आरबीआई की मौद्रिक नीति - Punjab Kesari
Girl in a jacket

आरबीआई की मौद्रिक नीति

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की मौद्रिक नीति समिति हर दूसरे महीने मौद्रिक नीति की समीक्षा करती है

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की मौद्रिक नीति समिति हर दूसरे महीने मौद्रिक नीति की समीक्षा करती है। इसके जरिये रिजर्व बैंक अर्थव्यवस्था में पैसे की आपूर्ति को नियंत्रित करता है। मौद्रिक नीति का मकसद महंगाई पर अंकुश लगाना और कीमतों में स्थिरता बनाए रखना है। इसके अलावा रोजगार के अवसर तैयार करना और आर्थिक विकास दर का लक्ष्य हासिल करना भी इसके उद्देश्यों में शामिल है। केन्द्रीय बैंक ने इस बार भी अपनी मौद्रिक नीति में मुख्य दरों में कोई बदलाव नहीं किया। यह दूसरी बार है जब रेपो रेट में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है। इससे आम आदमी को राहत मिली है। ब्याज दरों में कोई बढ़ौतरी नहीं होगी और इससे बैंकों से आवास और आटो लोन लेने वालों की ईएमआई भी नहीं बढ़ेगी। बाजार और आम लोग भी चाहते थे कि उन पर और ज्यादा बोझ न बढ़े। आरबीआई जब भी कठोर रुख अपनाता है तो ब्याज दरें बढ़ा दी जाती हैं। इससे अर्थव्यवस्था में नकदी घट जाती है और इसका उत्पादन और खपत दोनों पर विपरीत असर पड़ता है। जब आरबीआई नरम रुख अपनाता है तो ब्याज दरें घटती हैं। इससे अर्थव्यवस्था में धन की सप्लाई बढ़ती है। 
बाजार में अधिक नकदी आने से व्यापार में तेजी बढ़ती है। ​रिजर्व बैंक ने महंगाई कम करने को अपनी प्राथमिकता में रखा है। हालांकि गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि चालू वित्त वर्ष में महंगाई दर निर्धारित लक्ष्य 4 प्रतिशत से ऊपर रह सकती है। इतना स्पष्ट है कि आरबीआई की महंगाई पर पैनी नजर है। 
मुद्रा स्फीति की अनुमानित दर को 5.2 प्रतिशत से घटाकर 5.1 किया है। अर्थव्यवस्था के सभी संकेतक इस समय मजबूत हैं। आर्थिक गतिवि​िधयां इस समय ठीक-ठाक ढंग से चल रही हैं और चालू वित्त वर्ष में जीडीपी वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है। विदेशी पोर्टफोलियो निवेश की आवक भी सुधरी हुई है। कुल मिलाकर भारत के आर्थिक हालात बेहतर नजर आ रहे हैं। पिछले सप्ताह जारी किए गए आंकड़े दिखाते हैं कि 2022-23 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 7.2 फीसदी रही। जबकि आधिकारिक अनुमान 7 फीसदी वृद्धि का था। 
अब सवाल यह है कि क्या रिजर्व बैंक भविष्य में नीतिगत दरों में कटौती करेगी। क्योंकि बाजार हमेशा यही चाहता है कि ब्याज दरों में नरमी हो। रिजर्व बैंक के रुख में नरमी मानसून के सामान्य रहने पर निर्भर करती है। 6 दिन की देरी से ही सही मानसून केरल में आ चुका है आैर अब उसके तेजी से बढ़ने के संकेत मिल चुके हैं। मौसम विभाग का अनुमान है कि मानसून सामान्य रहेगा। अगर मानसून सामान्य रहा तो कृषि उत्पादन बढ़ेगा। किसान खुशहाल होगा और उत्पादन ठीक-ठाक होने से खाद्यान्न की कीमतों पर ज्यादा असर नहीं होगा। अगर मानसून का वितरण असमान रहा यानि किसी हिस्से में ज्यादा वर्षा और किसी हिस्से में बहुत कम तो सारा गणित गड़बड़ा सकता है। मानसून के सामान्य रहने से ही शहरी और ग्रामीण मांग मजबूत बनी रहती है।
यद्यपि वैश्विक परिस्थितियां अभी भी प्रतिकूल हैं। सऊदी अरब ने कच्चे तेल के उत्पादन में आगामी जुलाई से रोजाना दस लाख बैरल की कमी करने का ऐलान किया है। जबकि ओपेक तथा अन्य देशों ने भी उत्पादन कटौती को इस वर्ष के अंत तक जारी रखने का फैसला किया है। कम तेल की सप्लाई घटी तो इसकी कीमतें बढ़ेंगी। यद्यपि भारत रूस से सस्ता तेल ले रहा है लेकिन फिर भी कीमतों पर इसका असर पड़ना तय है। देखना होगा कि आने वाले महीनों में हालात कैसे होते हैं। केन्द्र सरकार की भी यही प्राथमिकता होती है कि किसी न किसी तरह महंगाई कम हो।
 रिजर्व बैंक ने फिलहाल तटस्थ रुख अपनाया है लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि आने वाले महीनों में दरों में कटौती की जा सकती है। अर्थव्यवस्था का संबंध वैश्विक परिस्थितियों से जुड़ा होता है। रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते सप्लाई शृंखला में बाधा से हर देश प्रभावित हुआ है। वैश्विक हालात अभी भी अनिश्चित बने हुए हैं। अमेरिका में हालांकि कुल मुद्रा स्फीति में कमी आई है। लेकिन मूल मुद्रास्फीति में नहीं। ऐसे में वित्तीय बाजार फैडरल रिजर्व द्वारा दरों में इजाफे की सम्भावना से इंकार नहीं किया जा सकता।
वैश्विक वित्तीय बाजारों की सख्ती को देखते हुए यह अहम है कि भारतीय केंद्रीय बैंक समय से पहले शि थिलता न बरते। बॉन्ड बाजार में पांच वर्ष और 10 वर्ष के बॉन्ड पर प्रतिफल में इस वर्ष के आरंभ से अब तक 30 आधार अंकों की गिरावट आई है। नकदी की स्थिति सुधरी है। आंशिक तौर पर ऐसा 2,000 रुपये के नोटों की बैंकिंग व्यवस्था में वापसी से हुआ है। कुल मिलाकर वृहद आर्थिक हालात अपेक्षाकृत बेहतर नजर आ रहे हैं, अपेक्षाकृत असहयोगात्मक वैश्विक माहौल में वृद्धि को टिकाऊ बनाए रखना मुश्किल होगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *


Girl in a jacket
पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।