सरहद पार करके एक महिला सीमा हैदर का पाकिस्तान से भारत आना और वह भी अवैध तरीके से। सीमा चार बच्चों की मां है और नोएडा के सचिन से पबजी पर गेम खेलते हुए उसे प्यार हुआ। वह सारे कायदे-कानून तोड़कर नोएडा आ गयी और दावा करती है कि मेरी उसके साथ शादी हो चुकी है। पूरे देश में इस प्रेम के तरीके पर उंगुलियां उठ रही हैं। अभी यह मामला निपटा नहीं था कि एक नया विवाद खड़ा हो गया। अलवर की रहने वाली अंजू जो दो बच्चों की मां है, वह उचित वीजा लेकर पाकिस्तान चली जाती है और अपने एक वही पर रहने वाले दोस्त नसरूल्ला से शादी करके अंजू फातिमा नाम रख लेती है। इस प्रेम पर भी एक बार उंगुलियां उठ रही हैं। यह प्रेम भी फेसबुक पर दोस्ती से हुआ था।
जब से यह किस्से सुने हैं सोशल मीडिया पर तरह-तरह की प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गयी है। ऐसी कौन सी मोहब्बत और प्यार की सूरत है कि विवाहित स्त्रियां जिनके बच्चे भी हैं, वह अपना देश छोड़कर इस तरीके से प्यार का इजहार कर रही हैं। अगर प्रेम की ही बात की जाए तो यह बात सच है कि प्रेम कभी सरहदें नहीं देखता। भारत-पाकिस्तान के लड़के और लड़कियों में प्रेम को लेकर गदर एक प्रेम कथा, हिना तथा बजरंगी भाईजान जैसी कालजयी फिल्में भी बन चुकी हैं लेकिन यह प्यार का एक सच्चा रूप था। उसके साथ-साथ राजी पिक्चर भी बनी कि कैसे एक लड़की शादी करके जासूस बनकर पाकिस्तान जाती है।
हालांकि फिल्म के मामले में हम कह सकते हैं कि नाट्य रूपांतर के चलते काल्पनिकता तो शामिल की ही जाती है लेकिन अब बड़ी बात यह है कि हर दृष्टिकोण से सीमाओं की सुरक्षा का सम्मान होना चाहिए। भारत में आने वाली सीमा हैदर जिस संदिग्ध और अवैध तरीके से आयी वह अपने आपमें एक सवाल खड़ा करता है। फेसबुक पर यह कैसी दोस्ती है कि वह अपना घरबार बेचकर साऊदी अरब हाेते हुए नेपाल के रास्ते बिना वीजा के नोएडा पहुंच गयी। भारत सरकार ने सही किया। उससे पूछताछ की गयी लेकिन सरकार की चिंता बिल्कुल दुरुस्त है क्योंकि वह एक जासूस भी हो सकती है और देश की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा भी। अवैध रूप से एक देश से दूसरे देश में एंट्री कोई आसान काम नहीं है लेकिन सीमा पबजी पर फ्रेंडशिप की आड़ में नियम तोड़कर भारत आ गयी तो सवाल उठने स्वाभाविक है। उसकी वापसी होनी ही चाहिए। पाकिस्तान जाने और उसकी सरकार जाने। अपनी सुरक्षा को दांव पर लगाकर भारत उसे स्वीकार नहीं कर सकता। अगर अलवर की अंजू की बात की जाये तो वह योग्य वीजा लेकर पाकिस्तान गयी है। नियम उसके हक में है। उसने अपना धर्म बदला यह उसका व्यक्तिगत मामला है। हालांकि प्रेम के इस रूप की स्वीकार्यता पर हम अपनी मोहर नहीं लगा सकते। प्रेम-दोस्ती के मामले में जो कुछ है आज के जमाने में यह सब निजी है और फैसले भी सब के व्यक्तिगत ही हैं। हम इस बहस में नहीं पड़ना चाहते कि अंजू ने धर्म परिवर्तन क्यों किया और पाकिस्तानी युवक से निकाह क्यों किया?
कुल मिलाकर दोनों मामले बहुत संवेदनशील हैं और भावनाओं के केस में ‘राष्ट्र तो कुछ नहीं कर सकता लेकिन भारत प्रेम की आड़ में सुरक्षा को दांव पर नहीं लगायेगा। अपनी सीमा की सुरक्षा हमारा कर्त्तव्य है। इस प्यार को क्या नाम दिया जाये यह हम नहीं कह सकते लेकिन सैकड़ों फिल्मों में ऐसी ही कहानियां जरूर हैं। फेसबुक की दोस्ती और व्हाट्सऐप के प्यार-मोहब्बत को लेकर यूथ के बीच या विवाहितों के बीच क्या चल रहा है इसे लेकर एक अलग सी बहस छिड़ गयी है। जब टैक्नोलॉजी का अत्यधिक प्रयोग होगा तो उसके ज्यादा से ज्यादा प्रभाव पड़ेंगे। मैं व्यक्तिगत रूप से समझती हूं कि अत्यधिक प्रयोग चाहे वह किसी भी चीज का क्यों न हो हमारी मनोवृत्ति और मानसिकता को प्रभावित करता है। दो बच्चों की मां अंजू या चार बच्चों की मां सीमा हैदर अगर भावनाओं में बहकर इस तरह शादी कर सकती हैं तो इसके बारे में कमेंट करना कठिन है लेकिन भावनाओं में बहना अलग बात है और पूरे देश की सीमा की सुरक्षा पर खतरा खड़ा कर देना दूसरी बात। इस दृष्टिकोण से भारत और पाकिस्तान के बीच पूर्व में जो कटुता शत्रुता में बदल चुकी है वह किसी से छिपी नहीं है लेकिन फिर भी दिलों में इस तरह से मोहब्बत का उठना एक संवेदनशीलता को दर्शाता है कि लोगों के दिलों में एक-दूसरे के लिए प्यार है। हालांकि कट्टरता इसे नफरत में भी बदल देती है। काश, फिल्म अगर महज मनोरंजन न होकर समाज और राष्ट्र प्रवर्तक भी होती तो भारत और पाकिस्तान के बीच में नफरत कभी की खत्म हो गयी होती, पर फिर भी सवाल तो खड़ा ही रहेगा-इस प्यार को क्या नाम दें?
छोटे होते जब हम अखबारों में पढ़ते थे कि 4 बच्चों की मां भाग गई या बच्चों को छोड़कर शादी कर ली तो हमें यह समझ नहीं आता था और उस अनजानी मां के प्रति नफरत जरूर होती थी। अब जब हम बड़े हो गए हैं, मां की महत्वता समझते हैं। एक मां के सामने बच्चों से बढ़कर कुछ नहीं होता और ऐसे प्यार बहुत ही जवान लड़के-लड़कियां जो छोटी उम्र के हैं तो लगता है ना समझी या सिर्फ भ्रांति है, पर मध्यम आयु की माएं पहले धर्म परिवर्तन, फिर देश परिवर्तन। मेरी तो समझ से बाहर है। यह कैसा अंधा प्यार है या इसके पीछे कुछ और यह बातें हजम नहीं होतीं।