आज के इस दौर में सबसे महंगा क्या है? इस सवाल का जवाब सम्भवतः यही हो सकता है कि शिक्षा अर्थात बच्चे की पढ़ाई-लिखाई पर किए जाने वाला खर्च सबसे महंगा है। अगर सम्पन्न अर्थात समाज में जिन्हें अमीर कहा जाता है की बात की जाए तो उनके घरों में बच्चों की पढ़ाई-लिखाई पर बेहिसाब खर्चा किया जाता है। हाथों में कापियां-किताबों के अलावा महंगे मोबाइल और कारों से स्कूल जाने और वहां से वापिस आने की व्यवस्था है। इतना ही नहीं स्कूल टाइमिंग के बाद उन्हें कोचिंग की भी महंगी सुविधा उपलब्ध है। ऐसा क्यों न हो, क्योंकि जमाना कम्पीटीशन का है। इसी कड़ी में कई ऐसे छात्र-छात्राएं भी हैं जिन्हें यह नहीं मालूम कि किसी कम्पीटीशन एग्जाम के लिए उनके माता-पिता फीस भी भर पाएंगे या नहीं। उनके लिए शिक्षा एक सबसे बड़ी लड़ाई है, जिसको वह मेहनत और मजबूत दृढ़ संकल्प के दम पर जीतते हैं। उनकी मेहनत ही सबसे बड़ा हथियार है। पिछले हफ्ते नीट, यूजी-2023 का परिणाम चौंकाने वाला है। इसमें जिन स्टूडैंट्स ने इस बेहद कठिन टैस्ट को उत्तीर्ण किया उनमें मिस्बाह ने 720 से 633 अंक लेकर परीक्षा उत्तीर्ण की और उसके पिता कारों, स्कूटरों का पंक्चर लगाने का काम करते हैं।
राजस्थान के बाड़मेर में जिस नरेश चौधरी ने 695 अंक लेकर नीट एग्जाम उत्तीर्ण किया उसके पिता एक ट्रक ड्राइवर हैं और उनका कहना है कि अब हमारा बेटा डाक्टर बनेगा। गरीबी में पले नरेश के इस जज्बे को सलाम है। बिहार में एक ट्रैक्टर ड्राइवर के बेटे शांतनु कुमार ने 660 अंक लेकर नीट परीक्षा उत्तीर्ण की। अब उसका डाक्टर बनना तय है। जरूरतमंद लोगाें के परिवारों के यहां से मेहनत और खून-पसीना बहा कर उनके युवा बच्चे सफलताओं के रिकार्ड बना रहे हैं। श्रीनगर के हेमंत अहीरवार के पिता राजमिस्री हैं और उसने 557 अंक लेकर परीक्षा पास की। एक और बेटी है प्रेरणा जिसके पिता की 2018 में कैंसर से मौत हो गई थी, ने 686 नम्बर लेकर मैडिकल कालेज में अपनी सीट पक्की कर ली। जब उसके पिता की मौत हुई तो उसकी माता के ऊपर 27 लाख का बैंक लोन था लेकिन कई रिश्तेदारों ने मदद की और बेटी ने मेहनत के हथियार से एक बड़ी सफलता पाई। इसी कड़ी में बेटी नेहा का पिता मजदूर है और वह अलवर की रहने वाली है लेकिन उसने तीसरे प्रयास में नीट परीक्षा पास कर ली। सफलता और संघर्ष की इस कड़ी में पुलवामा के बेहद गरीब परिवार में पैदा हुए उमर अहमद गनी के पिता एक आरा मजदूर हैं और उसे खुद भी रंगाई-पुताई का काम करना पड़ता है लेकिन उसने नीट परीक्षा 601 अंक लेकर पास कर ली। इस जज्बे को हमारा विशेष प्रणाम है। अभी और आगे चलिये विभू एक शानदार इतिहास रचेता है। वह बदायूं का रहने वाला है और वह कछला गंगा घाट पर आरती में रोज हिस्सा लेता है, उसने 622 अंक लेकर परीक्षा पास की। मां गंगा को वह मां सरस्वती के रूप में मानता है और परिणाम उसके सामने है। एक ट्रक मैकेनिक विशम्भर झा की 21 वर्षीय बेटी आरती ने पूरे देश में 192वां स्थान प्राप्त करके एक बड़ी सफलता प्राप्त करते हुए नीट परीक्षा पास की। उसे अपनी पढ़ाई के प्रति बड़ा जनून था, उसे नींद न आ जाए इसलिए वह गर्मियों में पंखा बंद करके पढ़ती थी। बेटी डाक्टर बनना चाहती है और अब यह खुशी का मौका सामने है।
कहने का मतलब यह है कि अनेक ऐसी कहानियां अगर हम अतीत में झांके तो हमें जीवन के हर क्षेत्र में मिल जाएंगी। जय जवान-जय किसान का नारा बुलंद करने वाले और एक बेहद जमीनी और आम आदमी का प्रतिनिधित्व करने वाले लाल बहादुर शास्त्री अगर प्रधानमंत्री बने तो उनकी मेहनत और ईमानदारी को उसका श्रेय दिया जा सकता है। हर एक के जीवन में संघर्ष छिपे रहते हैं लेकिन मेहनत के दम पर आप सबकुछ पा सकते हैं। बालीवुड के स्टार विक्की कौशल जिन्होंने उरी-सर्जिकल स्ट्राइक में शानदार अभिनय दर्शा कर राष्ट्रभक्ति का एक उदाहरण प्रस्तुत किया। वह खुद पेशे से इंजीनियर थे और विदेश में नौकरी करते थे। कभी वह मुम्बई के चाल इलाके में रहते थे लेकिन वह बालीवुड में उतरे तो उन्हें ऑडिशन से भी मना कर दिया गया था लेकिन मेहनत, संघर्ष और पक्की लगन ने उन्हें स्टार बना दिया। जीवन के अनेक क्षेत्रों में ऐसे उदाहरण मिल जाएंगे। अगर समर्पण और ईमानदारी भी है तो समझो सोने पर सुहागा। इस तरह से छोटे-छोटे शहरों और आम घरों से यंग टैलेंट उभर कर सामने आ रहा है यह उन लोगों को एक बड़ा चैलेंज दे रहा है जो शिक्षा पर बहुत ज्यादा पैसा खर्च कर रहे हैं। इसी साल आईपीएल में हमें रिंकू सिंह जैसे खिलाड़ी मिले जिसके पिता मजदूर हैं और जयसवाल जैसा बच्चा जिसके पिता गोलगप्पे बेचते हैं वे आज देश मेें क्रिकेट के दम पर अपना करियर संवार रहे हैं। मेहनत और मजबूत इरादे हों तो कुछ भी मुश्किल नहीं है। कितनी भी विपरीत परिस्थितियां क्यों न हों, जब हम मेहनत करते हैं तो कहानी सफलता की कसौटी पर खरी उतरी है और ऐसा करने वालों के बारे में उदाहरण दिए जाते रहे हैं और दिए जाते रहेंगे। इन मेधावी सफल स्टूडैंट्स को हमारी कलम सैल्यूट करती है।