अश्विनी जी एक नेक इंसान थे, जो हमेशा सबकी मदद के लिए तैयार रहते थे। उनकी पुण्य तिथि पर कोशिश रहती है कि जरूरतमंद लोगों की जितनी मदद की जाए उतनी कम है। उससे वो भी स्वर्ग में बैठे खुश होंगे। ऐसे नेक कार्य में बहुत से लोग जुड़ते हैं, क्योंकि ऐसे कार्यक्रम का निमंत्रण नहीं होता, सूचना होती है। जो दिल से चाहे वो स्वयं आए अपने हाथों से सेवा करें। क्योंकि जरूरतमंद बुजुर्गों के चेहरे पर जब मुस्कान आती है तो सबको बहुत संतोष मिलता है। इस उम्र में बुजुर्गों को सहारे की बहुत जरूरत होती है। उनकी सेहत खराब होती है, आर्थिक रूप से बहुत कमजोर होते हैं, अपने भी साथ छोड़ देते हैं।
बहुत ही साहस मिला जब ऐसे समय में दिल्ली के पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा जी और गवर्नर की पत्नी संगीता सक्सेना ने आकर हौंसला बढ़ाया और बुजुर्गों को जरूरत का सामान भी हमारे साथ बांटा। यह तो वो बुजुर्ग हैं, जिनको कोई पूछने वाला नहीं या जिनके घर में कोई नहीं था। घर के सदस्य हैं तो उन्हें खाने, पहनने के लिए नहीं मिलता या वो लोग हैं जिनके बच्चे हमारे पास आते हैं और कहते हैं कि महंगाई बहुत है, हम अपने माता-पिता को नहीं रख सकते। कोई ओल्ड होम का रास्ता बता दीजिए। कितनी विडम्बना है जिन मां-बाप ने सारी उम्र मेहनत करके उनको पाला, सारी जमा पूंजी भी लगा दी। आज उनके बच्चों के पास उनको खिलाने के लिए रोटी नहीं, दवाई के पैसे नहीं, उनको रखने के लिए उनके पास स्थान नहीं। तो ऐसे लोगों को हर महीने हम आर्थिक सहायता देते हैं। (जो कोरोना के बाद हर तीन महीने की इक_ी देते हैं) जो लोगों द्वारा सहायता के रूप में आती है। यही नहीं सम्पन्न लोगों द्वारा जरूरतमंद बुजुर्गों को एडोप्ट भी कराया जाता है। एडॉप्शन का मतलब है उनको घर नहीं लेकर जाना, उनकी दवाई और खाने का खर्च दो, ताकि वो अपने बच्चों के साथ रह सकें। एडॉप्शन 1000, 2000, 3000, 5000 महीना एक बुजुर्ग है। किसी ने अपनी क्षमता के अनुसार 1, 2, 10, 50 या 100 बुजुर्ग एडोप्ट किए हुए। ऐसे बूंद-बूंद से घड़ा भरता है। जो लोग इनकी सहायता के लिए आगे आते हैं उनको ढेरों आशीर्वाद मिलते हैं। हमारे पास एक तलवार परिवार जिनकी तीसरी पीढ़ी अपने दादा के साथ मिलकर सहायता करती है। ऐसे बहुत से लोग हैं जो सहायता के लिए आगे आते हैं।
इस बार जिन्होंने सहयोग दिया उनका तहेदिल से धन्यवाद। लुधियाना से नविता जयरथ, पानीपत से धृतिका हरजाई, लुधियाना से राम मोंगा, चौपाल, सब्जी मंडी के व्यापारी, रुबीना सैफी, शशि महाजन, अजय चौधरी, अनिल चौधरी, योगेश बंसल, रोटी बैंक के राजकुमार भाटिया, अशोक भाटिया, डा. सतीश चन्द्रा, मीना बंसल, ऊषा गुप्ता, पुष्पा गुप्ता, करुणा गोयल, ऊषा गोयल, आंचल गोयल, सतीश राम गोयल, अनिल भाई चूड़ीवाला, बीनू चौहान, रेखा ग्रोवर, चन्द्र कुमार तलवार, बजाज, घई, अरोड़ा परिवार इन सबका तहे दिल से धन्यवाद और बुजुर्गों की तरफ से बहुत आशीर्वाद।
जब बुजुर्ग अपनी मनपसंद का खाना खा रहे थे और थैले भर-भर कर सामान लेकर जा रहे थे बहुत ठंडी में कम्बल, स्वैटर, शाल, गर्म पानी की बोतलें, राशन, छडिय़ां, दर्द नाशक तेल तो जो उनके चेहरे पर खुशी थी, सुकून था वो देखने लायक था। मुझे लगता है इससे सच्ची श्रद्धांजलि हो ही नहीं सकती। जब अश्विनी जी जीवित थे वह बुजुर्गों को अपने हाथों से बांटते थे। इस बार उनके अनेक रूप थे। उनके तीनों बेटे, तीनों बहुएं और दोनों पौत्र उनके रूप में सबकी सेवा कर रहे थे और बांट रहे थे। सबसे भावुक समय था जब उनका पौत्र आर्यवीर और आर्यन सीधा स्कूल से आकर शुरू से लेकर अंत तक अपने हाथों से खाना खिला रहे थे और अश्विनी जी की भांजी धृतिका (गुडिय़ा) पानीपत से सेवा करने आई। मैं चाहती हूं हर परिवार, हर सम्पन्न परिवार आगे आए बुजुर्गों की सेवा कर बच्चों में भी संस्कार दें कि सेवा परम धर्म है।