साल के लड़के के साथ दोस्ती करती है और फिर जब वह लड़की दोस्ती से पीछे हट जाती है तो लड़के को गवारा नहीं हुआ और उसने उसकी निर्मम हत्या कर दी। किसी ने कहा कि लड़के को बीमारी है, किसी ने लव ट्रेंगल स्टोरी बताया। असल में बात क्या है यह ताे समय के साथ ही सामने आएगी परन्तुु लड़की को जिस बेरहमी से मारा गया वो एक हैवानियत की मिसाल है। सबसे ज्यादा दुख इस बात का है कि लोग देखते रहे, उस लड़की को किसी ने बचाने की कोशिश भी नहीं की। उल्टा वीडियो बनाते रहे, हां यह है ठीक कि वो वीडियो पुलिस के जरूर काम आई हैं।
मेरा यह सब घटनाएं देखकर यही मानना है कि कसूरवारों को जल्दी से जल्दी सजा मिलनी चाहिए ताकि लोगों में डर पैदा हो परन्तु हमारा सिस्टम ऐसा है कि तारिख पर तारिख पड़ेगी, कानूनी प्रक्रिया सालों साल चलेगी जिससे गुनाह करने वालों का डर कम हो जाता है। ऐसे लोगों के ​लिए तुरन्त कोई कानून बनना चाहिए, जिन्हें एक-दो महीने के अन्दर सजा ​मिले।
यही नहीं बहुत महीनों से पहलवान लड़कियां प्रदर्शन कर रही हैं। जिसकी एफआईआर दर्ज हो चुकी है। जिसमें लड़कियों ने यौन शोषण के आरोप लगाए हैं। अभी भी वो व्यक्ति यानी अध्यक्ष आरोपों से इंकार कर रहा परन्तु पुलिस अपना काम कर रही है। मुझे पूरी उम्मीद है अगर आरोप साबित हुए तो पुलिस जरूर सजा देगी। पार्टी ने भी उस व्यक्ति पर शिकंजा कसा हुआ है। अगर एफआईआर में लगे इल्जाम साबित हो जाते हैं तो कोई सजा से बच नहीं सकता क्योंकि कानून सब की रक्षा के ​िलए बने हैं।
बात जो सबसे बड़ी चिंता की है कि अगर मामले लव जिहाद के हैं, जैसा कि साक्षी और श्रद्धा, मानवी, पूजा के साथ हुआ। अगर यह घटनाएं आगे बढ़ती रहीं तो इनको रोकने के लिए हमें कदम उठाने पड़ेंगे जिससे हमारी आने वाली पीढ़ियां इससे बचें। हमें अपने बच्चों को अच्छे संस्कार देने होंगे। कोई भी धर्म बुरा नहीं परन्तु किसी का जबरन धर्म परिवर्तन करवाना बहुत बड़ा जुर्म है। सवाल सामाजिक और पारिवारिक मूल्यों का भी है। दरअसल बच्चों में सामाजिक और पारिवारिक संस्कारों को एक हद तक जगाना चाहिए। अपने धर्म के बारे में भी ज्ञान देना चाहिए। सब धर्मों की इज्जत और सम्मान करो परन्तु अपने धर्म को पहचानो ताकि जीवन में भ्रमित न हों और जीवन में सही रास्ते पर चलें।
मेरा यह मानना है कि भौतिक सुखों की तलाश में जिस तरह से हमारा यूथ भाग रहा है वह सुख की परिभाषा को नहीं समझता लेकिन आज के कम्प्यूटर युग में मोबाइल से मिली जानकारी (चाहे वह सच्ची या झूठी है) को भावनाओं से जोड़कर एक अजीबो किस्म की धारा ​जिसे वह प्यार समझता है उसमें बह जाता है। यही प्यार उम्र की कोई सीमा नहीं देखता और सारी हदें तोड़ देता है। छोटी उम्र में प्यार उसका अहसास और तरह-तरह के अश्लील चित्रों से मोबाइल पर इसकी उपलब्धता सही मायनों में यूथ के जीवन में जहर घोल रही है और उस जहर का शिकार मासूम लड़कियां बन रही हैं।
सब बातों को अलग रखकर उन मासूम बच्चियों के मां-बाप के बारे में सोचें तो दिल कांप जाता है, किन हालातों में किस तरीके से अपनी बच्चियों को खो रहे, उनके दर्द को महसूस कर यही बात सामने आती है कि कब रुकेगा लड़कियों के साथ अन्याय होना।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

10 + eleven =

Girl in a jacket
पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।