लम्बा हुआ बुलेट ट्रेन का इंतजार - Punjab Kesari
Girl in a jacket

लम्बा हुआ बुलेट ट्रेन का इंतजार

किसी भी देश की महत्वाकांक्षी परियोजनाएं उसके विकास का प्रतीक होती हैं। इन परियोजनाओं से ही देश की

किसी भी देश की महत्वाकांक्षी परियोजनाएं उसके विकास का प्रतीक होती हैं। इन परियोजनाओं से ही देश की तरक्की का पता चलता है और अर्थव्यवस्था की रफ्तार गति पकड़ती है। जिस तरह नए-नए राजमार्ग बनने से शहरों की आपस में कनैिक्टविटी बढ़ती है और सम्पर्क बढ़ने से व्यापारिक गतिविधियों में भी तेजी आती है, उसी तरह नई रेल परियोजनाओं से भी अर्थव्यवस्था को गति मिलती है लेकिन ‘एक्ट ऑफ़ गॉड’ के आगे किसी का वश नहीं चलता। बिजनेस और लीगल टर्म में अक्सर एक्ट ऑफ गॉड वाक्यांश का इस्तेमाल किया जाता है। वैसे तो दुनियाभर में घटनाओं का सिलसिला जारी रहता है, उनमें से कुछ घटनाओं पर इंसान काबू पा लेता है तो कुछ में स्थिति नियंत्रण से बाहर हो जाती है। आमतौर पर प्राकृतिक आपदाओं जैसे बाढ़, सूनामी और भूकम्प इंसान के वश से बाहर होते हैं। इस तरह की आपदाओं या घटनाओं को एक्ट ऑफ गॉड कहा जाता है। इसे फोर्स मेज्योर के नाम से भी जानते हैं। जिस तरह से कोरोना वायरस संक्रमण की स्थिति में है, वह भी एक्ट ऑफ गॉड कहा जा सकता है। महामारी के चलते सिनेमाघर, बड़ी-बड़ी खेल प्रतियो​गीताएं सब रद्द करनी पड़ीं। ट्रेनें और उड़ानें बंद करनी पड़ीं।
संकट की घड़ी में यह देखना जरूरी होता है कि देश की प्राथमिकताएं क्या-क्या हैं? देश के लोगों की सबसे बड़ी जरूरत क्या है? कोरोना वायरस के चलते लोगों की जानें बचाना प्राथमिकता है, साथ ही जहान को चलाना भी प्राथमिकता है। प्राथमिकताओं को तय करने की प्रक्रिया में कुछ महत्वाकांक्षी परियोजनाओं में विलम्ब होना स्वाभाविक है। एक्ट ऑफ गॉड के बाद सरकारों को एक्ट करना होता है। इसमें कोई संदेह नहीं कि देश की नरेन्द्र मोदी सरकार ने लगभग सभी सैक्टरों में अच्छी तरह से एक्ट किया है और इसके परिणाम भी नजर आने लगे हैं लेकिन कुछ परियोजनाएं जरूर प्रभावित हो सकती हैं। इनमें से एक है मुम्बई और अहमदाबाद को जोड़ने वाली बुलेट ट्रेन परियोजना, जिसके  दिसम्बर 2023 की डेडलाइन तक पूरा होने में संशय है। देश की पहली बुलेट ट्रेन परियोजना के​ लिए 60 फीसदी जमीन का अधिग्रहण किया जा चुका है। परियोजना फास्ट ट्रैक पर थी, नेशनल हाईस्पीड रेल कार्पोरेशन लिमिटेड को गुजरात में भी 77 फीसदी जमीन मिल गई थी लेकिन कोरोना काल ने बड़ी बाधाएं खड़ी कर दीं। मुम्बई-अहमदाबाद के बीच बन रहे हाईस्पीड रेल कॉरिडोर का निर्माण जापान से 80 फीसदी लोन पर किया जा रहा है। जापान ने यह कर्जा 0.1 फीसदी की दर पर 15 वर्ष के लिए दिया है। इस कॉरिडोर के ज्यादातर सिस्टम जापान की शिंकासेन बुलेट ट्रेन तकनीक पर निर्मित होंगे।
इस प्रोजैक्ट के एक हिस्से को अगस्त 2022 तक शुरू करने का लक्ष्य रखा गया था लेकिन अब इसमें विलम्ब हो रहा है। अब इस बुलेट ट्रेन के लिए देशवासियों को 5 वर्ष तक का इंतजार करना पड़ सकता है। दरअसल बुलेट ट्रेन प्रोजैक्ट की लागत भारत में काफी ज्यादा आ रही है, इसके अलावा जापानी कम्पनियां भी इसमें कम रुचि ले रही हैं। कोरोना काल में हर कम्पनी प्रभावित हुई है। न तो प्रोजैक्ट के लिए बोली लगाने वाली कम्पनियां ही ठीक दाम फिक्स कर रही हैं, जिसके चलते निविदाएं लगातार रद्द हो रही हैं। कोरोना काल में पूंजी प्रवाह का संकट बहुत बड़ा है। जापान की  कम्पनियां ही नहीं बल्कि देश-विदेश की कम्पनियां फूंक-फूंक कर कदम उठा रही हैं क्योंकि महामारी ने हर देश की अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया है आैर कोई भी जोखिम उठाने को तैयार नहीं है। परियोजना के तकनीकी पहलू को देखते हुए समय सीमा को घटाया नहीं जा सकता। दरअसल बुलेट ट्रेन कॉरिडोर के 21 किलोमीटर के भूमिगत सैक्शन जिसमें 7 किलोमीटर समुद्र के अन्दर का सैक्शन भी शामिल है, इसका निर्माण कार्य आसान नहीं है। इसके अलावा प्रोजैक्ट के लिए 11 टेंडर जापानी कम्पनियों की तरफ से लिए जाने थे, उनमें प्रस्तावित कीमतें अनुमान से काफी ज्यादा बताई गईं। भारत इतनी बड़ी लागत इस समय सहने को तैयार नहीं है।
भारत और जापान के बीच एक संयुक्त कमेटी की बैठक, जिसमें प्रोजैक्ट में आ रही रुकावटों पर बात होनी थी, भी इस वर्ष कोरोना वायरस की वजह से टल गई है। ऐसे में पूरे प्रोजैक्ट के टलने पर तस्वीर इस कमेटी की बैठक के बाद ही सामने आ सकती है। जापानी कम्पनियों को इलैक्ट्रिकल्स, रोलिंग स्टॉक्स, सिग्नलिंग आैर ट्रैक्स आदि का काम भी सौंपा जाना है। स्वास्थ्य कारणों से शिंजो आवे के प्रधानमंत्री पद छोड़ने के ऐलान से यद्यपि परियोजना पर कोई असर नहीं होगा, लेकिन आवे की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से गहरी मित्रता है, जिसका सकारात्मक असर जरूर पड़ता। केन्द्र की मोदी सरकार के सामने स्वास्थ्य सैक्टर को मजबूती ​प्रदान करने, लोगों के लिए काम-धंधों की स्थिति को सामान्य बनाने, बाजारों को गुलजार करने, औद्योगिक और कृषि सैक्टर की गतिविधियों को तेज करने, देशभर में लोगों की मांग बढ़ाने की प्राथमिकताएं हैं। जब तक स्थितियां सामान्य नहीं होतीं तब तक बुलेट ट्रेन का इंतजार भारत कर सकता है। देशवासियों की जरूरतें इस समय बुलेट ट्रेनों से कहीं ज्यादा हैं। हमें पहले खुद आत्मनिर्भर बनना होगा, इसके लिए हाईस्पीड ट्रेन का इंतजार कर ही लिया जाए तो बेहतर होगा।
किसी भी देश में स्वास्थ्य का अधिकार जनता का बुनियादी अधिकार होता है। स्वस्थ नागरिक ही एक स्वस्थ और विकसित देश के निर्माणकारी तत्व होते हैं। हमारी तो सदियों से यही धारणा रही हैः 
‘‘पहला सुख निरोगी काया,
दूजा सुख घर में हो माया
जान है तो जहान है।’’

आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *


Girl in a jacket
पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।