भारतीय सेना को नमन - Punjab Kesari
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भारतीय सेना को नमन

5 जनवरी को भारतीय सेना ने अपनी 75वीं वर्षगांठ मनाई। भारतीय सेना के लिए 15 जनवरी, 1949 की

15 जनवरी को भारतीय सेना ने अपनी 75वीं वर्षगांठ मनाई। भारतीय सेना के लिए 15 जनवरी, 1949 की तारीख काफी अहम है। इसी दिन प्रथम भारतीय कमांडर इन चीफ जनरल के.एम. करिअप्पा ने भारत की स्वतंत्रता के बाद अंतिम ब्रिटिश सैन्य अधिकारी जनरल सरफ्रांसिस बुच्चर से सशस्त्र सेनाओं की कमान सम्भाली थी। अब भारतीय सेना एक पेशेवर और मानवीय बल के रूप में उभरी है और अत्यंत विषम और विपर​ीत परिस्थितियों में अपने कर्त्तव्य का निर्वहन कर रही है। पहली बार सेना​ दिवस का आयोजन दिल्ली से बाहर बेंगलुरू में आयोजित किया गया। सरकार ने पहले ही राष्ट्रीय महत्व के आयोजनों को दिल्ली से बाहर कराने का फैसला लिया था ताकि ऐसे कार्यक्रम में पहुंच ज्यादा से ज्यादा लोगों के बीच हो और ऐसे कार्यक्रमों में लोगों की भागीदारी बढ़े। देश के पहले कमांडर इन चीफ के.एम. करिअप्पा का जन्म भी कर्नाटक में हुआ था और उन्होंने अंतिम सांस भी बेंगलुरु में ही ली थी। बेंगलुरु में सेना दिवस समारोह आयोजित करने का निर्णय देश के लिए दक्षिण भारतीय लोगों के बलिदान, वीरता और सेवाओं की पहचान देने के लिए किया गया। इस मौके पर सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने अपने सम्बोधन में कहा कि हमारी सेना हर स्थिति से निपटने के लिए तैयार है, लेकिन सरहद पर साजिशें अभी भी जारी हैं, लेकिन हमारे जवान चप्पे-चप्पे पर निगरानी कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि सेना ने क्षमता विकास, बल पुर्नगठन और सुधार के लिए कदम उठाए हैं। इसने भविष्य के युद्धों के लिए अपनी तैयारियों को और मजबूत किया है। देश के लिए सेना दिवस सीमाओं की रक्षा करते शहीद होने वाले जवानों को श्रद्धांजलि देने का भी दिन है।
‘‘कलम आज उनकी जय बोल,
जो अगणित लघु दीप हमारे,
जल-जल कर बुझ गए,
किसी दिन मांगा नहीं स्नेह मुंह खोल,
कलम आज उनकी जय बोल।’’
भारतीय सेना का स्वरूप भी अब काफी बदल चुका है। दुनिया की सबसे बड़ी चौथी सेना के रूप में भारत अब पाकिस्तान और चीन के लिए ही नहीं बल्कि विश्व के लिए चुनौती बन गया है। भारतीय सेना की ताकत को देखते हुए पाकिस्तान अब भारत से युद्ध की कल्पना तक नहीं कर सकता। चीन भी अब भारत से सीधे युद्ध लड़ने की हिमाकत नहीं कर रहा। हालांकि वह सीमाओं पर गतिरोध को लम्बा खींच कर दबाव बनाने की कोशिश करता रहता है। भारतीय सेना की ताकत को देख अमेरिका और अन्य विश्व शक्तियां भी हैरान हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने आठ वर्षों के कार्यकाल में सेना को सर्वाधिक ताकतवर बनाने  में कोई कसर नहीं छोड़ी। जो  भारत पहले युद्धक हथियारों के लिए विदेशों पर निर्भर रहता था, अब वही भारत सामरिक हथियारों और फाइटर जैट की बिक्री अन्य देशों को कर रहा है। रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर हुए भारत की ताकत का अंदाजा अब आसानी से लगाया जा सकता है।
पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत ने दुनिया के सामने क्विक एक्शन आर्मी के तौर पर अपनी पहचान बनाई है। पहले जहां देश की सेना को बुलेटप्रूफ जैकेट, आधुनिक हथियारों और गोला-बारूद की कमी से जूझना पड़ता था, अब सीन बदल चुका है। देश की सेना बुलेटप्रूफ जैकेटों, हथियारों, फाइटर जेटों, सबमरीन, बैलिस्टिक मिसाइलों, कंबैट हेलीकाॅप्टरों, अटैक हेलीकाॅप्टरों, ड्रोन, अत्याधुनिक एयर डिफेंस सिस्टम इत्यादि से पूरी तरह लैस हो चुकी है। क्रॉस बॉर्डर ऑपरेशन करने में भी भारतीय सेना को महारत हासिल हो चुकी है। पाकिस्तान में दो बार सेना द्वारा की गई सर्जिकल स्ट्राइक, श्रीलंका की मदद के लिए आतंकियों के खिलाफ की गई सर्जिकल स्ट्राइक, गलवान और तवांग में चीन को चित कर बॉर्डर से दूर खदेड़ने वाली घटनाएं क्विक एक्शन आर्मी का प्रमाण बन चुकी हैं। यही वजह है कि दुश्मन पाकिस्तान और चीन भारतीय सेना के बुलंद हौसलों से थर्राने लगे हैं।
वर्ष 2022 में भारतीय सेना के बेड़े में एक से एक ताकतवर युद्धक विमान, युद्धपोत और घातक हथियार शामिल हुए। इसमें नौसेना के बेड़े में शामिल हुए स्वदेशी एयरक्रॉफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रांत का नाम प्रमुख है, जो दुश्मन की तबाही का प्रतीक है। आईएनएस विक्रांत की ताकत का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि इस पर 30 से अधिक लड़ाकू विमान लैंडिंग व टेक ऑफ कर सकते हैं। 32 मिसाइलें तैनात हैं। कई अन्य फाइटर हेलीकॉप्टर की भी तैनाती है। गैस टर्बाइन और अत्याधुनिक रडार सिस्टम भी है। इसके अलावा बीते वर्ष ही आईएनएस विक्रमादित्य युद्धपोत व कई परमाणु पनडुब्बियां भी भारतीय नौसेना का हिस्सा बनीं। वहीं फ्रांस से आयातित राफेल फाइटर जेट वायुसेना की बड़ी ताकत बन गया। यह दुनिया के खतरनाक जेटों में शामिल है। इसके अलावा स्वदेशी तेजस फाइटर जेट भी दुनिया को चुनौती देने के​ लिए सेना का हिस्सा बन चुका है।
भारतीय सेना को दुर्गम से दुर्गम क्षेत्रों में पहुंचाने के लिए सरकार ने चीन और  पाकिस्तान सीमा पर सड़कों, पुलों, बंकरों, रेल नेटवर्क और लैंडिंग साइटों का जाल बिछा दिया है। भारतीय सेना हर मोर्चे पर दुश्मनों का खात्मा करने के​ लिए  सक्षम है। किसी भी राष्ट्र की सुरक्षा के लिए मजबूत सेना का होना बहुत जरूरी होता है। 
आज देशवासी चैन की नींद सोते हैं तो इसलिए कि भारतीय सेना सीमाओं की सुरक्षा करने में सक्षम है। पंजाब केसरी भारतीय सेना को नमन करता है और उन शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करता है, जिन्होंने राष्ट्र की रक्षा के लिए अपनी जान कुर्बान की।

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पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।