प्रधानमंत्री ने माँ के चरण धोकर दिया युवाओ को संदेश - Punjab Kesari
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प्रधानमंत्री ने माँ के चरण धोकर दिया युवाओ को संदेश

हमें अपने यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर गर्व है, जिन्होंने गत् दिनों अपनी शत् वर्षीय मां हीराबेन के

हमें अपने यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी  पर गर्व है, जिन्होंने गत् दिनों अपनी  शत् वर्षीय मां हीराबेन के जन्मदिवस पर अहमदाबाद घर पहुंच कर 100वां जन्मोत्सव मनाया। उन्होंने मां के चरणों को धोया, उसके बाद उस चरणामृत को आंखों से लगाया। मोदी ने अपनी मां के साथ बैठकर पूजा अर्चना की, उन्हें शॉल ओढ़ाया। प्रधानमंत्री मोदी की मां ने भी जन्मदिन पर मिलने पहुंचे अपने बेटे का मुंह मीठा कराकर उनको आशीर्वाद दिया। सचमुच मोदी जी का मातृप्रेम कमाल का है और यह दुनिया के लिए एक उदाहरण है। मुझे वरिष्ठï नागरिकों के लिए काम करते हुए 18 वर्ष बीत चुके हैं। मेरे पास तरह-तरह केस और किस्से सुनने को मिलते हैं जिनको मैंने अपनी पुस्तकों आशीर्वाद, जीवन संध्या, जिन्दगी का सफर, अनुभव, आज और कल में उकेरा है ताकि लोगों को  पता चल सके कि क्या-क्या हो रहा है? ऐसे होना चाहिए या नहीं। अक्सर आजकल हम देखते हैं कि धन सम्पत्ति के मोह- माया जाल में फंसकर  बच्चे माता-पिता की परवाह नहीं करते, आदर की जगह निरादर करते हैं और कई बेटे आज के युग में भी राम, श्रवण की तरह सेवा करते हैं। ऐसे बेटों और बेटियों की संख्या भी कम नहीं। मेरे बेटे भी इसी श्रेणी में आते हैं। थोड़े दिन पहले एक बुजुर्ग मेरे पास आए और बोले घर में तीन बेटे व एक बेटी है, पर मेरा साथ नहीं देते।  वह अपने साथ एक सुप्रीम कोर्ट का निर्णय साथ लेकर आया था कि आप अपनी प्रोपर्टी, परोपकार या अच्छे काम के लिए दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि मैं सम्पत्ति क्लब को देना चाहता हूं बहुत ही पढ़े-लिखे अच्छे इंसान थे परन्तु मुख पर दु:ख झलक रहा था और उनकी बातें मेरे साथ ऐसी थी जैसे एक दुखी बेटा मां से बात कर रहा हो। भले मुझे वो कह रहे थे तुम मेरी बेटी और बहन समान हो। तो मैंने उन्हें समझाया कि हमें धन-संपत्ति की आवश्यकता नहीं, आपकी संताने ही आपका सहारा हैं। उनसे मिलकर प्रेमभाव से रहो। हां, जीते जी अपनी संपत्ति उनके नाम मत करो। जो बच्चे जिम्मेदारी से  आपकी सेवा करें, अपना कत्र्तव्य निभायें! अपने बाद विल, (प्रोपर्र्टी) उनके नाम से कराएं।
बच्चे अक्सर गलतियां करते हैं। मां बाप का बड़ा दिल होता है आप उन्हें माफ कर दें, मैं भी उनको समझाऊंगी, परन्तु वह मान नहीं रहे थे, बहुत दुखी थे कि अगर आप नहीं लोगी तो मैं कहीं भी दान कर दूंगा पर उनको नहीं दूंगा। मेरी उनके बच्चों को हाथ जोड़कर प्रार्थना है कि जैसे आप अपने बच्चों का ख्याल रख रहे हो वैसे ही अपने माता-पिता का ख्याल रखो….
नहीं तो समय निकल जयेगा।
जब आप उनकी अवस्था में पहुंचोंगे तो आप पछताओगे।
कुछ वर्ष पहले भी एक 80 वर्षीय बुजुर्ग महिला गुरुग्राम से मेरे पास आयी, उन्होंने बताया कि घर में सात बच्चे हैं, पर सभी धन-सम्पत्ति तो लेना चाहते हैं पर सेवा नहीं करना चाहते। मैंने उन्हें भी समझाया था कि बच्चे ही आपका सबकुछ हैं, चाहे वो गलत हैं या ठीक यह उन्हीं का हक है।  उन्हें प्यार से समझाओ, उनके साथ मिलजुल कर रहो। पर उन्होंने जिद पकड़ रखी थी कि मेरी सम्पत्ति आप लो अन्यथा मैं किसी दूसरी संस्था को दे दूंगी। कुछ दिनों बाद पता चला कि वे अपनी सारी सम्पत्ति बाबा रामदेव को दे गयी। 
मेरा वरिष्ठजनों से यही विनम्र आग्रह हैं कि वे जीते जी अपनी प्रोपर्र्टी बच्चों के नाम न करें-
मेरा मानना है कि परिवार में यदि संतुलन बनाना है  तो कुछ बातों को ध्यान बुजुर्गों को भी रखना चाहिए। बुजुर्गों को चाहि कि उनके कामों में अनावश्यक दखलंदाजी न करें। बच्चों को हमेशा याद रखना चाहिए जहां आज तुम्हारे माता-पिता हैं कल तुम भी उसी स्थान पर होगे। जो बोओगे-वो काटोगे। अंत में मैं यही कहूंगी कि- 
चाहे लाख करो तुम पूजा,
तीर्थ करो हजार।
 अगर मां-बाप का दिल दुखाया,
 तो सब कुछ है बेकार॥

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