जस्टिन ट्रूडो : बड़े बेआबरू होकर... - Punjab Kesari
Girl in a jacket

जस्टिन ट्रूडो : बड़े बेआबरू होकर…

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को अंततः 9 साल के शासन के बाद इस्तीफा…

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को अंततः 9 साल के शासन के बाद इस्तीफा देना ही पड़ा। इस्तीफे के पीछे के कारण पूरी तरह से स्पष्ट हैं, जिनमें भारत से पंगा, अमेरिका के दूसरी बार निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की धमकी और अपनी ही लिबरल पार्टी में जबरदस्त विरोध शामिल है। ट्रूडो ने पिछले 2 सालों में ऐसे फैसले लिए जिसे कनाडा के कई देशों के साथ संबंधों पर बुरा असर पड़ा। कनाडा में लगातार बढ़ती महंगाई और महंगे आवास तथा बेरोजगारी के चलते भी ट्रूडो की लोकप्रियता में जबरदस्त कमी आई। दो प्रतिशत वोट की खातिर ट्रूडो ने जिस तरह से खालिस्तान समर्थकों को संरक्षण दिया उससे कनाडा आतंकवादियों का अड्डा दिखाई देने लगा। खालिस्तानी आतंकवादी निज्जर हत्याकांड के बाद उन्होंने जिस तरह से भारत विरोधी कदम उठाए उससे घरेलू राजनीति में उनका ​िवरोध काफी बढ़ गया। ‘‘बड़े बेआबरू होकर तेरे कूचे से हम निकले,’’ यानी उन्हें फजीहत कराकर सत्ता से जाना पड़ा।

कनाडा के रास्ते अमेरिका में बढ़ रही ड्रग्स की तस्करी और अवैध प्रवासियों की घुसपैठ को न रोक पाने को लेकर डोनाल्ड ट्रम्प ने कनाडा पर टैरिफ में 25 प्रतिशत की बढ़ौतरी करने की धमकी दी, उससे कनाडा के वित्तीय संकट में फंसने का खतरा पैदा हो गया। ट्रम्प की धमकी से आर्थिक अस्थिरता को लेकर ​चिंताएं बढ़ गईं। ट्रूथ सोशल मीडिया पर अपनी प्रतिक्रिया में ट्रम्प ने मजाकिया लहजे में कहा, “कनाडा में बहुत से लोग 51वां राज्य बनने से खुश होंगे। अगर कनाडा अमेरिका का हिस्सा बन जाता है तो कोई टैरिफ नहीं होगा, टैक्स भी बहुत कम हो जाएंगे और वे रूसी और चीनी जहाजों के खतरों से पूरी तरह सुरक्षित हो जाएंगे जो लगातार उन्हें घेरे रहते हैं।”

जस्टिन ट्रूडो को झटका तब लगा जब खालिस्तान समर्थक एनडीपी नेता जगमीत सिंह ने अपना समर्थन वापिस ले लिया। चरमराती अर्थव्यवस्था के कारण जस्टिन ट्रूडो के अपने भी बेगाने हो गए। अब लिबरल पार्टी को नया नेता ढूंढना होगा जो ट्रूडो द्वारा फैलाए गए रायते को समेट सके। देश में इसी साल अक्तूबर-नवम्बर में चुनाव होने हैं। ट्रूडो की जगह लेने के​ लिए कई नाम सामने आ रहे हैं, ​िजनमें कुछ भारतीय मूल के भी हैं। इनमें हाल ही में ट्रूडो मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने वाली पूर्व ​वित्त मंत्री क्रिस्टिया फ्रीलैंड, बैंक ऑफ कनाडा के पूर्व गवर्नर मार्क कार्नी, कनाडा की पूर्व रक्षा मंत्री और ट्रूडो सरकार में परिवहन और आंतरिक व्यापार मंत्रालय सम्भाल रहीं अनीता आनंद, मेलानी जॉली और कंजर्वे​िटव पार्टी के नेता पियरे पो​िलएवर शामिल हैं। नए प्रधानमंत्री को न केवल कनाडा की अर्थव्यवस्ता को सम्भालना होगा, बल्कि ट्रम्प की चुनौतियों का भी सामना करना होगा।

अब सवाल यह है कि ट्रूडो के इस्तीफे से भारत को क्या फायदा होगा। ट्रम्प ने कनाडा को अमेरिका में शामिल होने का एक अच्छा विकल्प बताया जिससे न केवल टैरिफ की समस्या हल होगी बल्कि अन्य आर्थिक लाभ भी होंगे। उन्होंने यह भी जोड़ा कि यह एक साथ मिलकर एक महान राष्ट्र बना सकता है। दरअसल, जस्टिन ट्रूडो कनाडा में अल्पसंख्यकों के बीच पैठ बनाने के लिए खालिस्तान के समर्थन में उतर आए थे, जबकि कनाडा के ज्यादातर लोग ऐसे अलगावादियों का समर्थन नहीं करते। ट्रूडो के इसी रुख के कारण लोग उनसे नाराज हो गए। कनाडा के स्थानीय लोग यह भी नहीं चाहते थे कि भारत के साथ उनके देश के संबंध खराब हों। कनाडा में कट्टरपंथियों को समर्थन देने के लिए भी लोग तैयार नहीं थे। फिर देश में इसी साल अक्तूबर-नवम्बर में आम चुनाव होने हैं। ऐसे में लिबरल पार्टी भी नहीं चाहती थी कि भारत के साथ संबंध बिगड़ें और स्थानीय लोगों की नाराजगी झेलनी पड़े।

भारत से विवाद मोल लेने के बाद दोनों देशों का व्यापार प्रभावित हुआ। इससे कनाडा को भी नुक्सान हुआ। ट्रूडो ने स्टूडैंट वीजा से जुड़ा एक ऐसा फैसला लिया जिससे भारतीय छात्रों की मुश्किलें बढ़ गईं। कनाडा के प्रवासियों और युवाओं के बीच बेरोजगारी बढ़ी। इससे भारतीय छात्र सबसे ज्यादा प्रभावित हुए। नया प्रधानमंत्री कोई भी बने। उसकी कोशिश होगी कि भारत से उनके संबंध मधुर रहें और कनाडा की जनता के मन में पैदा हुई नाराजगी दूर हो। उम्मीद की जाती है कि नया प्रधानमंत्री खालिस्तानी समर्थक तत्वों की गोद में नहीं खेले और उनकी भारत विरोधी गतिविधियों पर अंकुश लगाने का काम करे। लिबरल पार्टी के नेता भारत से मधुर संबंधों के इच्छुक हैं। उन्हें कुछ ऐसा करना है ताकि अगले चुनाव में जनता उन्हें समर्थन दे। नए प्रधानमंत्री के ज्यादा देर तक पद पर रहने की सम्भावना नहीं है। देखना होगा कि कनाडा की राजनीति क्या मोड़ लेती है।

आदित्य नारायण चोपड़ा

Adityachopra@punjabkesari.com

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

13 + 11 =

Girl in a jacket
पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।