आज के जमाने में सुख-सुविधाएं कौन नहीं चाहता। काम को जल्दी करने के बहुत से तरीके कंप्यूटर के रूप में इजाद हो चुके हैं। यह काफी हद तक समय की मांग हो सकते हैं और सच बात तो यह है कि हर कोई ज्यादा से ज्यादा सुख चाहता है और इसीलिए अपनी जिम्मेवारियां दूसरों पर डाल देता है। अब मानवीय दृष्टिकोण से यह नजरिया कितना सही है कितना नहीं यह हम नहीं जानते लेकिन यह जरूर सच है कि अपनी व्यस्तताओं के चलते जब आप अपनी जिम्मेवारियां नौकरानियों या घरेलू नौकरों पर डाल देते हैं और आप यह उम्मीद करें कि वे सब काम आपकी आशा के अनुरूप करेंगे तो इसकी गारंटी नहीं ली जा सकती। चार दिन पहले जबलपुर में एक दंपति ने दो साल के अपने बच्चे को एक घरेलू नौकरानी की केयरटेकर के रूप में रखा था। कुल पांच हजार रुपया महीना केयरटेकर को मिलते थे। वह नौकरानी उस छोटे बच्चे को उसके नहलाने-धुलाने से लेकर संवारने तक के कामकाज के दौरान उसकी निर्ममता के साथ पिटाई करती थी। घर में कैमरे लगे हुए थे परंतु उस दिन वह नौकरानी बच्चे की पिटाई करते हुए कैमरे की जद में आ गयी तो माता-पिता ने उसकी शिकायत की। इसके साथ ही यह वीडियो देश भर में तेजी से वायरल हुआ और सोशल मीडिया पर लोग एक-दूसरे से अपनी तरह-तरह की भावनाएं अभिव्यक्त करने लगे। कोई यह कहता है कि मां-बाप को अपनी कमाई की चिंता है बच्चे नौकरानियों के हवाले कर देते हैं। कोई सुख- सुविधाओं के चक्कर में नौकरों के हाथों से बच्चों की दुर्गती की बात कहकर अपनी भावनाएं शेयर कर रहे हैं। सोशल मीडिया इस चीज से भरा पड़ा है। मेरे ख्याल में यह खबर जंगल में आग की तरह वायरल हुई होगी। सवाल सचमुच चिंता करने वाला है और वीडियो देखकर कलेजा मुंह को आ जाता है।
एक और सवाल पैदा होता है कि हमें आज के समाज में क्या पुरानी संयुक्त परिवार प्रणाली पर चलना चाहिए या नहीं। मेरा व्यक्तिगत तौर पर मानना है कि हमें इस पर चलना चाहिए। आज जो पीढ़ी तीस-पच्चीस वर्ष की है वह अपने बचपन को याद करें कि किस प्रकार मां-बाप, भाई-बहन, ताया, चाचा-चाची, बुआ या फिर गली मौहल्ले की अनेक मासियां और अनेक रिश्तों से संबोधित किये जाने वाले लोग अपनी जिम्मेवारियां समझ कर बच्चों का ध्यान रखते थे और बच्चे पल भी जाते थे। जिस तरह एक दो साल के बच्चे की निर्मम पिटाई हुई है, राम जाने कितने सीसीटीवी फुटेज में ऐसे पिटाई कांड परिधि में आते होंगे लेकिन हमारा मानना है कि अपना काम, अपनी जिम्मेवारियां खुद निभानी चाहिए। अगर आप घर में नौकर या हैल्पर या मेड रखते हो तो उस पर पूरी तरह निर्भर नहीं होना चाहिए। अपने कान, आंख खोलकर रखने चाहिएं। अभी तक कई हादसे सामने आ चुके हैं। कभी हैल्पर बच्चों को नींद की दवाई पिला देती है या डर उनके दिल में बिठा देती है।
आज के भौतिक युग में मानव सुखों की तरफ भाग रहा है। तकरीबन हर घर में नौकरीपेशे करने वाले लोग हैं और हालात के चक्कर में अगर वे नौकरी करते हैं तो हमारा मानना है कि नौकरानियों के चयन को लेकर एक सूझबूझ तो अवश्य होनी चाहिए। यूं तो महानगरों में अनेक प्लेसमेंट्स कार्यालय हैं जो प्राइवेट तौर पर सक्रिय हैं। मानव का विवेक यही होना चाहिए कि आप किस नौकर या नौकरानी को अपना विश्वासपात्र मानते हैं। शत् प्रतिशत नौकर-नौकरानियां ऐेसे नहीं होते होंगे जो कांड जबलपुर में दिखाई दिया लेकिन अपनी सुरक्षा अपने हाथ होनी चाहिए तो यह सुनिश्चित करना उन लोगों का काम है जो नौकर और नौकरानियों को अपने घरों में रखते हैं। सवाल किसी किस्म की बहस का नहीं है बल्कि सुरक्षा का है। माता-पिता स्ट्रेस के चलते अपने बच्चों को अगर नौकरानी के हवाले करते हैं तो नौकरानी ने तो बच्चे की देखभाल ही करनी है उसे ऐसा कौन सा स्ट्रेस झेलना होता होगा कि वह दो साल के बच्चे के प्रति इतनी क्रूर हो गई कि उसकी पीठ और शरीर के अन्य अंगों पर मुक्के मार-मार कर सुजा दिया हो। घर के लोगों को शक हो रहा था और बराबर निगाह रखी जा रही थी लेकिन सीसीटीवी फुटेज से सच सामने आया तो उन्होंने तुरंत एक्शन लिया।
लोगों के आज की तारीख में अलग-अलग विचार हैं लेकिन अपने काम के लिए ईमानदारी और सच्ची भावना तो होनी ही चाहिए। पिछले दिनों वैसे ही जिस तरह से एक मां द्वारा अपनी छ: साल की बच्ची को होमवर्क न करने की सजा के तौर पर कड़ी दोपहरी में छत पर बांधने की घटना सामने आई थी। तो वहीं दूसरी घटना एक सोलह वर्षीय बेटे द्वारा पबजी मोबाईल ऑनलाइन गेम खेलने से मना करने पर हत्या का मामला आया था। मानवीय रिश्ते और संवेदनशीलताएं जिस तरह से तार-तार हो रही हैं उसे देखकर फिर से पुरानी संयुक्त परिवार प्रणाली की जरूरत उभर रही है। हम सबकी सुरक्षा और संवेदनशीलता इन्हीं भावनाओं पर टीकी है कि हम सब एक-दूसरे का ध्यान रखें, आगे बढ़ें और अपने बच्चों को सुरक्षित रखें। पैसे देकर बच्चों की सुरक्षा हो जायेगी यह गारंटी नहीं है इस मामले में अपना विवेक हालात को देखकर इस्तेमाल करना होगा।