पानी रे पानी तेरा रंग कैसा... - Punjab Kesari
Girl in a jacket

पानी रे पानी तेरा रंग कैसा…

जल ही जीवन है यह बात बिल्कुल सही है। एक और गीतकार ने कहा है कि पानी रे

जल ही जीवन है यह बात बिल्कुल सही है। एक और गीतकार ने कहा है कि पानी रे पानी तेरा रंग कैसा-जिसमें मिला दो लगे उस जैसा, यह बात भी बिल्कुल सही है। गर्मी में हमें सबसे ज्यादा प्यार बादलों से होता है इसीलिए हम उनके बरसने का इंतजार करते हैं। एक समय था जब हम बरसात का बड़ी बेसब्री से इंतजार करते थे। घर में खीर, पूड़ेे, पकौड़े बनाए जाते थे। बरसात का आनंद ही कुछ और था।  अब जैसे ही बरसात होती है पहले तो एक गृहणी को डर लगता है कि घर न टपक पड़े। यहां तक की कई आफिसों में डर होता है। कई आफिस की छतें या खिड़की-दरवाजों से पानी न आ जाए क्योंकि मशीनरी, कम्प्यूटर का जमाना है, पानी पड़ा नहीं और खराब हुआ नहीं। सिक्के का दूसरा पहलू पानी के कहर और तबाही का है।  जो हमने 10 साल पहले उत्तराखण्ड में देखा। पिछले दिनों असम में बाढ़ कहर लाई। कुल 40 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हुए हैं, मानसून को लेकर उपायों के बारे में चर्चा बरसों से हो रही है, उपाय भी हो रहे हैं, लेकिन सिक्के का दूसरा पहलू यह है कि इसी बारिश के चलते आज कम्प्यूटर के जमाने में लोगों की दिक्कतें बढ़ रही हैं। हर तरफ सड़कें चौड़ी हैं, लेकिन हाईवेज हो या शहरों की सड़कें मामूली सी बारिश में पानी जमा हो जाता है और वाहन इसमें फंसने लगते हैं। पानी की निकासी का बंदोबस्त उचित होना चाहिए। सड़कों का ढांचा ऐसा ढलाव दार होना चाहिए ​जैसा विदेशों में है, जहां पानी ठहरता ही नहीं अंडरग्राउंड चला जाता है। हमारे यहां बारिश के आने पर अंडरग्राउंड से पानी आ जाता है और बारिश के पानी में मिलकर वहीं भराव होने लगता है। पिछले दो दिन की बारिश ने ही हमें एक बार उस व्यवस्था की याद दिला दी है जो 5 साल पहले नेशनल हाईवे पर दिल्ली-गुरुग्राम के बीच देखी गई थी। जब 7-7 किलोमीटर लंबा जाम लग गया और दिल्ली से गुरुग्राम और गुरुग्राम से दिल्ली आने वालों को पूरी रात अपने वाहनों में गुजारनी पड़ी थी ये सब बातें लोग आज भी सोशल मीडिया पर एक दूसरे से उस समय शेयर करते हैं जब वे खुद वर्षा के दौरान सड़कों पर फंस जाते हैं।
हमारा मानना है कि बारिश के दौरान जल भराव न हो हमें ऐसी ठोस व्यवस्था करनी चाहिए। यह काम प्रशासन को करने हैं, आज की तकनीक कम्प्यूटर आधारित है। सफाई के लिए भी नई-नई मशीनें आ चुकी हैं। पानी निकासी के लिए बड़े-बड़े आधुनिक पम्प हैं, लेकिन फिर भी ऐसे उपाय क्यों न किए जाएं कि पानी का भराव न हो। अनेक लोग घरों से कार्यालय के लिए या कार्यालय से घरों के लिए या कहीं भी अपने गंतव्य के लिए निकलते हैं तो हर तरफ पानी बरसने की स्थिति में चिंता की लकीरें बढ़ने लगती हैं। एक ठोस और समानांतर व्यवस्था सड़कों पर होनी चाहिए। चाहे मुम्बई हो, बैंगलुरू हो या दिल्ली कोई भी शहर हो जल भरने की स्थिति में सुर्खियां बनती रहीं है। सोशल मीडिया पर इसके बारे में लोग अपनी-अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हैं। हमारा मानना है कि हर सूरत में मानसून के दिनों में विशेष व्यवस्था होनी चाहिए। आपात सर्विस होनी चाहिए जिसका काम केवल सड़कों पर पानी के भराव की स्थिति में तुरंत पानी निकासी की व्यवस्था सुनिश्चित की जानी चाहिए। इसे लागू करने के लिए चाहे हेल्पलाइन नम्बर हो या ऐप वो जरूर याद किए जाने चाहिए ताकि इस प्राकृतिक आपदा के दौरान लोगों को मुश्किलों से राहत मिल सके। समय की मांग यही है कि उपाय तुरंत होने चाहिए और व्यवस्था दीर्घकालीक होनी चाहिए। अच्छा यही है कि बीमार का इलाज हो ल​ेकिन अगर बीमारी का खात्मा कर दिया जाए तो इससे बड़ी व्यवस्था नहीं हो सकती है, हमें इसी व्यवस्था को लागू करने के लिए प्रयासशील होना चाहिए। 
स्कूलों कॉलेजों में अगर एनसीसी, एनएसएस शामिल किए जा सकते हैं तो बाढ़ और जलभराव की स्थिति में निपटने के लिए यूथ के लिए एक अलग ऐसा अनिवार्य कोर्स बना कर शामिल करें जो आगे चल कर उनका कैरियर बन सके। तो यकीनन एक बड़ी समस्या से मुक्ति मिल सकती है। व्यवस्था हमेशा ऐसी होनी चाहिए कि लंबी अवधि में हमारा साथ दे। निश्चितरूप से अगर हम आज ही ऐसा ठानते हैं कि कागजों में इंजीनियरिंग विभाग के लोगोंे से जुड़ कर योजना बनाते हैं तो इसे जमीन पर उतारने में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा। अगर हमारा देश खुले में शौच से मुक्ति पा सकता है। तो कितनी ही ऐसी सामाजिक समस्याएं हैं जिन पर हम विजय प्राप्त कर सकते हैं। अचानक जलभराव आैर बाढ़ आ जाना ऐसी समस्या को सामाजिक तौर पर लिया जाना चाहिए तथा इसका समाधान भी प्रा​थमिकता के आधार पर निकाला जाना चाहिए आज कल छुट्टियों के बाद स्कूल खुलने जा रहे हैं, मानसून सक्रिय है तो बच्चों को लेकर विलंब के मामले में माता-पिता चिंतित रहते हैं।
ट्रांसपोर्टेशन सही और सुचारू हो तथा व्यवस्था ठोस हो, इससे सभी का लाभ होगा, इस व्यवस्था का इंतजार था और रहेगा। हालांकि व्यवस्थाएं आज भी की जा रही हैं और हम उनका स्वागत करते हैं लेकिन यह सच है कि पानी के भराव की समस्या से निपटने के लिए अगर कई और विभागों को जोड़ कर इसे एक विशेष रूप से स्थापित किया जाए, तो सही मायनों में इसे लोगों का दिल ​जीतने वाली बात कहंेंगे। प्रशासन अच्छी चीज करता है तो लोग उसका स्वागत करते हैं। ऐसा नहीं कि जल भराव पर शासन कुछ नहीं करता, उसकी व्यवस्थाओं पर हम सवाल नहीं उठा रहे हैं लेकिन व्यवस्था ठोस और आने वाले कई वर्षों को सामने रख कर लागू की जानी चाहिए तो यह एक स्वागत योग्य कदम होगा इसका हमें इंतजार है। वरना यही पानी है जिसको लेकर इसकी उपयोगिता समय पर साबित होती है और हमारा जीवन चलाती है लेकिन यही पानी जब कहर बरपाता है तो परिणाम सबके सामने रहता है, इस कड़ी में व्यवस्था को भी जोड़ लेना चाहिए तो सोने पर सुहागा होगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

one × two =

Girl in a jacket
पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।