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पाक को करारा सबक मिलेगा

स्वतन्त्र भारत की यह खूबी रही है कि कभी भी यह आक्रमणकारी…

स्वतन्त्र भारत की यह खूबी रही है कि कभी भी यह आक्रमणकारी देश नहीं रहा है और जब भी इसकी सेनाओं को रणक्षेत्र में कूदना पड़ा है तो आत्मरक्षार्थ और राष्ट्रीय सीमाओं की सलामती के लिए। जबकि इसके साथ ही स्वतन्त्र हुआ देश पाकिस्तान हमेशा आक्रमणकारी रहा है। कश्मीर की पहली जंग से लेकर कारगिल युद्ध तक पाकिस्तान ने पहले भारत पर हमला किया जिसके जवाब में भारत की सेनाओं ने सर्वदा विजय प्राप्त की। चाहे वह 1947-48 का कश्मीर युद्ध हो या 1965 का भारत-पाक रण हो अथवा 1971 की बंगलादेश लड़ाई हो। बंगलादेश युद्ध में सीधे भारतीय सेनाएं तभी कूदीं जब पाकिस्तान ने हमारे पंजाब व राजस्थान की सीमा से लगे इलाकों में अतिक्रमण किया वरना प. बंगाल की सीमा से लगे पूर्वी पाकिस्तान (अब बंगलादेश) का मामला सीधे-सीधे मानव अधिकारों के हनन का था क्योंकि पूर्वी पाकिस्तान के लोगों पर पाकिस्तान की सेना ने जुल्मो-गारत का दौर चला रखा था। भारत की विदेश नीति शुरू से ही यही रही है कि वह किसी सिद्धान्त या दर्शन का निर्यात नहीं करता है बल्कि मानता है कि किसी भी देश का शासन उस देश की जनता की इच्छा के अनुसार चलना चाहिए।

किस देश में कैसी सरकार हो इसकी जिम्मेदारी वहां की जनता पर ही छोड़ी जानी चाहिए। मगर हम में से काटकर बना पाकिस्तान एेसा किराये का मुल्क है जो कुछ बड़े देशों के इशारे पर अपनी जमीन को आतंकवादियों की सैरगाह में तब्दील करने से नहीं हिचकता। अपने वजूद में आने से लेकर अब तक पाकिस्तान की कोई स्वतन्त्र विदेश नीति नहीं रही है बल्कि भारत व हिन्दुओं से दुश्मनी इसका ईमान रहा है। पाकिस्तान भारत विरोधी जुनून में यह भी भूल बैठा है कि भारत दुनिया का एेसा दूसरा मुल्क है जिसमें मुस्लिम आबादी सबसे बड़ी है। अतः इस्लाम के नाम पर 1947 में बने पाकिस्तान की आज हकीकत यह हो गई है कि कोई भी मुस्लिम देश उसके साथ नहीं है। इसकी मुख्य वजह यह है कि दहशतगर्द तंजीमों को सुरक्षा देने के चक्कर में पाकिस्तान के हुक्मरान यह भूल गये कि वह अब खुद दहशतगर्द मुल्क बनने के मुंहाने पर आकर बैठ गये हैं। अतः विगत 22 अप्रैल को कश्मीर के खूबसूरत व दिलकश सैलानी स्थान पहलगाम में जिस तरह पाकिस्तान से आये आतंकवादियों ने पर्यटकों का धर्म पूछ-पूछ कर उनकी हत्या की उससे पूरी दुनिया के लोग ही सकते में आ गये। कश्मीर भारत का एेसा मनोरम इलाका है जहां दुनियाभर से पर्यटक आते हैं। इसलिए पाकिस्तान ने पहलगाम में जो बुजदिलाना काम किया है उसके खिलाफ विश्व भर के देश हैं और भारत के साथ खड़े हैं। क्या तुर्की और अफगानिस्तान की सरकारों ने पहलगाम कांड पर भारत का समर्थन एेसे ही कर दिया है। भारत जानता है कि पहलगाम में हुआ हत्याकांड उसकी अस्मिता को चुनौती है जिसका मुंहतोड़ जवाब दिया जाना चाहिए। अतः प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने घोषणा की है कि पहलगाम हत्याकांड करने वाले आतंकवादियों को भारत एेसी सजा देगा जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती है।

भारत की इस दृढ़ इच्छाशक्ति से जाहिर है कि आतंकवादियों की आका पाकिस्तानी सरकार भीतर से हिल चुकी है और वह जंग के खौफ से दुबली होती जा रही है। श्री मोदी ने रक्षामन्त्री श्री राजनाथ सिंह व सुरक्षा सलाहकार श्री अजीत डोभाल सहित तीनों सेनाओं के कमांडरों व मुख्य रक्षा कमांडर की बैठक बुला कर जिस तरह आतंकवाद के विरुद्ध माकूल कदम उठाने को सेना को अधिकृत किया है उससे लगता है कि भारत अपनी संप्रभुता पर किसी भी प्रकार का हमला बर्दाश्त नहीं कर सकता है। जब 2019 में पाकिस्तानी आतंकवादियों ने कश्मीर के पुलवामा में हमारे सुरक्षा बलों के 40 रणबांकुरों को शहीद किया था तो उसके जवाब में भारत ने पाकिस्तान स्थित बालाकोट में सर्जिकल स्ट्राइक करके साफ कर दिया था भारत में पाकिस्तान के भीतर घुसकर उसे सबक सिखाने की कूव्वत है। इसके बाद पाकिस्तान को अपनी हैसियत समझ लेनी चाहिए थी और आतंकवादियों के प्रशिक्षण शिविरों को खत्मकर देना चाहिए था मगर इसने छह साल बाद फिर से कश्मीर के ही पहलगाम में एेसी बर्बर कार्रवाई कर डाली जिसकी निन्दा पूरी दुनिया कर रही है और पाक के रक्षामन्त्री ख्वाजा आसिफ फरमा रहे हैं कि पाकिस्तान तो पिछले 30 सालों से भी ज्यादा वक्त से दहशतगर्दों को पाल-पोस कर बड़ा कर रहा है। आसिफ का यही बयान पाकिस्तान को आतंकवादी देश बना देता है। मगर अब सवाल यह है कि भारत सैनिक मोर्चे पर पाकिस्तान को क्या सबक सिखायेगा? इसी के लिए सेना को सीमा पर अपने हिसाब से कदम उठाने के लिए कहा गया है जिससे पाकिस्तान थर-थर कांप रहा है। मगर पहलगाम कांड की साजिश में पाकिस्तान का यह एजेंडा भी छिपा हुआ है कि भारत में हिन्दुओं को मुस्लिमों के खिलाफ भड़काया जाये। उसका यह मन्तव्य कभी पूरा नहीं हो सकता है क्योंकि भारत के मुसलमानों की राष्ट्रभक्ति पर सन्देह नहीं किया जा सकता और न ही कश्मीर मुसलमानों की देशभक्ति को सन्देह के घेरे में रखा जा सकता है। बेशक कुछ लोग हैं जो पाकिस्तान द्वारा बिछाये गये जाल में फंस जाते हैं मगर उनका इलाज भारत की जांच एजेंसियां करने में सक्षम हैं।

5 अगस्त 2019 को गृहमन्त्री श्री अमित शाह ने जब 370 अनुच्छेद को समाप्त किया था तो साफ कर दिया था कि पाकिस्तान अब किसी भी सूरत में कश्मीर के मुद्दे को अन्तर्राष्ट्रीय मंचों पर नहीं उठा सकता है क्योंकि पूरा जम्मू-कश्मीर राज्य भी वैसा ही है जैसा कि भारत का कोई अन्य राज्य। यह भी सनद रहनी चाहिए कि इसके बाद से कश्मीर के विकास को बल मिला और इस सूबे के लोगों को भी वे अधिकार मिले जो भारत के किसी अन्य सूबे के लोगों को मिलते हैं। पहलगाम कांड के बाद कश्मीरियों को यह भी साफ हो गया है कि पाकिस्तान उनके मुख्य उद्योग धंधे पर्यटन को ही तबाह कर देना चाहता है। अतः एेसे मुल्क को कश्मीरी भी करारा जवाब दिये जाने के पक्ष में हैं और प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी के साथ हैं। इसलिए बहुत जरूरी है कि भारत के विभिन्न प्रान्तों में पढ़ाई या काम धंधा करने वाले कश्मीरियों को पूरा सम्मान दिया जाये और पूरे देश में साम्प्रदायिक सौहार्द को बना कर रखा जाये।

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