इस मोबाइल ‘क्रांति’ से बचाओ भगवान - Punjab Kesari
Girl in a jacket

इस मोबाइल ‘क्रांति’ से बचाओ भगवान

NULL

अब इसे आधुनिक युग कहिये या फिर सोशल मीडिया का जमाना लेकिन सच यह है कि मोबाइल ने दो दशक पहले हमारे जीवन में दखल दी और सब कुछ देखते ही देखते बदल डाला। ई-मेल, फेसबुक, ​​ट्विटर, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप और एमएमएस ने जिस तरह से लोगों के जीवन में अपनी पैठ जमाई है और जिस ​तरह से सूचनाओं का आगे वायरल हो रहा है उस पर शत-प्रतिशत नियंत्रण का समय आ गया है। अगर ऐसा नहीं किया गया तो सब-कुछ तबाह होकर रह जाएगा। महज एक एसएमएस के जरिये कहीं भी दंगा और पंगा खड़ा ​किया जा सकता है। किसी महिला की फोटो के साथ की गई शरारत सोशल मीडिया पर उसका चरित्र तबाह कर सकती है।

आत्महत्या तक के मामलों में लोग डायरेक्ट फोटो शूट करवा कर इसे वायरल कर रहे हैं तो बताओ जीवन में इतनी ज्यादा मोबाइल क्रांति की जरूरत क्या थी जिसने हमारे संस्कारों को ही खत्म कर डाला। आखिर इन पर नियंत्रण कब लगेगा ? इसका जवाब सोशल मीडिया के माध्यम से यह क्रांति लाने वाले विदेशी मेहमानों को देना ही होगा जो आज ई-मेल, फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप, एमएमएस और यूट्यूब के मालिक बनकर भारत में हमारी युवा पीढ़ी के साथ पैसा कमाते हुए उन्हें असली जिन्दगी से दूर कर रहे हैं। किक्की डांस के बाद ब्लू व्हेल और पबजी तक पहुंचते-पहुंचते देश और दुनिया में कितने लोग इसका शिकार हो चुके हैं, अगर अब भी कुछ न किया तो भारत और पूरी दुनिया में इस कल्पना लोक में उतरकर टेेढ़े-मेढ़े मशीनी खेलों का शिकार बनने वाले यूथ का भविष्य तबाह होकर रह जाएगा।

किक्की डांस के दौरान कितने ही युवकों ने चोट खाई और ब्लू व्हेल जैसे खेल जब सोशल साइट्स पर उभरने लगे तो यूथ की दीवानगी की हालत यह थी कि उन्हें होश ही नहीं रहती थी कि कब दिन चढ़ा और कब रात हुई। अपने बच्चों को माता-पिता चौबीसों घंटे चैक नहीं कर सकते। लेकिन परिणाम इतने घातक सामने आने लगे तो मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया और ब्लू व्हेल जैसे वीडियो खेल बंद करने पड़े। समय तेजी से बदल रहा है लेकिन इस बदलाव से हमें क्या हासिल हुआ हमें इस पर विचार करना होगा। सरकार कोई भी हो यह तो मानना ही पड़ेगा कि दूरसंचार विभाग ने तरक्की तो की है लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि मोबाइल क्रांति के नाम पर अगर लोगों को इसकी लत लग जाए तो कुछ भी सुरक्षित नहीं रहेगा।

दुःख इस बात का है कि एक गलत एसएमएस और एक फेक न्यूज से कहीं भी कभी भी कुछ भी हो सकता है। किसी भी मंदिर या मस्जिद के नाम पर या फिर सहिष्णुता और असहिष्णुता के नाम पर किसी भी तरह झूठा चित्र मोबाइल पर वायरल होते ही ऐसे लगता है मानो जंगल में किसी ने आग की चिंगारी फैंक दी हो। सरकार अब इसे लेकर अलर्ट और नई-नई गाइड लाइन जारी भी कर रही है तथा इस सोशल मीडिया के जन्मदाता गूगल हो या फेसबुक उन सबको फेक एसएमएस को लेकर अब कार्रवाई की परिधि में शामिल किया जा रहा है। संसदीय कमेटी उनसे पूछताछ कर सकती है, यह व्यवस्था सुप्रीम कोर्ट तक ने तय की है। हमारा मानना यह है कि किसी एसएमएस को वायरल से रोकना है तो उस पर दूरसंचार विभाग को नियम तो बनाने ही होंगे। हालांकि अब एक साथ सैकड़ों मैसेज नहीं जा सकते। यह संख्या अब मात्र पांच पर सीमित कर दी गई है और हमारा खुद का यह कर्त्तव्य होना चाहिए कि हम उसे फारवर्ड न करें।

दूरसंचार विभाग इस बारे में बराबर प्रिंट मीडिया और इलैक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से प्रचार कर रहा है कि किसी भी मैसेज की सच्चाई को परखे बिना उसे फारवर्ड न करें। सोशल मीडिया क्रांति के आते ही टी.वी. जगत, ऑडियो-वीडियो कैसेट्स खत्म हो गए। पोस्ट कार्ड और इनलैंड लैटर की विदाई हो गई। पैन, कलम, कॉपी को माऊस ने विदा कर दिया। सबसे बड़ी बात है कि बच्चों की मासूमियत और सच्चाई के साथ आधुनिकता के वेश में मीडिया क्रांति ने सब कुछ खत्म कर डाला। आओ इस पर मिलकर नियंत्रण लगाएं और इसे चलाने वाली कम्पनियों को एक्शन की परिधि में लाएं। भारत की पहचान, उसकी आन-बान-शान उसकी अपनी संस्कृति और ज्ञान के दम पर है। आओ हम अपने देश के संस्कारों को बचाएं और ऐसे भारत का निर्माण करें जो अपने आदर्शों के लिए पूूरी दुनिया में जाना जाता है। तभी तो पूरी दुनिया में भारत छाया पड़ा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

seventeen + 6 =

Girl in a jacket
पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।