धार्मिक संस्थाओं की नुमाईंदगी करने वाले लोगों को सबसे पहले अपने किरदार को ऐसा बनाना चाहिए जिससे कोई चाहकर भी उन पर उंगली ना उठा सके जो शायद ही आज के समय में देखने को मिलता है। धार्मिक नेताओं को तो छोड़ो आज हालात ऐसे बन चुके हैं जिन्हें लोग अपना धर्म गुरु मानते हैं उनके दिखाए मार्ग पर चलते हैं उनके किरदार में भी निरन्तर गिरावट ही देखी जा सकती है जो कि शायद देश और कौम के लिए बेहद चिन्ता का विषय है। हाल ही में शिरोमणी गुरुद्वारा प्रबन्धक कमेटी के अध्यक्ष पर भी इसी तरह का आरोप लगा जब उन्होंने एक पत्रकार से बातचीत के दौरान अपनी शब्दावली में एक महिला ही नहीं बल्कि उसी संस्था की पूर्व अध्यक्ष पर अभ्रद्र शब्दों का प्रयोग कर दिया। इसके चलते उनकी मुश्किलें उस समय बढ़ गई जब महिला आयोग ने इसका सख्त नोटिस ले लिया। सिख धर्म में तो महिलाओं को बहुत ही ऊंचा स्थान दिया जाता है मगर आजकल के नेतागण, जत्थेदारों तक की शब्दावली ऐसी हो चुकी है कि वह कब मर्यादा भूलकर किसी के भी खिलाफ टिप्पणी करने में जरा भी संकोच नहीं करते। इसमें देखा जाए तो कमी संगत की भी है जब भी धार्मिक संस्थाओं का चुनाव होता है उस समय लोभ लालच में आकर बिना उस व्यक्ति का किरदार देखे संगत उसे चुन लेती है और आगे चलकर जिनका स्वयं का कोई किरदार नहीं होता वह धार्मिक सेवाएं निभाने वाले ग्रन्थी, सेवादार, प्रचारक यहां तक कि जत्थेदार भी ऐसे चुनते हैं जो उनकी जी हजूरी करें।
ऐसी ही परिस्थिति शायद शिरोमण कमेटी प्रधान हरजिन्दर सिंह धामी के साथ बनी है जिनके लिए समझा जाता था कि वह एक सूझवान, पढ़े लिखे और शान्त स्वभाव के व्यक्ति हैं मगर बीते दिनों जिस शख्स ने उन्हें प्रधानगी दी थी, उसकी चापलूसी करते हुए उस पर लगे आरोपों से उसे कैसे मुक्ति करवाया जाए इसमें फंसकर धामी साहिब शायद अपनी मर्यादा लांघ गए हालांकि उन्होंने अपनी गलती पर पछतावा करते हुए माफी भी मांग ली है मगर फिर भी ऐसा लगता नहीं है कि उनकी मुश्किलें कम हो सकती हैं।
सिख मार्शल आर्ट गतका के प्रति बच्चों में जागरुकता
गुरु गोबिन्द सिंह जी के समय से गतका खेला जाता था। गुरु साहिब स्वयं टीमें बनवाकर सिख योद्धाओं के गतका मुकाबला करवाया करते मगर उसके बाद से देखा जाता है कि गुरुपर्व से कुछ दिन पूर्व गतका सिखलाई के कैंप गुरुद्वारा साहिब में लगते और गुरुपर्व के बाद समाप्त हो जाते मगर पिछले समय में गतका को ओिलंपिक में मान्यता मिलने के बाद आज बच्चों में इसे सीखने में रुचि आने लगी है। कई संस्थाएं ऐसी हैं जो निरन्तर गतका के मुकाबले भी करवाती हैं ताकि बच्चों को प्रोत्साहन मिल सके। हाल ही में पंजाब के रोपड़ में तख्त पटना साहिब के हजूरी कथावाचक सतनाम सिंह के द्वारा गतका कप करवाया गया जिसमें समूचे देश से टीमें पहुंची और 2 दिन तक मुकाबला चला। मुख्य मेहमान के तौर पर पहुंचे अजयबीर सिंह लालपुरा नन्हें मुन्हें बच्चों को गतका खेलते देख इतना प्रभावित हुए कि उन्होंने तुरन्त अपने तीनों बच्चों को गतका सिखलाने का मन बना लिया। महिलाओं पर आए दिन होते अत्याचार के चलते बचपन से ही उन्हें इस विधा की सिखलाई लेनी चाहिए ताकि जरूरत पढ़ने पर वह स्वयं की रक्षा कर सकें।
संगत सेवा के लिए गुरुद्वारा के प्रधान को सेवा भूषण अवार्ड
वैसे तो देखा जाए तो दिल्ली में 700 से अधिक सिहं सभा गुरुद्वारा साहिब होंगे। गुरुद्वारा साहिब के प्रधान यां कमेटी सदस्यों पर कई तरह के आरोप लगते तो अक्सर देखे गए हैं मगर बहुत कम ऐसे प्रधान होते हैं जो संगत सेवा के लिए तन-मन-धन लगाकर सेवा करते हैं। गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा राजौरी गार्डन शायद उन्हीें में से एक है जिसके प्रधान हरमनजीत सिंह को सेवा भारती संस्था के द्वारा उनकी सेवाओं से प्रभावित होकर सेवा भूषण अवार्ड से सम्मानिन्त किया गया है जो कि केवल राजौरी गार्डन के लिए ही नहीं बल्कि समूचे सिख समुदाय के लिए गर्व की बात है। देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के द्वारा उन्हें यह सम्मान मिला। गुरुद्वारा राजौरी गार्डन में चलने वाली डिस्पैंसरी मानो एक तरह से मिनी अस्पताल है जिसमें डायलेसिस, कीमो थैरेपी, मैमोग्राफी, आंखों, दांतों का बेहतर इलाज साथ ही दवाईयां भी बिना किसी शुल्क के संगत को मुहैया करवाई जाती हैं। कमेटी अधीन चलने वाले स्कूल में जरूरतमंदों को शिक्षा मुफ्त दी जाती है और इसमें सबसे अधिक योगदान प्रधान हरमनजीत सिंह का ही है। संगत भी वहीं सेवा देना मुनासिब समझती है जहां उसे लगे कि उसका दसवंद सही जगह लग रहा है। इससे अन्य सिंह सभाओं को भी प्रेरणा लेनी चाहिए जिससे आने वाले समय में उनमें से भी किसी प्रबन्धक को यह सम्मान मिल सके।
पाकिस्तान के साथ यूएई के सम्बन्धों में खटास का लाभ भारतीयों को मिलेगा
सन् 1971 में संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की स्थापना के बाद से ही आबू धाबी, दुबई जैसे प्रमुख शहरों में दुनिया की सबसे बड़ी अप्रवासी आबादी का घर बना हुआ है। 2024 के मध्य तक, इसकी कुल जनसंख्या (12.5 मिलियन) का 88.5 हिस्सा अप्रवासियों का है। दक्षिण एशिया से आने वाले अप्रवासी, विशेष रूप से पाकिस्तान, भारत, बंगलादेश यूएई की आबादी का बड़ा हिस्सा बनकर देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
देखा जाए तो सऊदी अरब के बाद यूएई पाकिस्तानी अप्रवासियों का दूसरा सबसे बड़ा ठिकाना है। अधिकांश पाकिस्तानी अप्रवासी ब्लू कॉलर जॉब्स (जैसे निर्माण श्रमिक, सुरक्षा गार्ड, टैक्सी चालक) में काम करते हैं। लेकिन पिछले कुछ समय से कई लोग आपराधिक गतिविधियों, कार्यस्थल पर अनुचित व्यवहार और सार्वजनिक शालीनता के उल्लंघन में भी लिप्त पाए गए हैं जिनमें पाकिस्तानी प्रवासियों की संख्या सबसे अधिक है जिसके चलते यूएई के द्वारा पाकिस्तानी नागरिकों को वर्क वीजा के लिए आवेदन करते समय पुलिस कैरेक्टर सर्टिफिकेट प्रस्तुत करना अनिवार्य कर दिया गया है। यूएई ने इस साल की शुरुआत में पाकिस्तान के 24 शहरों के लिए वीजा प्रतिबंध लगाया था, जिसे हाल ही में 30 शहरों तक बढ़ा दिया गया है। लगभग एक लाख पाकिस्तानी नागरिकों के वर्क-पर्मिट वीजा को अस्वीकार कर दिया है। यूएई ने पाकिस्तान के नामित राजदूत (पूर्व सैन्य अधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) मुहम्मद आमिर) को मान्यता देने से इंकार कर दिया। यह पहली बार है जब यूएई ने किसी देश के राजदूत को स्वीकार करने से इनकार किया है। यूएई में रहने वाले पाकिस्तानी मूल के यूट्यूबर अली भाई, ने एक वीडियो में पाकिस्तानी नागरिकों की आपराधिक गतिविधियों पर नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने कहा कि ये लोग “ब्लैक शीप” हैं, जिनके कारण असली पाकिस्तानी अप्रवासियों को वीजा पुनः प्राप्त करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। इसका सीधा लाभ भारत से यूएई जाने वालों को मिलेगा और पहले की अपेक्षा अधिक संख्या में भारतीय वहां जाकर कार्य कर सकेंगे। दोनों देशों में व्यापार के भी विकल्प खुलेंगे जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी।
हरमीत कौर ढिल्लो ने बढ़ाया देश का गौरव
चण्डीगढ़ से सम्बन्ध रखने वाली भारतीय मूल की सिख वकील हरमीत कौर ढिल्लो ने आज समूचे देशवासियों को गौरवान्वित किया है। हरमीत कौर ढिल्लो को अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने अपनी नई टीम में बतौर न्याय विभाग में नागरिक अधिकार मामलों की सहायक अटॉर्नी जनरल के तौर पर चुना है। हरमीत कौर ने इस साल जुलाई में रिपब्लिकन नेशनल कन्वेंशन में अरदास का पाठ किया था, जिसके बाद उन पर नस्लीय हमले हुए थे। पिछले साल वह रिपब्लिकन नेशनल कमेटी के अध्यक्ष पद के लिए असफल रहीं।
चंडीगढ़ में जन्मी 54 वर्षीय ढिल्लो बचपन में माता-पिता के साथ अमेरिका चली गई थीं। 2016 में, वह क्लीवलैंड में जीओपी कन्वेंशन के मंच पर दिखाई देने वाली पहली भारतीय-अमेरिकी महिला थीं। पंजाबी हैल्पलाईन के मुखी प्रकाश सिंह गिल ने कहा इससे उन लोगों को सबक लेना चाहिए जो आज भी लड़के और लड़की में
फर्क करते हुए लड़कियों को गर्भ में ही मार देते हैं। आज भी अनेक ऐसे परिवार हैं जो लड़कियों को उच्च शिक्षा इसलिए नहीं देते क्योंकि उनकी सोच है कि लड़की ने तो शादी के बाद
केवल गृृहस्थी संभालनी है। हरमीत कौर ने वाकय ही महिलाओं, पंजाबियों और समूचे देश का नाम रोशन किया है।