चावल, इथेेनॉल और खाद्य सुरक्षा - Punjab Kesari
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चावल, इथेेनॉल और खाद्य सुरक्षा

देश में चावल की बढ़ती कीमतों को देखकर सरकार एक के बाद एक कदम उठा रही है।

देश में चावल की बढ़ती कीमतों को देखकर सरकार एक के बाद एक कदम उठा रही है। हाल ही में सरकार ने एक बड़ा ऐलान करते हुए गैर बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसी तरह का निर्णय अब इथेनॉल बनाने के लिए डिस्टिलरी कम्पनियों को सप्लाई किए जाने वाले एफसीआई चावल की सप्लाई को लेकर किया गया है। भारतीय खाद्य निगम ने एक फैसला लेते हुए इथेेनॉल के उत्पादन के लिए चावल की सप्लाई रोक दी। राज्य सरकारों को भी कहा गया है कि वे इथेनॉल उत्पादन के​ लिए खुले बाजार के अन्तर्गत भारतीय खाद्य निगम का चावल नहीं खरीदें। सरकार एफसीआई के जरिये सरप्लस चावल डिस्टिलरी कम्पनियों को सप्लाई करती है। इस महीने घरेलू बाजार में चावल के दामों में 10 से 20 फीसदी तक उछाल देखा गया। देश में पिछले कुछ समय से गेहूं, चावल और सब्जियों की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि हो रही है। देश का काफी हिस्सा बाढ़ से प्रभावित है लेकिन कुछ राज्य ऐसे भी हैं जहां औसत से कम बारिश हो रही है। धान का कटोरा समझे जाने वाले राज्यों पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे राज्यों में धान की कम बुआई हुई है।
पश्चिम बंगाल धान की पैदावार करने वाला बड़ा उत्पादक राज्य है। भारत दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा चावल का निर्यातक है।​ पिछले साल सितम्बर में भारत ने टुकड़ा चावल के निर्यात पर रोक लगा दी थी। साथ ही कई तरह के चावल के निर्यात पर अतिरिक्त 20 प्र​​तिशत ड्यूटी लगा दी थी। इस वर्ष केन्द्र सरकार पैट्रोल में इथेनॉल मिलाकर देश के ईंधन आयात बिल कम करने की कोशिशें कर रही थी। देश की करीब 100 डिस्टिलरिज को चावल की सप्लाई एफसीआई से खरीद कर की जाती है, फिर उसे स्टार्च में परिवर्तित किया जाता है और इसके साथ इथेनॉल के लिए संशोधित किया जाता है। जैव ईंधन पर केन्द्र की राष्ट्रीय नीति के तहत सरकार ने वित्त वर्ष 2025-26 तक पैट्रोल में 20 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रण करने की योजना बनाई है। एफसीआई इथेनॉल उत्पादकों को 20 रुपए प्रति किलो पर चावल की आपूर्ति करता है जो मौजूदा बाजार मूल्य 30 रुपए से काफी कम है। एक अनुमान के मुताबिक एफसीआई द्वारा इथेनॉल के लिए सलाना 15 लाख टन चावल की आपूर्ति की जाती है। चालू वर्ष की 1 जुलाई तक सरकार के पास 4.10 करोड़ टन चावल का भंडार था जो उस अ​वधि में 1.35 करोड़ टन की बफर आवश्यकता से कम है। अब चावल की सप्लाई रोक दिए जाने से इथेनॉल बनाने वाली कम्पनियों के सामने संकट पैदा हो गया है। डिस्टिलरी कम्पनियां खांड व शीरे से इथेनॉल बनाती हैं। जो चीनी का एक बाई प्रोडक्ट है।
हालां​क इससे इथेनॉल बनाने का लक्ष्य प्राप्त नहीं किया जा सकता, इसलिए इथेनॉल बनाने के लिए चावल, मक्का और टूटे अनाज का इस्तेमाल किया जाता है। पैट्रोल की कीमतों का कम होना एक महत्वपूर्ण योजना है लेकिन सबसे बड़ा सवाल खाद्य सुरक्षा का है। अगर लोगों को खाने के लिए चावल और अन्य खाद्यान्न ही नहीं मिले तो अफरातफरी का माहौल पैदा हो सकता है। सबसे बड़ी बात यह भी है कि अब त्यौहारी सीजन शुरू होने वाला है और त्यौहारों के दिनों में हर चीज की डिमांड बढ़ जाती है। अब कुछ राज्यों के चुनाव भी निकट हैं, इसलिए सरकार महंगाई को कम करने के लिए हर सम्भव प्रयास कर रही है।
भारत के चावल निर्यात पर प्रतिबंध से अमेरिकी नागरिकों, विशेषकर अनिवासी भारतीयों के लिए चावल प्राप्त करना मुश्किल हो गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका में रहने वाले भारतीयों द्वारा चावल की हड़बड़ी में खरीदारी को देखते हुए स्टोर प्रबंधकों को चावल की आपूर्ति सीमित करने के लिए मजबूर किया गया है और प्रति व्यक्ति केवल एक निश्चित मात्रा में चावल दिया जा रहा है। अमेरिका में कई दुकानों में चावल के स्टॉक खाली होने की तस्वीरें सोशल मीडिया पर भी आई हैं। इतना ही नहीं चावल के लिए भी ग्राहकों की लाइन लगी हुई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि दुकानों के बाहर नोटिस भी लगाए गए थे कि प्रति परिवार केवल एक बैग चावल दिया जाएगा।
अमेरिका ही नहीं कनाडा और कुछ अन्य देशों में भी भारतीय रिटेल स्टोर्स में चावल के शैल्फ खाली दिखाई दे रहे हैं। किराना की दुकानों पर लम्बी-लम्बी कतारें देखी जा रही हैं। मोटा चावल तो क्या बासमती चावल भी वहां नहीं मिल रहा। इन देशों में रहने वाले भारतीयों ने जहां से भी चावल मिला उसे खरीद कर स्टॉक कर लिया। इससे अफरातफरी का माहौल है। अब सवाल यह है कि सरकार के सामने घरेलू बाजार में खाद्यान्न की उपलब्धता बड़ी चुनौती है। विदेशों में दक्षिण भारतीय आज भी रोजाना चावल का ही सेवन करते हैं। इसी कारण वहां चावल की कीमतों में बढ़ौतरी हो रही है। नई फसल आने के बाद ही स्थिति सामान्य होने की उम्मीद है।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com

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