डाकिया डाक लाया,
डाकिया डाक लाया,
खुशी का पयांम
कहीं दर्दनाक लाया
डाकिया डाक लाया।
वक्त कितना बदल गया। कभी डाकिये की इंतजार सबको रहती थी। साक्षर लोग तो अपनी चिट्ठियां खुद पढ़ लेते थे लेकिन निरक्षर लोग चिट्ठियां पढ़वाने के लिए डाकिये पर ही निर्भर रहते थे। डाकिया जब मनीऑर्डर लेकर आता तो चेहरे पर खुशियां छा जाती थीं। धीरे-धीरे डाक सेवाओं का प्रचलन खत्म होता गया क्योंकि सूचना प्रौद्योगिकी की क्रांति के युग में मोबाइल, इंटरनेट आैर ऐसी तकनीकी सेवाओं की शुरूआत हुई कि लोग पलभर में एक-दूसरे से सम्पर्क कायम करने लगे। चिट्ठी लिखने की आदत अब कहां रही। इंटरनेट, बैंकिंग और मनी ट्रांसफर की द्रुतगामी सुविधाएं उपलब्ध होने से मनीऑर्डर सेवाओं का इस्तेमाल भी लोग कम ही करते हैं। सरकार ने डाकघरों को भी बैंकों की तरह काम करने की सुविधा प्रदान करने की घोषणा की थी। केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने इस सेवा के लिए 1434 करोड़ की मंजूरी भी दी थी।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक की शुरूआत भी कर दी। बड़े पैमाने पर शुरू होने वाली इस सेवा में 650 शाखाएं शामिल होंगी आैर 17 करोड़ खातों के साथ यह अपनी बैंकिंग सेवा शुरू करेगा। यह सेवा डाकघरों के लिए मील का पत्थर साबित होगी। इन बैंकों में एक लाख रुपए तक बचत खाता, 25 हजार तक की जमा राशि पर 4 फीसदी ब्याज, चालू खाता आैर थर्ड पार्टी इंश्योरेंस जैसी सुविधाएं मिलेंगी। वहीं आधार भुगतान का पता बन जाएगा। डाकिया और ग्रामीण डाक सेवक शहरी आैर ग्रामीण इलाकों में डिजिटल भुगतान सेवा पहुंचाएंगे। देश के अन्य बैंक अपने एटीएम कार्ड आैर इंटरनेट बैंकिंग की सुविधा के लिए चार्ज वसूलते हैं, लेकिन पोस्ट ऑफिस पेमेंट बैंक के उपभोक्ता को एटीएम के लिए किसी तरह का चार्ज नहीं देना होगा। एक लाख तक के लेन-देन के अलावा ऋण के लेन-देन की भी सुविधा उपलब्ध होगी। इसके अलावा अन्य कई सेवाएं भी बैंक निःशुल्क देगा। सबसे खुशी की बात तो यह है कि डाकिया अब बैंकर हो गया है। सरकार का मानना है कि डाकिये को प्रत्येक व्यक्ति के बारे में पता होता है और वह ऐसे लोगों का भी खाता खुलवा सकता है जो बैंकिंग सेवाओं का प्रयोग नहीं करते। पूरे देश में इस समय इंडिया पोस्ट के एक लाख 55 हजार पोस्ट ऑफिस हैं। 650 भुगतान बैंक उनकी सहायता करेंगे।
अभी तक डाकघरों की मार्फत अपने घरों को मनीऑर्डर के जरिये छोटी राशि ही भेज पाते थे, परन्तु अब उनमें बैंकों की तरह खाते खुलवाकर न सिर्फ बचत सम्बन्धी सेवाओं का लाभ उठा सकेंगे बल्कि सरकारी योजनाओं का लाभ भी प्राप्त करेंगे। निःसंदेह दूरदराज के ग्रामीण इलाकों में रहने और कम आय वाले लोगों के लिए यह लाभकारी सुविधा होगी। जब तार सेवाओं का चलन बन्द हो गया और डाकघरों में तार भेजने की सेवाएं खत्म कर दी गईं तो उसके कर्मचारियों को डाक सेवाओं से जोड़ा गया। पोस्ट पेमेंट बैंक की सेवाओं को विस्तार मिलते ही रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। यद्यपि ग्रामीण बैंक और सहकारी बैंकों की सुविधा हर गांव में मौजूद है लेकिन अन्तर बस इतना है कि बैंक तक लोगों को खुद चलकर जाना पड़ता है। डाकघर लोगों तक खुद पहुंचता है। इसमें कोई संदेह नहीं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी सोच से देश को नई दिशा दी है। सभी भारतीयों को जन-धन खातों से जोड़ने की सफल मुहिम के बाद सरकार बैंकिंग सेवाओं को जनता के घर तक पहुंचाने जा रही है।
डाकिया सरकार का ऐसा प्रतिनिधि है जो जनता के सुख-दुःख में सीधे तौर पर जुड़ा होता है। पोस्ट पेमेंट बैंक एक सामाजिक क्रांति की शुरूआत है। डाकघर की पहुंच देश के लगभग हर व्यक्ति तक है, चाहे वह पहाड़ की चोटी पर बसा अकेला घर ही क्यों न हो। बैंकों में खाता खुलवाने की प्रक्रिया डाक सेवाओं की तुलना में अधिक तकनीकी है इसलिए दूरदराज के क्षेत्रों में रहने वाले लोग डाकघरों की सेवाएं लेंगे। पोस्ट पेमेंट्स बैंकों के जिरये मनरेगा में दी जाने वाली मजदूरी, छात्रवृत्तियां, सामाजिक कल्याण योजनाओं और अन्य सरकारी सब्सिडी भी हर ग्राहक तक डाकिये के माध्यम से पहुंचाई जाएगी। इन बैंकों से निश्चित रूप से डिजिटलीकरण की दिशा में भारत आैर आगे बढ़ेगा आैर होम डिलीवरी के जरिये सरकार समाज में हाशिये पर खड़े आखिरी व्यक्ति को वित्तीय मुख्यधारा से जोड़ने में सफल होगी। एक सस्ता, सरल, डिजिटल भुगतान ढांचा तैयार हो जाएगा।