17 वर्षों से वरिष्ठ नागरिकों के लिए काम करते हुए उनके अनुभवों से पुस्तकें लिखीं ताकि आने वाली पीढिय़ों को और आने वाले समय के वरिष्ठ नागरिकों को कुछ जिन्दगी के सत्य मालूम हों और जिन्दगी उसके अनुसार ढालें या सीख कर अपने आप को सुरक्षित कर लें क्योंकि मेरी किताबों में सच्ची बातें हैं। कोई कहानियां नहीं हैं जो कहीं से ली गईं हों। वो बुजुर्गों और उनके बच्चों की खट्टी-मिट्ठी आपबीती है। जैसे आशीर्वाद, जीवन संध्या, जिन्दगी का सफर, कल आज और कल, अनुभव, ब्लैसिंग और बेटियां। जब भी मुझे किसी की कोई अच्छी-बुरी बात समझ आती है तो मैं लिखती हूं। अच्छी बात में तो नाम लिख देती हूं, बुरी बात में नाम नहीं लिखती परन्तु वह इस तरह लिखती हूं जिसने गलत किया उसको अच्छी तरह से समझ भी आ जाए और उसके? दिल को भी लगे और कइयों ने तो पढऩे के बाद अपने को सुधारा भी।
आज का ऐसा समय है कि सास और बहुएं समझदार हो गई हैं और शिकायत का मौका कम ही एक-दूसरे को देती हैं परन्तु अभी भी कुछ बड़े बिगड़े केस हैं। माता-पिता, सास-ससुर खून के आंसू रोते हैं और कुछ ऐसे भी हैं जो दुनिया के सामने उदाहरण बनते हैं। जब कोई भी लडक़ी अपने सास-ससुर की सेवा करती है तो वह अपने मां-बाप का नाम रोशन करती है कि उसकी मां ने उसे अच्छे संस्कार दिए हैं। इससे वह दोनों घरों की इज्जत और मर्यादा को बनाकर रखती है। आशीर्वाद, प्यार लेती है, इसलिए मैंने सास का नाम मदर इन लव और बहू का नाम डॉटर एन लव रखा है। इससे प्यारा रिश्ता कोई नहीं है। सास यानी मदर इन लव जो अपने बेटे को दुलार से पालती है, पढ़ाती है, अच्छा इंसान बनाती है। फिर बड़े लाड-चाव से बहू ब्याह कर लाती है कि उसका परिवार आगे बढ़े। वो अपने बेटे की खुशियां अपनी बहू को प्यार कर उसमें ढूंढती है और तभी उसे मदर इन लव कहते हैं और जैसे मां-बेटी का? रिश्ता होता है वैसे ही चलता है। कभी मां बहू, बेटी को समझाती है, व्यवहार करना सिखाती है, अच्छी बेटियां जो अपने मां-बाप से अच्छे संस्कार लेकर आती हैं उसे समझाने-बुझाने को सहेज कर रखती है। जैसे अपनी मां की डांट और सिखाने को जो अच्छे संस्कार नहीं लेकर आती वो अच्छी भली मदर इन लव को सास बना देती है। आज मैं आपको तीन बहुओं का उदाहरण देती हूं जो खुद डॉटर इन लव हैं और वह अपनी मदर इन लव की कितनी चहेतियां हैं।
सबसे पहले में गुजरांवाला ब्रांच की हैड विधू जी जो कुछ साल पहले बैस्ट बहू का अवार्ड ले चुकी हैं। उनके बारे में बताती हूं वास्तविक अवार्ड तब होता जब उनका कुछ अच्छा सुना-देखा जाता है और या उसके सास-ससुर क्लब में आकर उनकी अच्छाइयां बताते हैं। हमारे क्लब में किसी की भी बुराई करना मना है। सभी अच्छाई ही करते हैं परन्तु कइयों के फेस बता देते हैं कि अच्छाई, सच्ची है या बनावटी परन्तु विधू का तो मैं पिछले कई महीनों से निजी तौर पर अनुभव कर रही हूं। उनकी मदर इन लॉ बीमार हैं। कई दिन अस्पताल में एडमिट रहीं, बेहोश भी रहीं। जब मैं देखने गई तो वो बेहोशी में सिर्फ एक ही नाम लेती थीं विधू कहां हैं, विधू को कहो मुझे बिठाए, विधू को कहो मुझे खिलाये और उसका हाथ कसकर पकड़ लेती थी और कहती की सभी बाहर चले जाओ, सिर्फ विधू मेरे पास रहेगी। फिर विधू का हाथ पकड़ कर कहती कि विधू मेरे पास रह, मेरे को अकेले नहीं छोडऩा। उनके आसपास उनका बेटा-बेटी और निकट संबंधी भी हमेशा सेवा कर रहे थे परन्तु उनके मुंह पर एक ही नाम था? विधू यानी आप सोच सकते हो बेहोशी में भी उन्हें एक ही नाम पर विश्वास था ‘विधू’। अभी-अभी जब मेरी फोन पर बात हुई तो विधू ने उनसे मेरी बात कराई जो मैंने उन्हें कहा कितनी अच्छी है आपकी बहू कहती है नजर न लग जाए। बहुत सेवा करती है, बहुत ख्याल रखती है मेरा। अभी भी पूरी तरह ठीक नहीं पर दिल से बात करती है। यानी कहने का भाव है जो सास बहू को बेहोशी में भी याद करती है, उसी से सेवा कराना चाहती है, उसको देखना चाहती है तो ऐसी बहू तो सबके लिए एक उदाहरण है।
दूसरा मैं जी.के. ब्रांच के वीरेन्द्र मेहता जी की बहू प्रेरणा की तारीफ किए बगैर नहीं रह सकती जो पढ़ी-लिखी है और लंदन में पोस्टिड थी। वह लंदन छोड़ कर दिल्ली अपने सास-ससुर के पास आ गई कि उन्हें इस उम्र में अकेला नहीं छोडऩा। उनका बेटा और मैं ही सब कुछ हैं और प्रोग्राम में जज भी बनी और किसी काम से वह बाहर थी परन्तु उसे हमें वी.एन.के.सी. के लिए वीडियो भेजनी थी, मुश्किल हो रही थी। नैटवर्क नहीं था परन्तु फिर भी उसने कैसे मैनेज किया। यह मैं ही जानती हंू क्योंकि उसे अपने सास-ससुर के मान-सम्मान का फिक्र था और उन्हें हर हाल में खुश रखना चाहती है। बहुत ही पढ़ी-लिखी फैमली है, बहुत समझदार है। वीरेन्द्र मेहता जी रोज पंजाब केसरी में कविता लिखते हैं।
ऐसे तो मेरे सामने बहुत से उदाहरण हैं और हमारी बुक मदर इन लव भी तैयार है और समय-समय पर मैं लिखती रहूंगी परन्तु मैं सबसे बेस्ट बहू के बारे में लिखना नहीं भूलूंगी वो है मेरी बहू सोनम जो दुनिया के लिए एक उदाहरण है। जिससे मैं भी बहुत कुछ सीखती हूं। बहुत पढ़ी-लिखी, समझदार है। मेरा बहुत ख्याल रखती है। बड़ी सिस्टेमेटिक है। यही नहीं जब से अश्विजी जी गए हैं हमेशा मेरे पीछे रहती है, उसको मेरे खाने, पहनने तक का ख्याल है। हर समय यही कहती है रोना मत मैं हूं न। आप हमेशा वैसे रहो जैसे पापा आपको देखना चाहते थे। हमेशा तैयार रहो। अच्छे कपड़े पहनो, बाहर सहेलियों के साथ जाओ। हर समय सामाजिक या ऑफिस का काम ही करते हो। कुछ एंज्वाय भी करो, मेरे साथ बेटियों की तरह लाड़ लड़ाती है, जिद्द भी करती है। सबसे बड़ी बात मेरा कोई सूट अच्छा लगे तो उसे ठीक करवा कर खुशी-खुशी पहनती है और कहती है मुझे आपके पारम्परिक सूट पहनना अच्छा लगता है, ऐसा वो ही कर सकती है।
यही नहीं इस दीवाली पर उसकी मम्मी मेरे लिए रेड सूट और बिन्दी लेकर आई कि बेटों की माएं बिन्दी नहीं उतारतीं और रेड सूट भी पहनोगी। मुझे पूरा यकीन है यह मेरी डॉटर इन लव सोनम का आइडिया ही होगा, क्योंकि उसके माता-पिता बहुत अच्छे हैं। हमेशा अपनी बेटी को यही सीख देते हैं कि जैसा मम्मी कहे वैसा करना है। उन्होंने मुझे बड़ी संस्कारों वाली बेटी दी है, जो मेरे से ज्यादा पूजा-पाठ में विश्वास करती है। मॉडर्न भी है, ट्रेडिशनल भी है। कोई घर में मेहमान आए तो मुझे फिक्र नहीं, मीनू से लेकर टेबल सजाना और मेहमानों की दिल से सेवा करती है और मुझे हमेशा कहती है मुझ पर छोड़ दो सब आप। फिक्र न करो रेस्ट करो, यही नहीं बहुत बड़ा दिल है।
मैंने पूजा का दीया उससे बनाना सीखा। अपनी अलमारियों को कैसे सैट रखा जाता है उससे सीखा। वो मुझे कभी डगमगाने नहीं देती। मुझे बोल्ड बनाती है और हमेशा मेरे आंसू पोछ मुझे हंसना सीखाती है और मुझे बेटियों की तरह भरोसा देती है कि पापा कहीं नहीं गए हैं, आपके अन्दर हैं दिल में। हम सबके दिलों में हैं। हमारे आसपास हैं। मगर आप रोओगे तो वह दुखी होंगे। बच्चों को थोड़ी-थोड़ी देर बाद मुझे प्यार करने को भेजती है ताकि मेरा कोई पल उदास न हो। अगर मैं सोनम के बारे में पूरा? लिखूं तो मुझे काफी समय और काफी पेज चाहिए।
मैं प्रभु से आशा करती हूं, प्रार्थना करती हूं कि सबको विधू, प्रेरणा, सोनम जैसी बहुएं मिलें। सच में पूछो तो इनके अच्छे होने का श्रेय इनके माता-पिता और फिर सबसे ज्यादा बेटों को देती हूं। अगर बेटे अच्छे हैं जो माता-पिता को प्यार करते हैं, इज्जत देते हैं तो कोई भी बेटियां बुरी नहीं हो सकतीं। अभी 17 तारीख को भोलानाथ जी की पहली पुण्यतिथि है, जिन्होंने मुझे विधू से मिलाया वो भी स्वर्ग से उसे आशीर्वाद दे रहे होंगे और अश्विनी जी जिनकी 18 जनवरी को दूसरी पुण्यतिथि है, वो भी स्वर्ग से अपनी प्रींसीस सोनम को आशीर्वाद दे रहे होंगे।