देश के गृहमंत्री अमित शाह ने संसद में खड़े होकर इस बात का ऐलान किया कि देश की अखण्डता से खिलवाड़ करने वालों पर सरकार द्वारा शिकंजा कसा जाएगा और किसी को बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि कुछ लोग भिंडरावाला बनने की कोशिश करते दिखे तो प्रशासन ने तुरन्त िगरफ्तार कर जेल भेज दिया और आज वह जेल में बैठकर गुरु ग्रन्थ साहिब का पाठ कर रहे हैं। गृहमंत्री के इस बयान का कुछ सिख जत्थेबंदीयों के द्वारा सख्त विरोध भी किया जा रहा है तो कुछ का मानना है कि उन्हें गुरु ग्रन्थ साहिब का जिक्र किए बिना अपनी बात रखनी चाहिए थी क्योंकि जेल में गुटका साहिब से पाठ किया जा सकता है गुरु ग्रन्थ साहिब से नहीं। मगर एक बात स्पष्ट दिखाई दे रही है कि जो लोग भी खालिस्तान की आड़ में देश का माहौल बिगाड़ने की फिराक में हैं उन्हें गृहमंत्री के बयान के बाद संभल जाना चाहिए नहीं तो उनका भी हश्र वही होने वाला है।
वैसे देखा जाए तो बहुत से लोग शायद इस बात से अनजान हैं कि उस समय जिन लोगों ने खालिस्तान मूवमेंट को हवा देकर देश का माहौल खराब किया वह देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी की उपज थी। अकाली दल को कमजोर करने के लिए सरकार द्वारा उनका इस्तेमाल किया मगर बाद में जब सरकार ने उनकी सिखों में पकड़ मजबूत होती देखी तो ना सिर्फ उन लोगों पर, बल्कि उनकी आड़ में श्री अकाल तख्त साहिब को भी निशाना बनाया गया।
सिख बुद्धिजीवियों की मानें तो इस समय फिर से वही हालात बनते दिख रहे हैं बस फर्क सिर्फ इतना है कि मौजूदा समय में देश में जो सरकार है वह सिख गुरुओं और सिख समुदाय के प्रति सम्मान रखती है, वह कभी नहीं चाहती कि देश का माहौल बिगड़े और किसी भी सूरत में हिन्दू-सिख एकता में दरार आए। इसलिए सिख और हिन्दू जत्थेबंदीयों को भी चाहिए कि देश की अखण्डता को नुक्सान पहुंचाने वाले लोगों पर नजर रखें और युवा पीढ़ी को खासकर उनसे दूर रहने की नसीहत दी जाए।
केजरीवाल का सिख विरोधी चेहरा बेनकाब हुआ
दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर निरन्तर सिख विरोधी होने के आरोप लगते आए हैं क्योंकि पहली बार उनकी सरकार में चार सिख विधायक जीतने के बाद भी किसी एक को भी मंत्रिमंडल में स्थान नहीं दिया गया जबकि इससे पहले कांग्रेस और भाजपा की सरकार में एक सिख मंत्री जरूर बनाया जाता था। इस बार भी रेखा सरकार में मनजिंदर सिंह सिरसा को मंत्री पद दिया गया है। भाजपा नेता कुलवंत सिंह बाठ का आरोप है कि पंजाबी भाषा के साथ भी केजरीवाल सरकार के कार्यकाल में कई बार सौतेला व्यवहार करते हुए ऐसी एजूकेशन नीतियां बनाई गई जिससे पंजाबी भाषा को निचले पायदान पर भेज दिया गया ताकि बच्चे पंजाबी भाषा पढ़ ही ना पाएं। पंजाबी टीचर्स के साथ भी कुछ इस तरह का ही व्यवहार किया गया। जबकि पंजाबियों के दम पर ही दिल्ली में 3 बार आप की सरकार बनी। पंजाब में पहले 6 सांसद और फिर पूर्ण बहुमत के साथ पंजाबियों ने आम आदमी पार्टी को मौका दिया। दिल्ली की हार के बाद यह कयास लगाए जाने लगे कि अब केजरीवाल की निगाहें पंजाब पर टिकी हैं कि किसी भी तरह से पंजाब की सत्ता अपने हाथ में ले ली जाए।
पूर्व में जरनैल सिंह को पंजाब का प्रभारी भले ही बनाया गया था मगर कमान संदीप पाठक के हाथों में दी गई थी और आज पूरी तरह से जरनैल सिंह को जो कि चौथी बार अपने दम पर तिलक नगर से विधानसभा चुनाव जीते, उन्हें दरकिनार कर मनीष सिसोदिया को प्रभारी और सतेन्द्र जैन को सह प्रभारी बना दिया गया जिससे एक बार फिर से केजरीवाल के सिख विरोधी होने का प्रमाण साफ दिखाई दे रहा है मगर शायद केजरीवाल यह नहीं जानते कि पंजाब के लोग इसे कभी भी स्वीकार नहीं करेंगे और उन्हंे इसका खामियाजा अगामी चुनावों में भुगतना पड़ेगा।
गुरुद्वारा बंगला साहिब के सरोवर की कार सेवा पूरी
दिल्ली के गुरुद्वारा बंगला साहिब में बना सरोवर जिसकी स्थापना 1976 में कार सेवा वाले बाबा हरबंस सिंह जी के द्वारा की गई थी और तब से हर 10 साल बाद इसकी सफाई की कार सेवा की जाती है जिसमें पूरा सरोवर खाली करने के पश्चात संगत के द्वारा जमा काई को साफ कर नए सिरे से रेता डालकर मरमम्त के पश्चात पुनः जल भरा जाता है। इस बार भी सेवा बीते रविवार को दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबन्धक कमेटी द्वारा बाबा बचन सिंह जी, बाबा सुरेंद्र सिंह जी की रहनुमाई मेें शुरू हुई और संगत ने एक दिन में ही इसे पूरा कर दिया जिसके बाद इसमें जल भरकर संगत के लिए खोल दिया गया है।
जिस स्थान पर सरोवर बना है वह जगह तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी के द्वारा योग गुरु धीरेन्द्र ब्रह्मचारी को दे दी गई थी मगर उस समय की सिख लीडरशिप के सख्त विरोध के आगे प्रधानमंत्री को झुकना पड़ा क्योंकि सिख समुदाय का मानना था कि गुरुद्वारा साहिब परिसर में किसी तरह का योग शिविर नहीं लगाया जा सकता। जिसके बाद सरकार ने यह जमीन गुरुद्वारा साहिब को सौंपते हुए सड़क के दूसरी ओर अशोका रोड पर योग गुरु को जगह दी और इस स्थान पर कार सेवा बाबा हरबंस सिंह जी के द्वारा विशाल सरोवर तैयार किया जिसमें स्नान करके संगत के दुख दूर होते हैं।
पाकिस्तान में सिख डॉक्टर की सेवाएं
सागरजीत सिंह जो कि पाकिस्तान के तीसरे और सिन्ध प्रान्त के पहले सिख एमबीबीएस डॉक्टर बने हैं जो कि पाकिस्तान में रहकर अपनी सेवाएं दे रहे हैं। सागरजीत सिंह की यात्रा कठिन परिश्रम, संकल्प और शिक्षा की शक्ति का प्रमाण है। पाकिस्तान के शिकारपुर में एक निम्न मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मे सागरजीत की मां ने यह सुनिश्चित करने के लिए हर चीज़ का बलिदान दिया कि उनके बेटे को गुणवत्ता वाली शिक्षा मिले। उनकी मेहनत रंग लाई जब सागरजीत ने अपने जिले की प्रवेश परीक्षा में छठा स्थान प्राप्त किया और चांदका मेडिकल कॉलेज में दाखिला प्राप्त करने के लिए दो छात्रवृत्तियां प्राप्त की। उन्होंने अपने हाउस जॉब की शुरुआत कराची में की। वर्तमान में सागरजीत नेफ्रोलॉजी में प्रशिक्षण ले रहे हैं, जिसमें वे किडनी ट्रांसप्लांट और नेफ्रोलॉजी में विशेषज्ञता प्राप्त कर रहे हैं। वे इस संस्थान का हिस्सा होने पर गर्व महसूस करते हैं, जो ट्रांसप्लांटेशन में अग्रणी कार्य के लिए जाना जाता है। उनका मानना है कि शिक्षा असली रत्न और संपत्ति है जिसे कभी चुराया नहीं जा सकता। यह आपकी क्षमताओं को निखारती है और आपके चरित्र का निर्माण करती है।