जीवन-मरण, यश-अपयश, हानि-लाभ सब विधि हाथ। हमारे हाथ में कुछ नहीं, जीवन में आना-जाना लगा रहता है और जबसे मैंने वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब का काम शुरू किया है। लगभग रोज ही किसी न किसी का जाना होता है। लाखों में सदस्य हैं परन्तु कई सदस्य ऐसे होते हैं जो अपनी अमिट छाप छोड़ जाते हैं। आप उसे भुलाए नहीं भूलते। कई ऐसे काम कर जाते हैं जो हमेशा याद आते हैं। यही नहीं कई समाजसेवी राष्टï्रभक्त ऐसे हैं जिनकी सेवाएं भूले नहीं भूलतीं।
मेरा दूसरा काम है जरूरतमंद या सेवा बस्ती की लड़कियों को आत्मनिर्भर बनाना या उनको उनके पांवों पर खड़ा करना जो मेहनत करके अपनी जिन्दगी को सम्मानपूर्वक चला सकें। जो चौपाल नामक संस्था द्वारा काम होता है। हम जानते हैं कि अगर कोई जरूरतमंद महिला अपना काम करना चाहे छोटा-मोटा रोजगार करना चाहे तो उसे आर्थिक मदद की जरूरत होती है तो अक्सर उसकी मदद करने वाले उसका शोषण करते हैं। सो यह कार्य राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के वरिष्ठ प्रचारक मदन दास देवी जी और केदारनाथ साहनी जी द्वारा आरम्भ किया गया था। उन दोनों ने मिलकर अश्विनी जी की सहमति से मुझे चौपाल की मुख्य संरक्षिका बनाया। मुझे बहुत मान-सम्मान दिया जिसको आगे चलाया स्व. भोलानाथ विज जी ने अपनी सशक्त टीम के साथ।
आदरणीय माननीय मदन दास देवी जी जो 81 वर्ष के थे, उनका 24 जुलाई को सुबह करीब पांच बजे बैंगलुरु में स्वर्गवास हो गया। जब मुझे सुबह-सुबह यह खबर मालूम हुई तो मुझे बहुत बड़ी क्षति का अहसास हुआ। ऐसे लगा फिर एक सशक्त हाथ (पिता समान) मेरे सिर से उठ गया या यूं कह लो सभी चौपाल के सदस्यों के सिर से हाथ उठ गया, क्योंकि पूरी टीम एक परिवार की तरह काम करती है और हमेशा आदरणीय मदन देवी दास जी का आशीर्वाद प्राप्त करती रही है। अभी पिछले 4-5 सालों से वह स्वस्थ नहीं थे परन्तु उससे पहले हमारे अक्सर कई प्रोग्रामों में रहते थे। उनकी उम्र, उनका जज्बा देखकर हम सबका उत्साह बढ़ता था। सब प्रेरित होते थे चाहे वो यमुनापार प्रोग्राम होता या दिल्ली के किसी कोने में। कहीं और वो प्रोग्राम के बाद हम सबके साथ मिलकर भोजन करते और उन्हें एक-एक का नाम, काम सब ध्यान में रहता था। राष्ट्र निर्माण में तो उनका योगदान था ही परन्तु चौपाल में भी उनका बहुत योगदान था। हम सब उनसे बहुत प्रेरणा लेते थे। अभी के आखिरी समय में उनकी बात कम समझ आती तो फिर भी वह अपनी पूरी बात कहते थे। उनको स्टेज पर चढऩे में मुश्किल आती थी। फिर भी वो पूरे प्रोग्राम में बैठते थे। भले ही वो चले गए परन्तु उन्हें जमाना याद रखेगा। हर कार्यकर्ता याद रखेगा। मुझे याद है अश्विनी जी जब बीमार हुए तो उनसे चला नहीं जाता था फिर भी आदरणीय भोला नाथ विज जी के साथ उनका हाल पूछने आए। फिर जब अश्विनी जी चले गए तो मेरा हौंसला बढ़ाने के लिए आए। वो मेरी उनसे आखिरी मुलाकात थी। जाते-जाते मुझे काफी कुछ कह गए कि हमारी किरण बेटी शेरनी है, बैठेगी नहीं। हमेशा की तरह काम करेगी। अपने आपको व्यस्त रखेगी। उनकी यह पंक्तियां मुझे कभी नहीं भूलेंगी। अभी उनकी साफ आवाज नहीं थी परन्तु उनसे हर मुलाकात में उनके आशीर्वाद के साथ कुछ न कुछ सीखने को मिला। आरएसएस ने एक कुशाल संगठनकर्ता खो दिया और हमने अपने मार्गदर्शक खो दिए। आदरणीय रवि बंसल जी और राजकुमार भाटिया जी उन्हें अंतिम विदाई देने पूना गए। मेरा भी बहुत मन था, परन्तु बुखार हुआ था इसलिए नहीं जा सकी। चौपाल कार्यालय में सभी सदस्यों ने भावभीनी श्रद्धांजलि दी। जिसमें मुख्य रूप से चौपाल निदेशक सुनील सेठी, अंकुश विज, विकेश सेठी, प्रवीण बंसल एवं समाज से संजीव शर्मा, उमेश विज, युगेन्द्र ऋषि, मुकेश, पूर्व महापौर विपिन बिहारी सिंह, संजीव सभरवाल एवं चौपाल की समस्त कार्यकारिणी उपस्थित रही। वाकई ऐसे मार्गदर्शक तथा अनेकों संस्थाओं के माध्यम से अपनी सेवा प्रदान करने वाले मदन दास देवी जी को जमाना
याद रखेगा।