टूट के कगार पर स्पेन? - Punjab Kesari
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टूट के कगार पर स्पेन?

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स्पेन के कैटेलोनिया में अलगाववादी भावनाओं का इतिहास बहुत पुराना है। कैटेलोनिया में हाल ही में स्पेन से अलग होकर एक स्वतंत्र राष्ट्र बनने के मुद्दे पर जनमत संग्रह कराया गया। स्पेन की सरकार ने इस जनमत संग्रह को रोकने की बड़ी कोशिश की। पुलिस और कैटेलोनिया के बीच हिंसक झड़पें भी हुईं जिसमें 800 से ज्यादा लोग घायल हुए, मगर कैटेलोनिया के अलगाव समर्थक प्रदर्शनकारियों का जोश कम नहीं हुआ। जनमत संग्रह में भाग लेने वाले 90 फीसदी लोगों ने स्पेन से अलग होने के पक्ष में वोट दिया। एक ओर स्पेन की सरकार ने इस जनमत संग्रह को असंवैधानिक करार दिया तो दूसरी ओर कैटेलोनिया के शीर्ष नेता कार्लस प्रजिमोन्ट ने दावा किया है कि अब उनके प्रांत को स्वतंत्र होने का अधिकार मिल गया है। वे इस जनमत संग्रह के परिणाम को संसद में भेजेंगे लेकिन स्पेन के प्रधानमंत्री मारियानो राखोय ने कहा है कि जनमत संग्रह हुआ ही नहीं है। स्पष्ट है कि दोनों पक्षों में मेल-मिलाप की संभावना ही नहीं है।

कैटेलोनिया स्पेन के सबसे सम्पन्न इलाकों में से एक है। इसका एक हजार साल पुराना अलग इतिहास रहा है। स्पेन में गृह युद्ध से पहले इस इलाके को स्वायत्तता भी मिली हुई है। 1939 से 1975 के बीच जनरल फ्रांसिस्को फ्रैंको के नेतृत्व में कैटेलोनिया को जो स्वायत्तता मिली थी, उसे खत्म कर दिया गया। फ्रैंको की मौत के बाद कैटेलोनिया में राष्ट्रवाद को फिर से हवा मिली और आखिर में उत्तर-पूर्वी इलाकों को फिर से स्वायत्तता देनी पड़ी। ऐसा 1978 के संविधान के तहत किया गया। 2006 में एक अधिनियम के तहत कैटेलोनिया को और ताकत दी गई। कैटेलोनिया आर्थिक रूप से मजबूत रहा, उसकी वित्तीय ताकत का दबदबा बढ़ा और उसे एक राष्ट्र के रूप में देखा जाने लगा लेकिन स्पेन की संवैधानिक कोर्ट ने 2010 में सारी ताकत वापस कर दी। इसके बाद से ही वहां का स्थानीय प्रशासन और लोग नाराज हैं। आखिर वहां के लोगों का आक्रोश क्यों बढ़ा? इस प्रश्न का स्पष्ट उत्तर है-आर्थिक मंदी और सार्वजनिक खर्चों में कटौती। कैटेलोनिया में 2014 में भी आजादी के लिए एक अनधिकृत रूप से मतदान करवाया गया तब 54 लाख मतदाताओं में से 20 लाख लोगों ने इसमें भाग लिया था तब भी 80 फीसदी लोगों ने स्पेन से अलग होने के पक्ष में मतदान किया था।

अलगाववाद समर्थकों का कहना है कि उनकी संस्कृति, भाषा और इतिहास स्पेन से अलग है, उन्हें तो विस्तारवादी दौर में जबरन स्पेन से मिलाया गया था। पिछले एक दशक में यूरोप में आई आर्थिक मंदी के दौर में स्पेन की सरकार ने जिस तरह किफायत की नीतियों पर सख्ती से अमल किया, उससे भावनाएं काफी भड़क गईं। आर्थिक दिक्कतों के बीच अलगाववादियों के लिए जनसमर्थन जुटाना आसान हो गया। आर्थिक मंदी किसी भी देश में हो, उससे जनता में आक्रोश पैदा होना स्वाभाविक प्रक्रिया है। कैटेलोनिया के लोग तो समृद्ध हैं लेकिन किफायत की नीतियों से वे परेशान हो उठे हैं। कैटेलोनिया के 2015 के चुनाव में अलगाववादियों को जीत मिली थी। इन्होंने चुनाव के दौरान जनमत संग्रह कराने का वादा किया था। कैटेलोनिया की संसद ने 6 सितम्बर को मतदान के जरिये कानून बनाया था। बैलेट पेपर पर बस एक ही सवाल था, ‘क्या आप एक गणतंत्र के रूप में कैटेलोनिया को आजाद मुल्क बनाना चाहते हैं। पहले इस मुद्दे पर स्पेन सरकार के साथ मध्यस्थता की बात कही गई थी लेकिन स्पेन की अदालतों ने भी जनमत संग्रह को रोकने के लिए कहा था। स्पेन की पुलिस ने कैटेलोनिया के अधिकारियों को गिरफ्तार भी किया जिससे बातचीत की संभावनाएं ही खत्म हो गईं।

जनमत संग्रह की निगरानी के लिए बुलाए गए अन्तर्राष्ट्रीय पर्यवेक्षकों ने स्पेन सरकार की दमनकारी कार्रवाई की निन्दा की है। कैटेलोनिया स्पेन का इंडस्ट्रियल हब है। वैश्विक मंदी के बाद पैदा हुई बेरोजगारी और कर्ज में बढ़ौतरी के लिए कैटेलोनिया के लोग स्पेन सरकार को जिम्मेदार मानते हैं। आजादी का पुरजोर समर्थन करने वाले मानते हैं कि कैटेलोनिया का इस्तेमाल स्पेन गरीब क्षेत्रों को उबारने के लिए कर रहा है। लोगों का मानना है कि स्पेन की आर्थिक नीतियों का खामियाजा कैटेलोनिया को भुगतना पड़ रहा है। कैटेलोनिया के मुताबिक वह हर वर्ष सरकार को 12 अरब डॉलर टैक्स देता है। स्पेन का लगभग 25 फीसदी निर्यात इसी राज्य में होता है। जीडीपी में इसकी हिस्सेदारी तकरीबन 20 फीसदी की है वहीं स्पेन पर लगभग 120 लाख करोड़ से भी ज्यादा का कर्ज है। कैटेलोनिया से प्राप्त राजस्व का एक बड़ा हिस्सा स्पेन सरकार अपने कर्ज पाटने के लिए करती है। विदेशी निवेश के मामले में यह प्रदेश बेहद ही समृद्ध है। टकराव काफी बढ़ चुका है। देखना यह है कि क्या समूचा विश्व कैटेलोनिया के अलग राष्ट्र बनने का गवाह बनेगा या स्पेन एक रहेगा?

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