खौफनाक इमारतों में तब्दील होते स्कूल - Punjab Kesari
Girl in a jacket

खौफनाक इमारतों में तब्दील होते स्कूल

NULL

पूरा देश स्तब्ध है कि आखिर स्कूलों में क्या हो रहा है। गुरुग्राम के रेयान स्कूल में 7 वर्ष के बच्चे प्रद्युम्न की हत्या ने अभिभावकों को भीतर से हिला कर रख दिया है। गुरुग्राम के स्कूल में हत्या के बाद पूर्वी दिल्ली के रघुवरपुरा में निजी स्कूल में 5 वर्ष की बच्ची से दुष्कर्म का मामला सामने आया था। अब पानीपत के एक प्रतिष्ठित स्कूल में 9 वर्षीय बालिका से दुष्कर्म की कोशिश का मामला सामने आया है। उधर गोरखपुर के स्कूल में टीचर की प्रताडऩा से परेशान बच्चे ने आत्महत्या कर ली। आत्महत्या से पहले इस बच्चे ने मम्मी, पापा और दीदी को लिखे गए मार्मिक सुसाइड नोट से टीचर की मानसिकता लेकर बहुत से सवाल खड़े कर दिए हैं। टीचर की प्रताडऩा से बच्चा खुद को इतना अपमानित महसूस कर रहा था कि उसने जहरीला पदार्थ खाकर आत्महत्या कर ली।

इन घटनाओं ने एक तरफ बच्चों की सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े किए हैं तो दूसरी तरफ शिक्षकों की भूमिका पर भी प्रश्नचिन्ह लगा दिए हैं। लोगों में आक्रोश तो काफी है लेकिन अभिभावक खुद को लाचार भी महसूस कर रहे हैं। यह स्कूल है या यातना गृह। सबसे खौफनाक अपराध वे होते हैं जिनमें बच्चों को निशाना बनाया जाता है। ये अपराध तब और भी गंभीर लगते हैं जब वे स्कूलों में होते हैं। देश के कई शहरों में भी नामी स्कूलों में कुव्यवस्था और मनमानी कोई नई बात नहीं। समय-समय पर इनके विरोधस्वरूप आवाजें उठती रही हैं। बड़े आंदोलन भी होते रहे लेकिन स्कूल के प्रधानाचार्यों और प्रबन्धन की मंशा यही होती है कि किसी न किसी तरह मामला लम्बा खिंच जाए। समय बीतने के साथ-साथ मामला दब जाता है। रेयान स्कूल की घटना के बाद सीबीएसई ने भी बच्चों की सुरक्षा के लिए सभी स्कूलों को एडवाइजरी जारी की है। हरियाणा सरकार ने भी स्कूलों को आवश्यक हिदायतें दी हैं।

न्यायालय ने भी कड़ा रुख अपनाया हुआ है। इसके बावजूद पानीपत के स्कूल में हुई घटना शर्मनाक है। स्कूल तो कई दृष्टि से संवेदनशील होते हैं जहां अभिभावक अपने छोटे-छोटे बच्चों को इसलिए भेजते हैं कि बच्चों के भावी जीवन को सही दिशा मिल सके। संस्थाओं के दावे भी अच्छा वातावरण, अच्छे संस्कार और अच्छी शिक्षा के होते हैं जिनके नाम पर वे अभिभावकों से मोटी फीस वसूलते हैं तब भी अगर बच्चों के जीवन की गारंटी न हो तो अभिभावक क्या करें? सरकारी व्यवस्था में इस बात को सुनिश्चित किए जाने के लिए बाकायदा विभाग और उसके अधिकारी हैं कि स्कूलों में सब कुछ ठीक-ठाक एवं नियमों के अनुसार चले। इसके बाद भी अगर प्रतिष्ठित मानी जाने वाली शिक्षण संस्थाओं में ही एक ही बार की जांच में सभी खामियां मिलें तब यह सवाल उठना भी स्वाभाविक है कि संबंधित विभाग और उनके अधिकारी क्या कर रहे थे?

बाल अपराध क्रूरता का सबसे भयंकर रूप है। स्कूलों में हो रहे अपराध तो और भी भयंकर हैं क्योंकि अभिभावक और बच्चे भी अपने स्कूल और शिक्षकों पर भरोसा करते हैं। प्राइवेट स्कूल कैसे और क्यों बन रहे हैं जंगलराज का प्रतीक? इन स्कूलों में अराजकता कैसे और क्यों कायम हो गई। इन्हें चाक-चौबंद सरकारी कानूनों में क्यों नहीं बांधा गया। स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा के प्रति इन्हें जिम्मेदार बनाने का कोई सिस्टम अभी तक क्यों नहीं बन पाया। घटनाओं के बाद प्रधानाचार्य और कुछ शिक्षकों को निलम्बित करने की कार्रवाई किसी बच्चे का जीवन नहीं लौटा सकती, किसी बच्ची की अस्मत वापस नहीं दिला सकती। इससे माता-पिता के जीवन भर की भी पीड़ा दूर नहीं हो सकती।

गुरु शब्द भारतीय शिक्षा व्यवस्था में सर्वाधिक सम्मान और महत्व का शब्द है जिसकी महिमा ईश्वर से बड़ी बखान की गई है। जिस स्थान को गुरु के ग्राम की संज्ञा दी गई हो उसका महत्व स्वाभाविक रूप से अधिक होना ही चाहिए। अगर गुरु ही बच्चों में भेदभाव करते हैं और उनका ध्यान कुछ बच्चों पर ही रहता है या फिर बच्चों को प्रताडि़त करते रहते हैं तो उनकी भूमिका संदेह के घेरे में है। वैसे भी स्कूलों में बच्चों को शारीरिक दण्ड देने पर रोक है। आधुनिक समाज के बच्चे काफी संवेदनशील हैं। वह बच्चा कितना संवेदनशील होगा जिसने आत्महत्या की। इन सब घटनाओं को समाज के लिए चेतावनी माना जाना चाहिए कि विकृत मानसिकता के लोगों की निगाहें अब इन जगहों पर टिक गई हैं।

स्थिति बेहतर दुर्भाग्यपूर्ण है लेकिन इनका सामना करना भी बहुत जरूरी है। आज के बदलते हुए माहौल में अभिभावकों की सोच यह है कि बच्चों को अकेला न छोड़ा जाए चाहे वह शौचालय हो, खेत का मैदान हो या स्कूल पहुंचाने वाली गाड़ी। सभी को अपनी-अपनी भूमिका निभानी होगी। अभिभावकों, शिक्षकों, स्कूल प्रबन्धकों और प्रशासन को अपनी-अपनी भूमिका तय करनी होगी। सबको एक साथ मिलकर काम करना होगा। ऐसा नहीं किया गया तो स्कूलों की छवि खौफनाक इमारतों में बदल जाएगी, जिससे समाज को काफी नुक्सान पहुंचेगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

five + 13 =

Girl in a jacket
पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।