अमेरिकी हरकतों के मायने क्या हैं ? - Punjab Kesari
Girl in a jacket

अमेरिकी हरकतों के मायने क्या हैं ?

भारत में धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति पर अमेरिका की रिपोर्ट में आलोचना

कई बार मुझे ऐसा लगता है कि अमेरिका बड़ा देश है इसलिए वह दुनियाभर की बड़ी-बड़ी चिंताएं पालता है। इधर हम बेवजह चिंताओं की चिंता किए फिरते हैं, इसलिए हमने कहावत बना दी कि चिंता से चतुराई घटे, दुख से घटे शरीर। क्या आपने अमेरिका को कभी दुबला होते हुए देखा, वह तो जब युद्ध लड़ रहा होता है तब भी उसका आर्थिक भंडार भर रहा होता है, क्योंकि अमेरिका की चिंताएं उसकी चतुराई से पैदा होती हैं। उसकी चतुराई कहती है कि अब नए विषय पर चिंतित होने का समय आ गया है और वह नई चिंताएं पाल लेता है। उसकी ताजातरीन चिंता हमारी खुफिया एजेंसी ‘रॉ’ यानी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग को लेकर है, दुनिया में धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर अमेरिका का एक संघीय आयोग है। उसने इंटरनेशनल रिलीजियस फ्रीडम रिपोर्ट 2025 जारी की है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति लगातार खराब हो रही है, धार्मिक अल्पसंख्यकों को विदेशों में टार्गेट किया जाता है। रॉ को इसके लिए जिम्मेदार बताते हुए उस पर प्रतिबंध की सिफारिश की गई है, उसमें अलगाववादी खालिस्तानी नेता गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की नाकाम साजिश का भी हवाला दिया गया है। भारत सरकार कहती रही है कि इस मामले से उसका कोई लेना-देना नहीं है लेकिन अमेरिका के गले में ये बात कौन उतारे? उसे कौन समझाए कि भाई तुम्हारे यहां काले और गोरे के बीच कितना विभाजन है, कैथोलिक और प्रोटेस्टेंट के बीच कितनी गहरी खाई है, अपना जख्म तो तुम्हें दिखता नहीं और दूसरे के घर को कुरेदने की नापाक कोशिश करते हो ताकि वैमनस्य फैलाया जा सके। अमेरिका की ये जो हरकतें हैं ना, उस पर मुझे पद्मभूषण रघुपति सहाय यानी फिराक गोरखपुरी की कविता ‘डॉलर देश’ की कुछ पंक्तियां याद आ रही हैं…

दुनियाभर को बरबाद करे

दुनियाभर का निर्माता भी

दुनियाभर का विद्रोही भी

दुनियाभर का निज भ्राता भी!

दुनियाभर को भूखा मारे

दुनियाभर का अन्नदाता भी

दुनियाभर में खैरात करे

दुनियाभर पर ललचाता भी!

दुनियाभर का व्यापार मिटाकर

खुद व्यापारी बन बैठा

सच्ची झूठी मूरत गढ़कर

दुनिया का पुजारी बन बैठा!

मैं फिराक साहब की तरह इतने कड़े शब्दों का उपयोग तो नहीं करूंगा लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं कि भारत को बदनाम करने की इन सारी हरकतों के पीछे बस एक ही लक्ष्य है कि भारतीय समाज में विघटन हो और हमारा लोकतंत्र और अर्थतंत्र आगे न बढ़ पाए। कभी अडानी तो कभी अंबानी को लेकर बखेड़ा खड़ा करने का मतलब क्या है? कभी दुनियाभर के जीडीपी में 25 प्रतिशत की हिस्सेदारी वाले भारत को अंग्रेजों ने लूट कर कंगाल कर दिया लेकिन हमने अपनी कूवत से फिर खुद को खड़ा किया और आज पांचवीं सबसे बड़ी आर्थिक ताकत हैं। आने वाले वर्षों में तीसरी बड़ी आर्थिक ताकत भी बन जाएंगे।

यह बात शायद न अमेरिका को रास आ रही है और न दूसरों को, हम कैसे भूल जाएं कि विदेशी शक्तियों ने हमारे देश में न जाने कितने दंगे कराए और आज भी इस तरह की कोशिशें जारी हैं, अमेरिका अपने कलेजे पर हाथ रख कर यह सोचे कि पाकिस्तान को उसने वर्षों तक जो आर्थिक सहायता दी, उसी पैसे से हमारे कश्मीर में पाक आतंकवाद फैलाता रहा। भारतीय छात्र रंजनी श्रीनिवासन फिलिस्तीन का समर्थन करती है इसलिए उसका वीजा रद्द कर दिया गया लेकिन गुरपतवंत सिंह पन्नू अमेरिका में बैठ कर भारत के खिलाफ जहर उगलता रहता है और आपको वह अपना नागरिक नजर आता है? यह भेदभाव क्यों?

ट्रम्प से कभी मुलाकात हुई तो मैं यह जरूर पूछना चाहूंगा कि साहेब! अमेरिका तो मानवाधिकार का झंडा उठाए फिरता है, फिर हमारे लोगों को हथकड़ी पहनाकर क्यों भेजा? हमारे महान वैज्ञानिक और राष्ट्रपति रहे एपीजे अब्दुल कलाम से लेकर तब के वाणिज्य मंत्री कमलनाथ और भारतीय सिनेमा जगत की बड़ी हस्ती शाहरुख खान को कपड़े उतारने पर क्यों मजबूर किया गया? आप क्या साबित करना चाहते हो कि आप बॉस हो? दुनिया के चौधरी हो? किसे इन्कार है इससे? लेकिन संस्कृति कहती है कि जिस पेड़ पर ज्यादा फल लगे होते हैं, वह पेड़ झुकता है। आप ताकतवर हैं तो यह आपका दायित्व होना चाहिए कि जो कमजोर हैं उनके साथ सहयोग कीजिए, अपना अनुभव साझा कीजिए ताकि वे भी अपने पैरों पर खड़े हो सकें।

हमारे ‘रॉ’ पर उंगली उठाना हमें मंजूर नहीं है महाराज क्योंकि हम शांति और अहिंसा के राही हैं। रॉ को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने जिस तरह से सशक्त बनाया है, उस पर हमें नाज है। हजारों सालों की हमारी संस्कृति इस बात की गवाह है कि हमने कभी किसी पर हमला नहीं किया, न ही धार्मिक और न ही सांस्कृतिक हमला किया। हम तो नदियों से लेकर पेड़-पौधों और जीव-जंतुओं को पूजने वाले देश हैं। हमारे जीवन का मूलमंत्र ही वसुधैव कुटुम्बकम है लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि कोई हमें आंखें दिखाए या हमें मार कर चला जाए। ये नए दौर का भारत है महाराज।

हालांकि मुझे इस बात की भी शंका हो रही है कि ये हरकतें कहीं ट्रम्प के खिलाफ कोई साजिश तो नहीं हैं? हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र माेदी और ट्रम्प के बीच इतने मधुर रिश्ते हैं कि ट्रम्प तो ऐसी हरकत नहीं कर सकते, हो सकता है ट्रम्प को कमजोर करने वाली शक्तियां (अमेरिका में ऐसी संस्थाओं की कमी नहीं है) इस तरह के गुल खिला रही हों लेकिन सच मानिए, हमारी सेहत पर इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा, ये नए दौर का भारत है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

eighteen + two =

Girl in a jacket
पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।