सिख इतिहास से छेड़छाड़ के मामलों में निरन्तर बढ़ौतरी होती जा रही है, क्योंकि आज तक किसी भी ऐसे व्यक्ति जिसने ऐसा किया उसे सजा नहीं मिली अन्यथा किसी की ऐसा करने की हिम्मत ना होती। जब भी कभी इस तरह के मामले सामने आते हैं सिख समुदाय के रहनुमा बने धार्मिक जत्थेबंिदयों के द्वारा उनसे माफीनामा लेकर माफ कर दिया जाता है जिसके चलते ऐसे लोगों के हौसले बुलंद हो जाते हैं। अक्सर फिल्म निर्माताओं के द्वारा अपनी फिल्मों में जानबूझकर ऐसे दृश्य फिल्माए जाते हैं जिससे सिख समुदाय के दिलों को ठेस पहुंचे फिर सिख समुदाय के एतराज के बाद उन दृश्यों को हटा दिया जाता है। ऐसा करने से उनकी फिल्म को बिना पैसा खर्च किए ही प्रसिद्धि मिल जाती है। अभी हाल ही में ध्रुव राठी नाम के एक यूट्यूबर के द्वारा ना सिर्फ सिख इतिहास को तरोड़-मरोड़ कर अपने चैनल पर पेश किया गया, बल्कि गुरु गोबिन्द सिंह, साहिबजादों आदि को एआई तकनीक के माध्यम से एनीमेशन के रूप में दिखाया गया जिसकी सिख धर्म में सख्त मनाही है। गुरु साहिबान तो क्या आज तक सिख शहीदों को भी काल्पिनक रूप मेें नहीं दिखाया जा सकता मगर इतिहास में ध्रुव राठी ऐसे पहले व्यक्ति होंगे जिन्होंने ऐसी जुर्रत कर चैनल पर दिखाया गया। बाबा बन्दा सिंह बहादुर को तो सिख ही नहीं बताया गया और भी कई तरह की आपत्तिजनक बातें इसमें की गई जिसका सिख समुदाय के द्वारा विरोध किया गया। शिरोमणी गुरुद्वारा प्रबन्धक कमेटी, दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबन्धक कमेटी सहित अनेक धार्मिक जत्थेबंिदयों के द्वारा ध्रुव राठी को वीिडयाे डिलीट करने की चेतावनी दी गई जिसके बाद हालांकि उसने वीिडयो डिलीट कर दी है मगर अब तक लाखों लोग इस वीिडयो को देख चुके हैं और कईयों ने तो डाउनलोड करके भी रख ली होगी। सिख बुद्धिजीवी डा. गुरमीत सिंह सूरा का मानना है कि इस अपराध के लिए यूट्यूबर ध्रुव राठी को केवल माफी मांगने और वीडियो डिलीट करने पर माफ नहीं किया जाना चाहिए, बल्कि देश के हर राज्य से, हर शहर से सिख समुदाय को इस शख्स के खिलाफ कानूनी कार्यवाही करते हुए केस रजिस्ट्रड करवाने चाहिए ताकि भविष्य में कोई भी ऐसी गलती करने की जुर्रत नहीं कर सके अन्यथा कल फिर कोई उठेगा और सिख इतिहास से छेड़छाड़ करके बाद में माफी मांगने लगेगा। ध्रुव राठी जो भी वीडियो बनाते हैं उसकी पूरी खोजबीन कर तथ्यों के आधार पर बनाते हैं इसलिए ऐसा नहीं हो सकता कि उन्होंने सिख इतिहास की जानकारी ना ली हों मगर जिस प्रकार उन्होंने अपनी इस वीडियो में दिखाया उसे देखकर ज्ञात होता है कि उनकी मंशा ही सिख समुदाय के हृदयों को चोटिल करने की थी या फिर यह भी हो सकता है कि किसी ने उन्हें लालच देकर इस तरह की वीडियो न बनवाई हो, इसकी जांच होनी चाहिए।
सिखों का धर्म परिवर्तन गंभीर चिन्ता का विषय : इतिहास गवाह है कि गुरु नानक देव जी से लेकर गुरु गोबिन्द सिंह जी तक किसी ने भी कभी किसी दूसरे धर्म के व्यक्ति का जबरन धर्म परिवर्तन नहीं करवाया। गुरु साहिबान कहते थे कि हर धर्म का सम्मान अवश्य करो मगर जिस भी धर्म में आपने जन्म लिया उसमें पक्के रहो। मगर आज जिस प्रकार से सिख धर्म के लोगों का धर्म परिवर्तन करवाया जा रहा है यह गंभीर चिन्ता का विषय है जिसकी गहराई तक पहुंचना धार्मिक जत्थेबंिदयों के लिए बेहद जरूरी है। पंजाब से अक्सर इस प्रकार की खबरें आती रहती हैं जहां इसाई मिश्नरियों के द्वारा जरूरतमंद सिख परिवारों के लोगों की जरूरतें पूरी करने के बदले उनसे धर्म परिवर्तन करवाया जाता है। धर्म परिवर्तन का मामला संसद में भी उठ चुका है और देश के गृहमंत्री अमित शाह के द्वारा भी इस पर चिन्ता व्यक्त करते हुए इसे रोकने के लिए राज्य सरकारों को कदम उठाने के लिए कहा था। बावजूद इसके नेपाल से सटे उ.प्र. के पीलीभीत में एक साथ 3000 सिखों के धर्म परिवर्तन का मामला सामने आने के बाद समूचा सिख जगत हरकत में आ गया है। श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार सिंह साहिब ज्ञानी कुलदीप सिंह गड़गज ने भी इस पर चिन्ता व्यक्त की है।
साहिबजादों का गुरुद्वारा साहिब पुनः विवादों में : दिल्ली के फतेह नगर स्थित छोटे साहिबजादा गुरुद्वारा साहिब जिसके कोई एतिहासिक प्रमाण मौजूद नहीं हैं, पर फिर भी इसे गुरु गोबिन्द सिंह जी के छोटे साहिबजादे बाबा जोरावर सिंह, बाबा फतेह सिंह की याद में स्थापित किया गया है जो कि अक्सर विवादों में रहता है। छोटे से कमरे से विशाल गुरुद्वारा साहिब में तब्दील हुए इस गुरुद्वारा साहिब में हर मंगलवार को संगत की विशाल एकत्रता देखने को मिलती है जबकि सिख धर्म में सभी दिन-वार एक सामान माने जाते हैं, पर यहां पर हर मंगलवार को ही संगत के आने पर कई बार उंगलियां उठती हैं। यहां की कमेटी में भी कई बार आपसी विवाद देखने को मिलता रहता है। गुरुद्वारा साहिब की नई बनी सराए में एक दीवार को सरहिन्द की दीवार बनाकर उसमें से साहिबजादों के सिर, पैर और हाथ सुनहरे धातु से बनाकर दर्शाए गए जिस पर गुरुद्वारा साहिब एक बार पुनः विवादों में घिर गया। हालांकि सिख संगत के भारी रोष के चलते कमेटी ने इसे तुरन्त हटा दिया मगर सवाल यह उठता है कि आखिर ऐसा किया ही क्यों गया जबकि सिख धर्म में इस सब की सख्त मनाही है। कमेटी प्रबन्धकों का कहना है कि अर्पणा कौर नाम की महिला जो कि एक कलाकार है उसके द्वारा इसे तैयार करके लाया गया था। समाज सेवी कुलजीत सिंह भाटिया का मानना है भले ही अर्पणा सिंह इसे बनाकर लाई मगर कमेटी ने उसे लगाने की मंजूरी क्यों दी इसलिए कमेटी भी उतनी ही गुनहगार है जिसके चलते कमेटी सदस्यों पर भी धार्मिक कार्यवाही होनी चाहिए।