भारत-चीन संबंधों का भविष्य - Punjab Kesari
Girl in a jacket

भारत-चीन संबंधों का भविष्य

NULL

भारत और चीन दो पड़ोसी देश, सीमाएं भी मिली हुई, ब्रिटिश उपनिवेशवाद से एक ही समय संघर्ष। आपस में सहयोग सद्भाव। करीब-करीब एक ही समय आजादी (1947 एवं 1949) कभी ऐसा समय भी आया कि पंचशील के ‘नाद’ से दोनों देश गूंजते थे। कभी वह समय था जब हिन्दी-चीनी भाई-भाई के नारे गुंजायमान होते थे। चीन भगवान बुद्ध को मानने वाला देश और भारत भगवान बुद्ध को दसवें अवतार की संज्ञा देने वाला देश। हजारों वर्षों के इतिहास में कभी भी बैर या वैमनस्य का काेई उदाहरण नहीं रहा। दोनों देश विश्व के सबसे बड़े बाजार। चीन में आजादी के बाद से 1980 तक साम्यवाद और बाद में ‘पूंजी तंत्र’ को मान्यता।

भारत एक प्रजातंत्र और असीमित संभावनाएं। 1962 का युद्ध और सीमा विवाद के कारण जो गलत फहमियां दोनों देशों में बढ़ीं, उसका जो नुकसान दोनों देशों को हुआ, वह तो अपने आप में एक बात है ही परन्तु इसके साथ ही एशिया में समीकरण भी बदले। आज वक्त बदल चुका है। लोग यहां और वहां जब भी प्राचीन शास्त्रों पर शोध करते हैं तो पाते हैं कि दोनों देशों ने पुरानी नजदीकियों को नहीं समझा। चीन ने बार-बार भारत को परेशान किया। चीन की विस्तारवादी नीतियों के चलते चीन बार-बार हमारी सीमाओं में घुसपैठ करता रहा, उसकी नज़रें अरुणाचल पर लगी रहीं। हाल ही में डोकलाम विवाद में पहली बार चीन को भारत की तरफ से कड़े प्रतिरोध का सामना करना पड़ा और अंततः चीन ने समझदारी दिखाई। अब जबकि चीन में कम्युनिस्ट पार्टी का सम्मेलन चल रहा है और सम्मेलन में चीन के अगले प्रमुख को चुनना और नीतियों का ऐलान करना है।

सम्मेलन में चीन के राष्ट्रपति शी जिन​पिंग का पुनः पार्टी प्रमुख बनाया जाना तय है। चीनी राष्ट्रपति वर्ष 2012 में सत्ता में आए थे तब चीन की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही थी। पांच दशक पहले जब चीन में सांस्कृतिक क्रांति का तूफान आया हुआ था उस समय 15 वर्ष के लड़के शी जिन​पिंग ने देहात में खेती शुरू की। एक खेतिहार एक ऐसे देश का नेतृत्व कर रहा है जो दुनिया की सुपर पावर के तौर पर उभर रहा है लेकिन चीन ऐसा देश है जो इस बात पर कड़ी नज़र रखता है कि उसके नेता के बारे में क्या कहा जाता है। चीन के राष्ट्रपति के संबोधन पर चीन की ही नहीं ​बल्कि पूरे विश्व की नज़रें लगी हुई थीं। भारत के लिए शी जिन​पिंग के संबाेधन का अर्थ है। शी जिनपिंग ने अपने लम्बे सम्बोधन में आशंकित पड़ोसियों से विवाद को बातचीत के जरिए सुलझाने का भरोसा दिया। उन्होंने कहा कि चीन कभी आम हितों की कीमत पर अपने विकास को आगे नहीं बढ़ाएगा, न ही अपने वैध अधिकारों एवं हितों को छोड़ेगा। किसी को भी यह आशंका नहीं होनी चाहिए कि चीन वो कुछ निगल लेगा जो उसके हितों को कमजोर करता है।

चीन और भारत में सीमा विवाद है। इस विवाद को सुलझाने के लिए निरंतर बैठकें होती रही हैं लेकिन विवाद सुलझ नहीं रहा। इस संदर्भ में देखें तो शी जिनपिंग का वक्तव्य स्वागत योग्य है कि चीन पड़ोसियों से सभी विवाद बातचीत से सुलझाएगा। आज जिस तरह से आर्थिक वैश्वीकरण ने दुनिया का स्वरूप बदल दिया है। भारत-चीन को अपने आर्थिक हितों के संरक्षण के लिए आर्थिक सहयोग समेत हर तरह का सहयोग जरूरी है। दुनिया की विशाल आबादी भारत और चीन में रहती है और आर्थिक सम्पन्नता के लिए दोनों देशों के बाजार शेष दुनिया की सम्पन्नता के लिए आवश्यक शर्त बन चुके हैं। चीन की सीमाएं हमसे 6 स्थानों पर मिलती हैं। आर्थिक सहयोग और सामरिक हित एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। दो देशों के बीच आपसी कारोबारी रिश्ते के पुख्ता होने की पहली शर्त यही होती है कि उनकी सीमाअाें पर गोलियों की दनदनाहट की जगह मिलिट्री बैंडों की धुन सुनाई दे।

मगर इसके लिए जरूरी है कि इन देशों की सोच विभिन्न समस्याओं पर एक जैसी हो और वे अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर एक आवाज में बोले तभी आपसी हित सुरक्षित रह सकते हैं परन्तु चीन और भारत में कई मुद्दों पर मतभेद हैं। उनकी वजह है पाकिस्तान और आतंकवाद। चीन ने बार-बार पाकिस्तानी आतंकवादी मसूद अजहर को आतंकवादियों की सूची में डालने के भारत के प्रयासों में संयुक्त राष्ट्र में अड़ंगा लगाया। चीन-पाक आर्थिक गलियारा जो पाक अधिकृत कश्मीर से होकर गुजरता है, उसे लेकर भी मतभेद हैं। भारत-चीन संबंधों को लेकर भविष्य में क्या होगा लेकिन शी जिनपिंग के पुनः सत्ता में आने से बड़े बदलाव की उम्मीद करना अभी मुश्किल लगता है। चीन ने अपने आर्थिक विकास और सांप्रदायिक नीति का जो एजैंडा तय किया है उससे लगता है कि हिन्द महासागर में उसका दखल बढ़ेगा। हिन्द महासागर भारत और चीन के बीच बड़ा मुद्दा है। हिन्द महासागर में चीनी नौसेना की मौजूदगी भारतीय हितों के खिलाफ नहीं होगी, भारत इस बात का भरोसा चीन से चाहता है। भारत और चीन किस तरह से अपने रणनीतिक हितों का प्रबंधन करते हैं, दोनों देशों के सामने यही बड़ी चुनौती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

six − 5 =

Girl in a jacket
पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।