...इंसान का इंसान से हो भाईचारा यही पैगाम हमारा - Punjab Kesari
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…इंसान का इंसान से हो भाईचारा यही पैगाम हमारा

आज हम चांद पर पहुंच गए परन्तु फिर भी कुछ लोगों की सोच हिन्दू-मुस्लिम पर ही अड़ी है।

आज हम चांद पर पहुंच गए परन्तु फिर भी कुछ लोगों की सोच हिन्दू-मुस्लिम पर ही अड़ी है। पिछले चार दिन से दिल्ली की सीमा से सटे हरियाणा के नूंह और गुड़गांव में जिस तरह से मामूली सी बात पर जो हिंसा का तांडव हुआ और छह लोगों की जान चली गयी वह अपने आप में सवाल खड़ा करता है। सुप्रीम कोर्ट ने भी उस मानवीय आचरण पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा है कि किसी को भी हेट स्पीच अर्थात नफरत भरे शब्द नहीं बोलने चाहिएं। आपके शब्दों में हिंसा का भी कोई उल्लेख नहीं होना चाहिए। सब जानते हैं कि नूंह, मेवात में क्या कुछ हुआ और अभी तक वहां एफआईआर दर्ज की जा रही हैं, गिरफ्तारियां हो रही हैं। इस हिंसा के विरोध में रैलियां निकल रही हैं, कहीं हनुमान चालीसा पढ़ी जा रही है। मानव को मानव से भिड़ना न पड़े इसके लिए अपीलें की जा रही हैं। मंदिरों या मस्जिदों को निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए। किसी भी किस्म के दंगे में नुक्सान तो आम आदमी का ही होता है। सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों का न केवल स्वागत किया जाना चाहिए बल्कि राज्यों को इस पर तुरंत पालन करना चाहिए। आज की तारीख में इसी नूंह में हिंदू और मुसलमान संप्रदाय के लोग एक-दूसरे समुदाय के लोगों को अपने-अपने घरों में पनाह दे रहे हैं ताकि आपसी सद्भाव और सांप्रदायिक प्रेम और भाईचारा बना रहे। हम सब एक हैं यही भारतीयता की पहचान है। हम भले ही किसी भी धर्म के क्यों न हो लेकिन पहले भारतीय हैं, इस अवधारणा पर काम करना होगा। 
मेरा व्यक्तिगत तौर पर पहले भी यही दावा था और आज भी यही स्टैंड है कि सार्वजनिक जीवन में हमें याद रखना चाहिए 
ऐसी वाणी बोलिए मन का आपा खोए
औरन को शीतल करें आपहु शीतल होए
अर्थात कबीर जी का यह दोहा अगर जीवन में उतार लें तो जीवन में कहीं भी कोई दंगा नहीं होगा। कबीर, गुरु नानकदेव जी, तुलसीदास जी इत्यादि ने भी वाणी को लेकर हमेशा मीठेपन की बात कही है कि आपकी वाणी जितनी मीठी होगी उस आचरण से कभी भी अनिष्ठ नहीं होगा। कहा भी गया है 
जहां काम ना करे गोली
 वहां काम करे है बोली
अर्थात गोली अपना असर नहीं दिखा सकती परंतु आपकी जुबान गोली की तरह असर दिखा सकती है इसलिए जुबान पर काबू रखना चाहिए। नूंह हिंसा में अभी तक जो सामने आ रहा है उसमें भी दोनों पक्षों की ओर से भड़काने वाली भाषा का अर्थात नफरत पैदा करने वाली जुबान का इस्तेमाल किया गया। आज जब सब कुछ जलकर तबाह हो गया है तो अब आग बुझाने की कोशिशें हो रही हैं। काश, आग लगे ही क्यों? मरने वाले लोगों में हरियाणा होमगार्ड के दो जवान भी शामिल हैं बाकी  चार भी किसी न किसी के बेटे, पिता, पुत्र, भाई-बहन रहे होंगे। दंगों में दंगाईयों को कौन भड़काता है, क्यों भड़काता है और तबाही के बाद क्या बचता है, यह सवाल चैनलों से लेकर सोशल मीडिया तक केवल चर्चा  का विषय बनकर रह जाते हैं लेकिन फिर भी नूंह के दंगे मानवता की कहानी भी प्रस्तुत कर गए। नूंह के गुरुकुल में सौ से अधिक बच्चों और शिक्षकों की जान एक हाजी और एक मुस्लिम सरपंच शौकत अली ने बचाई। शौकत अली अपनी टीम के साथ गुरुकुल के आगे डट गए और हमलावर भीड़ को आगे बढ़ने से रोक दिया। उन्होंने भीड़ को कहा कि आपको हमारी लाश से होकर ही गुजरना होगा। इसे सच्ची मानवता कहते हैं। हालांकि सरकारी तौर पर प्रशासन बहुत सख्त है और यह भी कहा जा रहा है कि यह आग बल्लभगढ़ और पलवल तक फैलती चली गई। दंगाईयों पर नियंत्रण नहीं किया गया। हमारा व्यक्तिगत तौर पर मानना है कि इस मामले में प्रशासन को सख्ती दिखानी होगी। नेताओं को भी घरों से बाहर निकलना होगा। हिंसा प्रभावित लोगों की उम्मीदें नेताओं से ही होती हैं।
इस छोटे से नूंह, बल्लभगढ़ या पलवल में जिस तरह आगजनी और हिंसा हुई उसका सबसे ज्यादा नुक्सान उन लोगों को होता है जो बेचारे दिहाड़ीदार हैं और काम की तलाश में निकलते हैं। सैकड़ों गाडि़यों को आग के हवाले कर दिया जाना वहशीपन नहीं तो और क्या है। हमारे बड़े बुजुर्ग सभ्य समाज को यही सिखाते हैं कि हमेशा शांत बने रहो, धैर्य रखो और मीठा बोलो। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के कमेंट बहुत प्रेरणादायी हैं। हेट स्पीच और हिंसा का किसी भी सभ्य समाज में स्थान नहीं होना चाहिए। राज्यों को चाहिए कि दंगाईयों को ऐसी कड़ी सजा मिले कि दूसरा कोई ऐसी हरकतें करने की जरूरत न करें।  खून-पसीना बहाकर वाहन खरीदे जाते हैं। जो बेचारे इन दंगों में मारे गए प्रभु उनके परिजनों को मजबूती प्रदान करें और प्रशासन से अपील है कि उचित मुआवजा उनके परिजनों को तुरंत मिलना चाहिए। भविष्य में सुरक्षा व्यवस्था मजबूत हो और हर कोई सुरक्षित रहे तथा जीओ और जीने दो जैसी हमारी संस्कृति चलती रहनी चाहिए। इसी के दम पर हमारी दुनिया में पहचान है। 
‘‘इंसान का इंसान से हो भाईचारा यही पैगाम हमारा।’’

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पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।