कुछ दिनों पहले मुझे भारत में कई जगह कार, हवाई जहाज से जाने का अवसर प्राप्त हुआ। कुछ साल पहले जब मैं विदेशों में जाती थी तो एयरपोर्ट, सड़कें, मैट्रो देखकर महसूस होता था कि ऐसा सब कुछ हमारे देश में क्यों नहीं? आज हमारी सड़कें, एयरपोर्ट, मैट्रो, रेल सभी पूरे मुकाबले पर हैं या यूं कह लो बहुत बेहतर हो रही हैं और भारत आत्मनिर्भर भारत बन रहा है।
किसी भी व्यक्ति या राष्ट्र का एक सबसे बड़ा गुण और सपना यही होता है कि वो आत्मनिर्भर बने। आत्मनिर्भता का मतलब है आप अपने देश में कोई भी काम खुद कर सकते हैं। हर मुश्किल भरे दौर में आप अपने दम पर आगे बढ़ सकते हैं। इतना ही नहीं अगर आप आत्मनिर्भर हैं तो उन लोगों की भी मदद कर सकते हैं जिन्हें सचमुच मदद की जरूरत है। हमारे भारत के लिए सबसे बड़ी खुशी की बात यह है कि आज की तारीख में भारत दुनिया के नक्शे पर एक आत्मनिर्भर राष्ट्र के रूप में न सिर्फ स्थापित है बल्कि तेजी से आगे भी बढ़ रहा है। निश्चित रूप से इसका श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दिया जाना चाहिए जिन्होंने एक सुनियोजित तरीके से और सबको साथ लेकर चलने के मंत्र के साथ बड़ी से बड़ी चुनौतियों के दौरान भारत को एक ऐसी पहचान दी है कि हमारा तिरंगा पूरी दुनिया में अपनी आन-बान और शान बिखेर रहा है। डिफेंस, हैल्थ और मेडिकल, कृषि, कंप्यूटर के क्षेत्र में भारत ने पूरी आत्मनिभर्रता प्राप्त कर ली है। आजादी के अमृत काल अर्थात 75 साल में हमने जो कुछ पाया और जिस तरह हम आत्मनिर्भर बनें उसमें सिलसिलेबार पहले नंबर पर डिफेंस क्षेत्र को रखते हैं।
कभी हथियार, गोला-बारूद या जहाज, टेंक, युद्धपोत हम सब कुछ दूसरे देशों से मंगवाते थे लेकिन आज की तारिख में हम अपने देश में निर्मित युद्ध का सामान प्रयाेग कर रहे हैं और इतना ही नहीं लगभग तीस से ज्यादा देश हमसे युद्ध का सामान मंगवा रहे हैं। विमानों, पंडुिबयों, टेंकों और नौकाओं में प्रयाेग होने वाला सामान कभी भारत मंगवाया करता था परंतु आज हम इसके निर्माता भी हैं और निर्यातक भी हैं। डिफेंस के क्षेत्र में यह हमारी आत्मनिर्भरता के पहले हस्ताक्षर हैं। सब जानते हैं कि रक्षा मंत्रालय श्री राजनाथ के नेतृत्व में शान से केंद्रित है।
दूसरा सबसे बड़ा सैक्टर जिसमें आत्मनिर्भरता के नाम पर हमने सबसे बड़ी उपलब्धि हासिल की वह हैल्थ मेडिकल है। औषधीय क्षेत्र में जब दुनिया में कोरोना के दौरान बहुत कुछ तबाह हो रहा था तब भारत ने महामारी से अपने यहां करोड़ों देशवासियों को तो बचाया ही लेकिन 58 से ज्यादा देशों में वैक्सीन भेजकर इंसानियत का रिश्ता निभाया। सही मायनों में यह भारत की आत्मनिर्भरता है। दवाओं के क्षेत्र में जितनी जीवनरक्षक दवाएं आज भारत में निर्मित की जा रही हैं वह दूसरी कंपनियों के लिए एक सबसे बड़ा चैलेंज है। आज यही दवाईयां बड़े-बड़े देश हमसे मंगवा रहे हैं। जब कोरोना के दौरान मानवता कराह रही थी तब भारत ने एक नहीं कई-कई वैक्सीन निर्मित कर सब देशों में निर्यात कर अपना धर्म निभाया। यह भारत ही था जिसने स्मॉलपॉक्स अर्थात चेचक खत्म किया। इसके बाद भारत में टीबी मुक्त की मुहिम चल रही है। एड्स, कैंसर व अन्य घातक बीमारियों की सौ से ज्यादा औषधियां भारत में निर्मित हो रही हैं और विदेश में इनकी सबसे ज्यादा डिमांड है। यह हमारी आत्मनिर्भरता है। प्रधानमंत्री मोदी का लोकल फॉर वोकल का नारा इसी आत्मनिर्भरता की पहचान है। कभी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने जब स्वदेशी की मांग बुलंद करते हुए अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन छेड़ा तो बात भारत की आत्मनिर्भरता से ही थी कि हम आजाद होंगे और हर चीज में दूसरों पर आश्रित होने की बजाये खुद आत्मनिर्भर बनेंगे।
सबसे बड़ी बात है कि आज मेक इन इंडिया मुहिम के चलते अगर डिजिटल भारत की भी बात करें तो हम आत्मनिर्भर बन चुके हैं। आने वाले दिनों में डिजिटल रुपए हमारी आत्मनिर्भरता की ही पहचान होगी। अगर दुनिया में डॉलर या पौंड की धूम है तो अनेक देशों में अब हमारी करेंसी भी अन्तर्राष्ट्रीय धन के रूप में चल रही है। हमारे इनसेट 1-ए से लेकर जितने भी उपग्रह हैं और इसरो की देखरेख में हमारे मंगल तक कदम पहुंच रहे हैं तो क्या यह हमारी आत्मनिर्भरता नहीं। कंप्यूटर जगत में आज हम पूरी तरह से आत्मनिर्भर हैं। कोरिया या जापान, अमेरिका या रूस या ब्रिटेन की तुलना में हमारे कंप्यूटर कार्यक्रम एक बड़ी सफलता के तौर पर उभर रहे हैं। अगर हम इन देशों से आगे नहीं तो कम से कम इनसे पीछे भी नहीं। शिक्षा के क्षेत्र में भी हम एक अलग पहचान बना रहे हैं। इंजीनियरिंग, शिपिंग के अलावा अगर कृषि क्षेत्र में बात करें तो भी हमारी टक्कर में कोई नहीं।
वर्षों पहले अनेक दूसरों देशों ने हमें घटिया किस्म का गेहूं भेजा था लेकिन अब हमारे गेहूं, चावल, दाल-दलहन और मोटे अनाज की चर्चा दुनिया में है तो उसकी वजह है कि अन्न और अनाज उत्पादन में हमारे किसानों यानि अन्नदाताओं की मेहनत रंग ला रही है और हम पूरे विश्व को राशन सप्लाई कर सकते हैं। यह हमारी आत्मनिर्भरता ही है कि देश में कोई भी भूखा न रहे, इस मुहिम के तहत गरीबों को मुफ्त राशन आपूर्ति किया जा रहा है। जो बड़े-बड़े नामी ब्रांड वाली कंपनियां अगर चिप्स या नमकीन बनाकर बड़े-बड़ेे दावे कर रही हैं तो वह उच्च क्वालिटी का आलू हमारे यहां ही निर्मित हुआ है। कुल मिलाकर जमीन से लेकर आसमान तक और सूई से लेकर जहाज तक या फिर पूरब से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण तक हम हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन चुके हैं और हमें शान से कहना चाहिए जय हो आत्मनिर्भर भारत की।