आरबीआई गवर्नर की योग्यता पर सवाल ? - Punjab Kesari
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आरबीआई गवर्नर की योग्यता पर सवाल ?

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पहले आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन, फिर नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविन्द पनगढ़िया और फिर मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविन्द सुब्रह्मण्यम और हाल ही में आरबीआई के गवर्नर उर्जित पटेल एक-एक करके पद छोड़ गए। इनका पद छोड़ना इस बात का संकेत है कि आरबीआई और सरकार के बीच कुछ ठीक नहीं चल रहा। यद्यपि इन सभी ने पद छोड़ने की वजह निजी कारण बताया लेकिन बाद में उसकी वजह सरकार से कुछ बिन्दुओं पर असहमति ही सामने आई। उर्जित पटेल के इस्तीफे के बाद आरबीआई की साख पर फिर सवाल उठे। उर्जित पटेल के इस्तीफे के बाद डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य के इस्तीफे की अफवाह उड़ी लेकिन बाद में उन्होंने ही इसका खंडन कर दिया। उर्जित पटेल की जगह अब पूर्व वित्त सचिव शक्तिकांत दास को आरबीआई का गवर्नर नियुक्त किया गया है लेकिन उन पर भी सवाल उठाए जाने लगे हैं।

भाजपा सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी ने आरोप लगाया कि दास पूर्व वित्तमंत्री पी. चिदम्बरम के साथ भ्रष्टाचार में लिप्त रहे हैं। स्वामी ने उनकी नियुक्ति के विरोध में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र भी लिख डाला। शक्तिकांत दास की नियुक्ति को लेकर गुजरात के भाजपा नेता जय नारायण व्यास ने भी सवालिया निशान लगाया। उन्होंने सोशल मीडिया पर दास की इतिहास में एमए की डिग्री का मजाक उड़ाते हुए लिखा कि वह उम्मीद आैर प्रार्थना करते हैं कि दास आरबीआई को इतिहास न बनाएं। हैरान करने वाली बात तो यह है कि व्यास गुजरात में नरेन्द्र मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे हैं। व्यास ने यह भी लिखा कि ‘आरबीआई को चलाने के लिए घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की गहरी जानकारी होनी चाहिए।’ आरबीआई जैसी संस्था को बेहद कुशल और योग्य अर्थशा​स्त्रियों को ही संभालना चाहिए। इस तरह शक्तिकांत दास की योग्यता पर ही सवाल खड़े किए जा रहे हैं।

जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नोटबंदी का ऐलान किया था और लोग बैंकों के सामने लम्बी कतारों में खड़े थे तब भी शक्तिकांत दास सामने आए थे और कहने लगे थे कि कालाधन बदलने के लिए कुछ लोग बार-बार लाइनों में लगे हैं, इसलिए कतारें लम्बी होती जा रही हैं। उन्होंने तब आइडिया पेश किया था कि कैश काउंटर पर नोट बदलने वाले लोगों की अंगुली पर चुनाव के समय इस्तेमाल होने वाली स्याही लगाई जाए। उनके इस आइडिया पर उनकी काफी आलोचना भी हुई थी और मजाक भी उड़ा था। लोकतंत्र में हर किसी को किसी दूसरे की आलोचना का अधिकार है लेकिन हैरानी इस बात की है कि शक्तिकांत दास की योग्यता पर सवाल भाजपा के भीतर से ही उठ रहे हैं। शक्तिकांत दास 1980 बैच के आईएएस आफिसर हैं, उनका विषय इतिहास जरूर रहा मगर उन्होंने लम्बे समय तक आर्थिक मामलों से संबंधित विभाग में काम किया है। आईआईएम से भी मैनेजमेंट का कोर्स किया।

वह प्रणव मुखर्जी, पी. चिदम्बरम और अरुण जेतली के साथ वित्त मंत्रालय में काम कर चुके हैं। उनकी योग्यता पर सवाल बेवजह ही उठाए जा रहे हैं। यह सही है कि 28 वर्ष में पहले ऐसे गवर्नर हैं जो अर्थशास्त्री नहीं हैं, उनसे पहले एस. वेंकटरमण गवर्नर बने थे। आरबीआई का गवर्नर बनने की यह कोई शर्त नहीं है कि गवर्नर अर्थशास्त्री ही होना चाहिए। पूर्व गवर्नर डी. सुब्बाराव का कहना है कि अर्थशास्त्र के बिना पीएचडी वाला भी गवर्नर हो सकता है। हमने भारत में कई ऐसे राजनीतिज्ञ भी देखे हैं जो कम पढ़े-लिखे थे लेकिन उनकी प्रशासनिक क्षमता लोगों को दांतों तले अंगुलियां दबाने को मजबूर कर देती थी। उनके द्वारा बनाई गई नीतियों को भी जनता ने सराहा। कम पढ़े-लिखे लोग भी राजनीति में उच्च पदों पर पहुंचे।

गवर्नर ऐसा व्यक्ति होना चाहिए जिस पर बाजार भरोसा करे। अगर बाजार शक्तिकांत दास पर भरोसा करता है तो यह एक अच्छी बात है। फिक्की ने भी उनकी नियुक्ति का स्वागत करते हुए कहा है कि दास वित्तीय मामलों की 360 डिग्री समझ रखते हैं। उद्योग जगत को भी भरोसा है कि बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थाओं के पास कर्ज देने के लिए पैसे का ​प्रवाह बढ़ेगा। उम्मीद की जानी चाहिए कि शक्तिकांत दास आरबीआई की स्वायत्तता को बरकरार रखते हुए सरकार आैर आरबीआई के बीच उलझनों को दूर करेंगे और अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए सही फैसले लेंगे। सबसे बड़ा विवाद तो आरबीआई के रिजर्व फण्ड को लेकर है। सरकार उस फण्ड से राशि चाहती है। दास के सामने कई चुनौ​ितयां हैं। उम्मीद है कि वह संतुलन बनाकर काम करेंगे।

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