रोटी बैंक और स्वर्गीय जगदीश भाटिया अनूठी मिसाल - Punjab Kesari
Girl in a jacket

रोटी बैंक और स्वर्गीय जगदीश भाटिया अनूठी मिसाल

NULL

हमारी भारतीय संस्कृति है कि दूसरों के लिए, समाज कल्याण के लिए कुछ न कुछ करना चाहते हैं, तभी हमें लगता है हमारा जीवन सफल है। अपने लिए तो सब जीते हैं, दूसरों के लिए जीने को जीना कहते हैं। अगर हर व्यक्ति ठान ले कि उसने अच्छा काम करना है तो समाज, देश में कोई असहाय नहीं रहेगा। आज अगर पाप बढ़ रहे हैं तो पुण्य भी बहुत बढ़ रहे हैं। अच्छे काम करने वालों में नि:स्वार्थ भावना, सेवा होनी चाहिए। पिछले दिनों मेरे सामने 2 मिसाल आईं जो मैं अपने पाठकों से बांटना चाहूंगी। एक रोटी बैंक और दूसरा स्वर्गीय जगदीश जी और उनके परिवार द्वारा आंखों का दान। मैं छोटे होते से देखती थी जब मेरी मां पूर्णिमा दत्त खाना बनातीं सबसे पहले गाय के लिए पेड़ा (आटे का) निकालतीं। एक रोटी घी लगाकर कौवे के लिए चूरी बनातीं और 2 रोटियां व थोड़ी सी सब्जी सफाई करने वाली भंगन को देती। फिर हमारे पिता जी और तब हम सब बहन-भाइयों की बारी आती। घर में बहुत से नौकर होने के बावजूद खाना अपने हाथ से बनातीं और खिलाती थीं। पिछले दिनों राजकुमार भाटिया जिन्हें प्यार से सब राज भी कहते हैं और हमारे चौपाल के साथी भी हैं, ने अपनी टीम के साथ मुझे रोटी बैंक के कार्यक्रम में बुलाया।

जब मैंने इस काम को समझा तो मुझे बहुत ही अच्छा लगा। राज भाटिया ने इसे 2015 में शुरू किया। एक दिन जून की तपती दोपहरी में दीन व वृद्ध किन्तु असहाय व्यक्ति ने उनके पास आकर काम मांगा। जब वह काम नहीं दे पाए तो उस वृद्ध ने कहा- भूखा हूं, बाबू रोटी खिला दो। उसकी भूख-पीड़ा, स्वाभिमान की पीड़ा भी देखी जिसने राजकुमार भाटिया को हिलाकर रख दिया तो उन्होंने कहा कि सारे देश के भूखों की भूख तो नहीं मिटा सकते, परन्तु कुछ ऐसी शुरूआत करनी चाहिए जिसे देखते-देखते सारे देश में एक लहर दौड़ पड़े और कोई भी इंसान भूखा न सोये। उन्होंने अपने साथी सुधीर बदरानी, विपुल कटारिया, अक्षत बत्रा, रोनिक, विक्की, अश्विनी चावना, राजू नारंग व प्रीतपाल सिंह के साथ विचार-विमर्श कर रोटी बैंक शुरू किया। प्रत्येक साथी अपने घर से तीन रोटी, सूखी सब्जी या अचार एक सिल्वर फायल पेपर में लपेट कर लाएगा और फल मंडी के चबूतरे पर रखे एक बाक्स में रख देगा, जिसमें लिखा होगा रोटी बैंक। पहले दिन 7 पैकट आए और अब तो कोई हिसाब ही नहीं और उन लोगों को मदद दी जा रही है जो शारीरिक रूप से और मानसिक दृष्टि से कमजोर हैं। रोटी वितरित करने वालों में श्री राजा, श्री नरेश और श्री नरेश (रोहिणी), श्री सतेन्द्र अपने आपको गौरवान्वित महसूस करते हैं। बकौल श्री राजकुमार भाटिया साधन-सम्पन्न और साधनहीन के बीच एक छोटा सा फासला है, बस उसी फासले को रोटी बैंक के माध्यम से पाटने का प्रयास भर हम कर रहे हैं। वाकयी ही अगर देश का हर नागरिक राजकुमार भाटिया और उनके साथियों का अनुसरण करना शुरू कर दे तो देश में कोई भूखा नहीं सोयेगा।

दूसरी मिसाल स्वर्गीय जगदीश भाटिया जी की है, जिन्होंने स्वयं अपनी आंखें दान कीं और परिवार के 20 लोगों से भी आंखें दान करवाईं। मैं भी दधिचि देहदान से जुड़ी हुई हूं तो मुझे आदरणीय आलोक कुमार जी (सहप्रांत संघ चालक दिल्ली) का फोन आया कि किरण जी मैं बाहर हूं और क्योंकि जगदीश भाटिया परिवार का बहुत योगदान और सहयोग है तो मैं चाहता हूं और वो लोग भी चाहते हैं कि क्रिया में आप आओ, आप वहां जरूर जाएं। मैं इस परिवार को जानती नहीं थी, परन्तु जब इनके काम के बारे में सुना और आदरणीय आलोक जी का आदेश था तो वहां दधिचि देहदान की तरफ से पहुंची। स्वर्गीय जगदीश जी की फोटो के सामने तो नतमस्तक हुई, उनके परिवार और बेटे अजय भाटिया के सामने भी नतमस्तक हुई, जो सारे समाज के लिए प्रेरणा बने थे। जब मैंने श्रद्धांजलि दी तो मेरी बात से प्रेरित होकर एक महिला मीनू विज ने देहदान किया। साक्षी भाटिया ने आंखें दान दीं, तो मुझे लगा एक महान आत्मा गई जो अच्छे कर्म करके गई और मुझे लोगों को प्रेरित करने की प्रेरणा देकर गई। यह बहुत बड़ा महान कार्य है, जिसके लिए बहुत बड़ी सोच और दिल चाहिए। आदरणीय आलोक जी और उनके साथी कड़ी मेहनत करते हैं। मेरे जैसे लोगों को भी ऐसे पुण्य कार्य के लिए जोड़ते हैं। सो आज अगर देश का हर नागरिक यह ठान ले कि उसने कोई न कोई नेक कार्य करना है तो शायद कोई भूखा न सोयेगा। कोई आंखों के बिना नहीं रहेगा। कृष्ण-सुदामा के रिश्ते बनेंगे और अन्त्योदय का सपना पूरा होगा। आओ सब मिलकर मां के दिये संस्कारों को लेकर आगे चलें और पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी का अन्त्योदय का सपना पूरा करें। राजकुमार भाटिया जी की कही कुछ लाइनें याद आ रही हैं, जो उन्होंने उस दिन बोली थीं।

”अपनी ही तकदीर का
दुनिया में खाता है हर बशर।
तेरे घर आके खाये, या खाये वो अपने घर
तेरे घर जो आके खाये, उसका तू मशगूर हो।
क्योंकि उसने अपना खाया, तेरे दस्तरखान पर।”

”देनहार कोई और है भेजत है दिन रैन
लोग भ्रम हम पर करें तो सो नीचे नैन।”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

four × two =

Girl in a jacket
पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।