बेरोजगारी और निजी क्षेत्र - Punjab Kesari
Girl in a jacket

बेरोजगारी और निजी क्षेत्र

कोरोना के कहर के चलते 21 दिन के लॉकडाउन के दौरान उद्योग ठप्प हैं। आवश्यक सामान को छोड़कर

कोरोना के कहर के चलते 21 दिन के लॉकडाउन के दौरान उद्योग ठप्प हैं। आवश्यक सामान को छोड़कर सारे कारोबार बंद हैं। इससे सरकार का राजस्व भी घट गया है तो दूसरी तरफ निजी सैक्टर में भी बेरोजगारी और पैसे का बड़ा संकट खड़ा हो गया है। यहां तक कि कई कम्पनियों ने कर्मचारियों को निकालना भी शुरू कर दिया है। वर्तमान ​स्थिति  के चलते खुद समाचार पत्र भी बहुत ही कठिन दौर से गुजर रहे हैं। कुछ समझ में नहीं  आ रहा कि क्या किया जाए। कोरोना थमे तब कुछ बात बने।  
कारोबार ठप्प होने से राज्यों की अर्थव्यवस्था चरमरा जाएगी। केन्द्र ​सरकार स्थिति को लेकर काफी चिंतित है और वह अर्थव्यवस्था को सम्भालने के लिए पैकेज का ऐलान भी कर चुकी है। लॉकडाउन के चलते जमीनों की खरीद-फरोख्त रुक गई है। रजिस्ट्री न होने से राज्य सरकारों को राजस्व नहीं मिला। कोरोना वायरस से इस समय पूरी दुनिया प्रभावित है। ऐसे संकेत मिलने लगे हैं कि आईटी सैक्टर में मंदी का असर होने लगा है। लोगों की नौकरियां खतरे में हैं। जो कम्पनियां अमेरिका, ब्रिटेन या अन्य देशों में प्रोजैक्ट लेकर काम करती हैं, उनका कामकाज प्रभावित होगा। लॉकडाउन की अवधि का बढ़ना तय है। यद्यपि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लॉकडाउन को चरणबद्ध ढंग से खोलने की योजना बनाने को कहा लेकिन लॉकडाउन को फिलहाल खत्म करना आसान नहीं होगा। कोरोना वायरस से लड़ाई लम्बी चलने के आसार साफ दिखाई देते हैं। अगर लॉकडाउन लम्बा चला तो देश में बेरोजगारी का संकट भी बहुत बढ़ जाएगा। सरकार फिलहाल तो सेहत के मोर्चे पर डटी हुई है और वह किसी न किसी तरीके से कोरोना वायरस के संक्रमण को सीमित करने के प्रयासों में जुटी हुई है।
केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कम्पनियों से अपील की है कि वे कोरोना वायरस के कारण आर्थिक संकट के बावजूद तकनीकी शिक्षण संस्थानों के होनहार और प्रतिभा सम्पन्न छात्रों  को दी हुई नौकरियां मान्य रखें। मानव संसाधन मंत्री ने उन छात्रों, जो इस वर्ष कैम्पस प्लेसमैंट के तहत नौकरी की इंतजार में हैं, की चिंताओं को दूर करते हुए कहा है कि हमने ऐसे छात्रों के भविष्य को ध्यान में रखकर ही कम्पनियों से आग्रह किया है कि वो संकट के समय को ध्यान में रखते हुए उनको कैम्पस प्लेसमैंट में नौकरियां दें। 
हाल ही में कुछ खबरें आ रही थीं कि कुछ कम्पनियों ने कैम्पस प्लेसमैंट में दी गई नियुक्तियों पर रोक लगा दी है। रमेश पोखरियाल निशंक ने यह भी कहा है कि कोरोना वायरस का संक्रमण ज्यादा दिनों तक नहीं रहेगा। कम्पनियां छात्रों को नौकरी पर रखकर इस संकट से जल्द उबर सकती हैं क्योंकि छात्र ही भविष्य में देश को आगे ले जाएंगे। कम्पनियों को जल्दबाजी में कोई कदम नहीं उठाना चा​हिए। नौकरियां देकर उन्हें अमान्य करार देना देश के लिए भी नुक्सानदेह है।
मानव संसाधन मंत्री की अपील पर उम्मीद है कि निजी सैक्टर ध्यान देगा और उसे मुश्किल घड़ी में केवल अपने फायदे को ही देखकर काम नहीं करना चाहिए। केन्द्र सरकार को अपने सभी विभागों को भी ऐसी एडवाइजरी जारी करनी चाहिए कि  किसी अस्थायी कर्मचारी की छंटनी न हो। लॉकडाउन से पहले ​िजतने कर्मचारी अनुबंध पर काम करते थे, उतने ही काम पर लौट आएं।
बेरोजगारी का संकट दूर करने के लिए सरकार और निजी सैक्टर को मिलकर काम करना होगा। केन्द्र सरकार किसानों, दिहाड़ीदार मजदूरों की तो मदद कर ही रही है, देश के कार्पोरेट सैक्टर को भी बड़ी भूमिका निभानी होगी। कोरोना संकट ने अमेरिका समेत कई बड़े देशों को हिलाकर रख दिया है। अमेरिका में तो करोड़ों लोग बेरोजगार हुए हैं, 66 लाख से ज्यादा कामगारों ने बेरोजगारी भत्ते के लिए आवेदन दिया हुआ है। ऐसा ही आलम स्पेन, इटली और फ्रांस में भी है।
इसमें कोई संदेह नहीं कि निजी सैक्टर हमेशा अपने मुनाफे के लिए काम करता है। बड़ी पूंजी का निवेश कर हर कोई ज्यादा से ज्यादा लाभ कमाना चाहता है लेकिन निजी सैक्टर सरकारों से लाभ भी लेता आया है तो इस समय उसका दायित्व है कि वह सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करे। राष्ट्रहित उसके लिए भी सर्वोपरि होना चाहिए।
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के विचार के अनुसार उनके लिए व्यक्तिवाद की जड़ें आध्या​त्मिक थीं। वे व्यक्ति को सिर्फ अपनी इच्छाओं की पूर्ति करने वाला नहीं मानते थे बल्कि एक नैतिक एजैंट के तौर पर देखते थे। वे मानवाधिकारों को समाज की प्रगति के केन्द्र में रखते थे। इसमें सबसे ज्यादा जोर कमजोर आदमी के अधिकारों पर था जिसके लिए राज्य और समाज को अपने धर्म का निर्वहन करना था। अमेरिका में हुए 9/11 हमले के बाद वहां बहुत कुछ बदल गया। अमेरिका के लोगों को व्यक्तिवाद और निजी स्वतंत्रता बहुत मायने रखती थी लेकिन देश की सुरक्षा की खातिर अमेरिका के लोगों ने अपनी स्वतंत्रता और निजता छोड़ दी। महामारी के दिनों में निजी क्षेत्र और रोजगार पैदा करने वाले क्षेत्रों के द्वार बंद नहीं होने चाहिएं, भले ही बड़े औद्योगिक घरानों को अपने निजी हित कुछ समय के लिए त्याग देने पड़ें।
समूचे राष्ट्र को एकजुट होकर समझदारी से निजी और सार्वजनिक हितों के बीच संतुलन कायम करने की कोशिश करनी होगी। वसुधैव कुटुम्बकम सनातन धर्म का मूल संस्कार तथा ​विचारधारा है। इसका अर्थ है धरती ही परिवार है। व्यक्तियों से परिवार बनते हैं, परिवार से समाज और  समाज से देश बनता है। इसलिए देश बनाने के लिए देश के लोगों के लिए काम करना होगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *


Girl in a jacket
पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।