जम्मू-कश्मीर हमारे देश का एक अभिन्न अंग है। सब जानते हैं कि पाकिस्तान की शह पर आतंक का खूनी खेल यहां आम बात है। हमारे सैनिकों और पुलिस जवानों की शहादत आतंकवाद के खिलाफ एक अलग जंग की कहानी प्रस्तुत करती है लेकिन अगर राजनीतिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो हैरानगी इस बात पर होती है कि आखिरकार जम्मू-कश्मीर को संविधान की धारा 370 के तहत एक अलग और विशेष राज्य का दर्जा क्यों दिया गया है? इसी का लाभ लेकर अनेक अलगाववादी चाहे वह हुर्रियत हो या अन्य आतंकी संगठन, हमारे संविधान की धज्जियां उड़ा रहे हैं। इस मामले में सत्ता के खेल में महबूबा सईद पूरी तरह से बेनकाब हो गईं जब उन्होंने कश्मीर घाटी में पत्थरबाजों के खिलाफ केस वापस करवाए और सेना द्वारा एकतरफा संघर्ष विराम को ईद के बाद भी जारी रखने की मांग की, जिसे केंद्र में बैठी मोदी सरकार ने सिरे से खारिज कर दिया। अलगाववादियों और आतंकवादियों से हाथ मिलाने वाली महबूबा सरकार को भाजपा ने जो समर्थन दे रखा था, उसे वापिस लेकर भगवा पार्टी ने महबूबा को सत्ता से बेदखल कर दिया, जिसका देशवासी स्वागत कर रहे हैं।
इसी तस्वीर का दूसरा पक्ष कुछ और कहानी कह रहा है। लोग अब कह रहे हैं कि आजकल जिस तरह से भाजपा का डाउनफाल चल रहा है तो अगर धारा 370 को जम्मू-कश्मीर में खत्म कर दिया जाए और अयोध्या में राम मंदिर बना दिया जाए तो कमल के फूल वाली यह पार्टी 400 से ज्यादा लोकसभा की सीटें ले जाएगी। तब कम से कम दस साल तक भाजपा को कोई हिला नहीं पाएगा। कभी 400 से ज्यादा सीटें जीतने का गौरव राजीव गांधी को उस समय मिला था, जब इंदिरा गांधी की हत्या से उपजी सहानुभूति की लहर में कांग्रेस को पहली और आखिरी बार इतना प्रचंड बहुमत मिला था।
आज के जमाने में अब सारी अभिव्यक्ति सोशल साइट्स पर हो जाती है।
लोग एक-दूसरे से अपनी बाते शेयर कर लेते हैं और चैनलों पर बड़े-बड़े विद्वान लोग भी अपनी बातें रख लेते हैं। उस दिन टीवी पर कई राजनीतिक विश्लेषकों की चर्चा काबिलेगौर थी जिसमें उनकी बहस का मुद्दा यह था कि जिस तरह से भाजपा हिन्दुत्व को लेकर यूपी में छायी, लेकिन पिछले छह महीने में ही विभिन्न उपचुनावों में भाजपा ने फूलपुर, कैराना, गोरखपुर कई लोकसभा समेत महत्वपूर्ण विधानसभाई सीटें भी गंवाईं, उसे देखकर आसानी से समझा जा सकता है कि भगवा पार्टी का ग्राफ नीचे गिर रहा है। इस मामले में भाजपा की तरफ से पैरवी करने वाले प्रवक्ता चैनलों पर चलने वाली बहस में कमजोर साबित हो रहे हैं। ऐसे में लोग अब कह रहे हैं कि अब मोदी सरकार को जम्मू-कश्मीर में धारा 370 की विदाई और अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण ही बचा सकता है। यह तो स्वीकार करना होगा कि जनमानस के दिल से उठने वाली इन दोनों बातों को जमीन पर उतारने से यकीनन भाजपा राजनीतिक रूप से अपने प्रतिद्वंद्वियों को पटखनी दे सकती है।
राजनीतिक विश्लेषक यह मानते हैं कि धारा 370 और राम मंदिर का निर्माण राष्ट्र भक्ति की परिभाषा बन चुकी भाजपा ने कभी अपने चुनावी घोषणापत्र में बढ़-चढ़कर शामिल किए थे। इस एजेंडे से अगर भाजपा पीछे हटती है तो फिर उसको बहुत भारी नुकसान होगा, ऐसी बातें लोग एक-दूसरे से सोशल मीडिया पर खूब शेयर कर रहे हैं। हम इस कड़ी में स्पष्ट करना चाहते हैं कि धारा 370 हटाने की मांग को लेकर खुद भाजपा की ओर से लाल चौक पर तिरंगा फहराने जैसे अभियान चलाए जा चुके हैं, जबकि 2014 में भाजपा ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में राम मंदिर निर्माण का चतुराई से उल्लेख भर किया है। लोग तो यही चाहते हैं कि जब विश्व हिन्दू परिषद और आरएसएस राम मंदिर निर्माण के सूत्रधार रहे हैं तो फिर भाजपा राजनीतिक दृष्टिकोण से इसकी आंतरिक व्यवस्था क्यों नहीं करती? सच बात यह है कि भाजपा ने जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों के खून-खराबे और पत्थरबाजों की करतूतों को देखकर आखिरकार महबूबा को सबक सिखा दिया और काफी हद तक डैमेज कंट्रोल 2019 को सामने रखकर ही करने की कोशिश की है। तो अब अगर मंदिर निर्माण और 370 की विदाई को लेकर कोई ठोस व्यवस्था हो जाए तो सचमुच वह हो जाएगा, जिसका देशवासियों को इंतजार है। लोग तो यह भी कह रहे हैं कि अब जब भाजपा केंद्र में प्रचंड बहुमत के साथ बैठी है तो कश्मीर घाटी में हिन्दुओं और कश्मीरी पंडितों की सुरक्षा के लिए अगर धारा 370 को हटा देती है तो यह एक ऐसा राजनीतिक हथियार होगा जिसकी काट किसी पार्टी के पास नहीं होगी। लोकतंत्र में लोगों की भावनाओं का सम्मान तो होना ही चाहिए। देखना यह है कि भाजपा अब यह पग कब उठाती है।
भाजपा को अपने अतीत में झांकना होगा कि इसी राम मंदिर के निर्माण के वादे के साथ पूरा देश इनके साथ जुड़ा था और आज जम्मू-कश्मीर को लेकर लोगों की निगाहें फिर मोदी पर लगी हुई हैं। लोग एक-दूसरे से शेयर करते हुए यही कह रहे हैं कि मोदी सही समय पर सही दांव चलते हुए राम मंदिर का निर्माण भी करवाएंगे और धारा 370 को भी हटवाएंगे। सच बात तो यह है कि धारा 370 को लेकर लोग समान नागरिक संहिता का उल्लेख करते हुए कहते हैं कि जम्मू-कश्मीर के लोगों को विशेष राज्य का दर्जा के तहत मुनाफे का हिस्सा अलगाववादियों के पक्ष में ही जा रहा है। अलगाववादियों और आतंकवादियों को सबक सिखाना समय और राष्ट्र की मांग है। भाजपा राष्ट्रभक्ति के लिए जानी जाती है और अब मौका तथा दस्तूर दोनों सामने हैं। लोहा गर्म है और भाजपा को चोट मारनी चाहिए। देशवासी इंतजार कर रहे हैं कि भाजपा कब यह पग उठाएगी।