कनाडा में हुए चुनावों के परिणामों ने साफ कर दिया कि कनाडा में रहने वाले ज्यादातर हिन्दू सिख में से कोई भी खालिस्तानी समर्थक नहीं हैं और जगमीत सिंह जैसे नेता जो खालिस्तानीयों को खुलकर समर्थन करते थे, खालिस्तान बनवाने की बात करते थे, आज न सिर्फ उनकी पार्टी बुरी तरह से चुनाव हार गई, बल्कि वह स्वयं अपनी सीट भी नहीं बचा पाए। बीते समय में देखने में आ रहा था कि पूर्व प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो भारत से केवल इसलिए सम्बन्ध बिगाड़ रहे थे क्योंकि उनकी सरकार खालिस्तानी समर्थकों के रहमो-करम पर चल रही थी। सिख ब्रदर्सहुड इन्टरनैशनल के राष्ट्रीय सैकेट्री जनरल गुणजीत सिंह बख्शी का मानना है कि जगमीत सिंह ने ट्रूडो सरकार को समर्थन के बदले अपने खालिस्तानी एजेंडों को आगे बढ़ाया, मगर आज जनता ने जगमीत सिंह और उनके समर्थकों को उनकी औकात दिखा दी।
जगमीत सिंह की पार्टी एनडीपी यानी न्यू डैमोक्रेटिक पार्टी की करारी हार के बाद उसका राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा भी छिन गया। पार्टी को नेशनल स्टेटस के लिए 12 सीटों की जरूरत थी, मगर एनडीपी मात्र 7 सीट ही जीत पाई। इससे निश्चित तौर पर कनाडा ही नहीं अन्य देशों में बैठकर भी जो लोग खालिस्तानियों को समर्थन दे रहे हैं उन्हें भी अब समझ आ जानी चाहिए कि अगर उन्होंने इनकी गतिविधियों को नहीं रोका तो आने वाले समय में वहां की जनता भी कनाडा वासियों की तरह उन्हें भी सत्ता से बाहर का रास्ता दिखा सकती है। कनाडा में तो लोगों ने सड़कों पर जगमीत सिंह के खिलाफ पोस्टर वार भी शुरू कर दी है, जिसमें उन्होंने चेतावनी दी है कि केवल खालिस्तािनयों को समर्थन के चलते जगमीत सिंह और उनकी पार्टी का इतना बुरा हश्र हुआ है अन्यथा यह वही लोग थे जिन्होंने पिछले चुनावों मंे जगमीत सिंह को खुलकर समर्थन दिया था। ट्रूडो सरकार के जाते ही अब लगने लगा है कि खालिस्तानियों का जल्द ही कनाडा से बोरी बिस्तर गोल होने वाला है, क्योंकि लिबरल पार्टी के लोग कभी भी नहीं चाहेंगे कि खालिस्तानियों को पनाह देने की सजा उन्हें अगले चुनावों में भुगतनी पड़े।
गुरु ग्रन्थ साहिब के स्वरूपों को जबरन उठाना कितना सही?
गुरु ग्रन्थ साहिब कोे गुरु गोबिन्द सिंह जी के द्वारा जीवित गुरु का दर्जा देकर सिख समाज को उन्हें अपना गुरु मानने का आदेश दिया तभी से सिख समाज ही नहीं बल्कि वह सभी लोग भी जो इस बात को स्वीकारते हैं कि गुरु ग्रन्थ साहिब में सिख गुरु साहिबान के अलावा अनेक हिन्दू, मुस्लिम भक्तों, संत महापुरुषों की बाणी दर्ज है। गुरु नानक देव जी के पुत्र बाबा श्रीचन्द जी को मानने वाले लोग भी गुरु ग्रन्थ साहिब का पूर्ण सम्मान करते हैं।
आज भी बिहार सहित देश के अन्य शहरों में बाबा श्रीचन्द जी से सम्बिन्धित हजारों ऐसे मठ हैं जहां गुरु ग्रन्थ साहिब को सुशोभित किया हुआ है। सिन्धी समाज के लोग जो गुरु नानक देव जी को अपना गुरु मानते हैं और अपना हर कार्य गुरु ग्रन्थ साहिब जी को समर्पण होकर करते हैं। संत रविदास, संत कबीर के भी कई स्थान हैं जहां गुरु ग्रन्थ साहिब रखा हुआ है मगर पिछले कुछ समय से सिख पंथ में पनपते कट्टरवाद ने धीरे-धीरे इन सभी समाज के लोगों को गुरु साहिब से दूर करने में प्राथमिकता दिखाई है। कट्टरवादी संस्थाओं के लोग धर्म के ठेकेदार बनकर जबरन इन स्थानों पर जाकर मर्यादा में चूक की बात कर वहां से गुरु ग्रन्थ साहिब को जबरन उठाकर ले जा रहे हैं। इनमें से कई तो ऐसे हस्तलिखित स्वरूप भी रहते हैं जिन्हें लाखों, करोड़ों में बेचने की बात भी चर्चा में रहती है। बिहार सिख फैडरेशन के संरक्षक त्रिलोक सिंह निषाद का मानना है कि सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी ने लोगों को कर्मकाण्डों से दूर कर जिस मार्ग पर चलना सिखाया आज सिख धर्म के अपने ही लोग गुरु नानक के मिश्न को तार-तार कर सभी को अपनों से दूर करने पर उतारु हैं। असल में खामियां तो इनके अपने अन्दर हैं जो आज तक सिख धर्म की मर्यादा की जानकारी ही सही ढंग से समाज के लोगों को देने में असफल रहे हैं। चाहिए तो यह कि जहां पर धर्म के ठेकेदार बने लोगों को लगे कि जिस स्थान में गुरु ग्रन्थ साहिब रखे हुए हैं वहां मर्यादा का पालन सही ढंग से नहीं हो रहा, ऐसे में अपने पास से ग्रन्थी सिंह ले जाकर वहां लगाएं जिससे पूर्ण मर्यादित तरीके से गुरु साहिब का सत्कार हो सके मगर इस प्रकार जबरन हथियारों के दम पर आकर गुरु ग्रन्थ साहिब के स्वरूपों को उठाकर ले जाना उचित नहीं है।
साबत सूरत सिख नौजवान बनेगा डीसी : सिख समाज को अक्सर शिकायत रहती है कि उनके बच्चे सिविल सर्विसिज में पिछड़ते जा रहे हैं जिसके चलते उच्च पदों पर आज पगड़ीधारी सिख देखने को नहीं मिलते अगर हैं भी तो उनमें से ज्यादातर सिखी स्वरूप में नहीं हैं। मगर इस बार 16 के करीब सिख बच्चों ने इस परीक्षा में सफल होकर समूची कौम को गौरवांवित किया है। दिल्ली के अंगद सिंह जिसका 162वां रैंक आया है वह खास तौर पर सिख युवाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत बनकर उभरें हैं क्योंकि अंगद सिंह पूरी तरह से सिखी स्वरूप में हैं। अंगद सिंह को अपने दादा तारा सिंह अन्जान और नाना जगदीश सिंह वरियाम से मिली है जिन्होंने सिख समाज और खासकर मातृ भाषा पंजाबी के लिए अनेक कार्य किए हैं। अंगद सिंह ने समाज से यह वायदा किया है कि उसे जिस भी पद पर बैठने का सौभाग्य प्राप्त होगा वह सिख समाज के कार्यों को प्राथमिकता के साथ करेगा। इसी के चलते पंजाबी हैल्पलाईन के द्वारा अंगद सिंह को सम्मानित किया गया। संस्था के मुखी प्रकाश िसंह गिल का मानना है कि सभी सिंह सभाओं और गुरुद्वारा कमेटियों को अंगद सिंह जैसे युवाओं को आगे लाने के प्रयास किये जाने चाहिए।
भाई हरजिंदर सिंह जी को पद्म श्री सम्मान: भाई हरजिंदर सिंह जी, जिन्हें सम्मानपूर्वक “श्री नगर वाले” के नाम से जाना जाता है, एक अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध सिख हज़ूरी रागी हैं जो अपनी आत्मिक और मधुर गुरबाणी, कीर्तन प्रस्तुतियों के लिए जाने जाते हैं। 1958 में जन्मे भाई साहिब ने किशोरावस्था में ही कीर्तन करना शुरू कर दिया था और अधिकतर स्वयं-शिक्षित हैं।
उन्होंने शास्त्रीय और आधुनिक रागों का अद्वितीय संगम विकसित किया है। उनका जीवन मिशन सदैव यही रहा है कि शबद कीर्तन की आध्यात्मिक शक्ति से दुनियाभर के सिखों को एकजुट किया जाए। भाई हरजिन्दर सिंह को देश के राष्ट्रपति के द्वारा पद्मश्री सम्मान प्राप्त होना समूचे रागी जत्थों के लिए गर्व की बात है।