दिल्ली को अगर हम ट्रैफिक जाम की दिल्ली कहें तो कोई बड़ी बात नहीं। कहीं जाना हो तो सबसे पहले सामना करना पड़ता है ट्रैफिक जाम का। स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, शादी-ब्याह, आफिस कहीं भी जाना हो तो समय को देखकर चलना पड़ता है। धन्यवाद हो गूगल बाबा का जो हमें सर्च करने पर पहले ही बता देता है कि आधे घंटे की दूरी आप एक घंटे में तय करोगे। अभी कितने ही फ्लाईओवर बन गए हैं, फिर भी मुसीबत। अगर मुसीबत में कोई इमरजैंसी आ जाए, कोई बीमार पड़ जाए तो बड़ी मुश्किल आती है।
त्यौहारों का सीजन आ चुका है। बाजारों में चहल-पहल बहुत बढ़ चुकी है और व्यापार में पूरी तरह से तेजी है लेकिन उससे ज्यादा तेजी और धक्का-मुक्की सड़कों पर है। ट्रैफिक बेतरतीब है और भीड़ ऐसे नजारा पेश करती है मानों कोई दशहरे का मेला हो। संभलना बहुत जरूरी है, सावधानी उससे ज्यादा जरूरी है। हादसों से बचने के लिए भगदड़ न मचे इसके लिए उपाय करना जरूरी है लेकिन सड़कों और बाजारों में मौजूदा स्थिति लगभग भगदड़ जैसी है। मैंने व्यक्तिगत रूप से नोटिस किया है कि सारी दिल्ली में लालबत्तियों पर एक नई परंपरा टू व्हीलर्स वालों ने जिनमें बाइकर और स्कूटी सवार शामिल हैं, ने बना ली है। उन्होंने रांग साइड पर गाड़ी लाकर लालबत्ती जंप करना शुरू कर दिया है। यह एक बहुत घातक पहल है। दुर्घटना होने के बाद सबक लेने का क्या फायदा जब जान ही चली जाए। इसलिए बात कर रही हूं कि सड़कों पर भीड़ बहुत ज्यादा है। इससे पहले कि बहुत देर हो जाए व्यवस्था कर लेनी चाहिए।
दिल्ली जो भारत की राजधानी है, की लालबत्तियों पर ट्रैफिक पुलिस चौबीसों घंटे नियुक्त करने का समय आ गया है। ट्रैफिक पुलिस को देखकर वाहन चालक अनुशासन का पालन करते हैं। हैलमेट तो लोगों ने पहनने छोड़ दिए हैं। सड़क हादसे बढ़ रहे हैं। ज्यादा सड़क हादसे रांग साईड आने से होते हैं। ज्यादा मौतें हैलमेट न पहनने वालों की होती हैं। डिलीवरी ब्वॉय जो विभिन्न बड़ी-बड़ी कंपनियों के प्रतिनििध और सेल्समैन हैं अकसर रांग साइड पर डिलीवरी तुरंत पहुंचाने के लिए चलते हैं। बड़े वाहनों से टकराकर वे हादसों का शिकार बन जाते हैं। ट्रैफिक हादसों के चलते पहले मुंबई और अब दिल्ली को हादसों का शहर कहा जाने लगा है।
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की रिपोर्ट चौंकाने वाली है। वर्ष 2023 की रोड एक्सीडेंट पर रिपोर्ट बताती है कि 1,7000 से ज्यादा लोगों ने सड़क हादसों में अपनी जान गंवाई। साल 2022 में हुए सड़क हादसों ने 1,68,491 लोगों को मौत की नींद सुला दिया। पिछले 5 सालों में रोड एक्सीडेंट में हुई मौतों का यह सबसे बड़ा आंकड़ा है। कहा जा रहा है कि देश में सड़क हादसों और मौतों की संख्या घटाने के लिए केंद्र सरकार अब आईआईटी इंजीनियरों की मदद लेगी। उनसे एक्सप्रैस-वे और नेशनल हाईवे का रोड सेफ्टी ऑडिट करवाकर सुझाव लेने की तैयारी है। मेरा मानना है कि भारत में चालकों को बेहतर प्रशिक्षण दिए जाने की जरूरत है। देश में बड़ी संख्या में ड्राइविंग स्कूल खोले जाएंगे। ऑडिट के जरिए ऐसे ब्लैक स्पॉट खत्म किए जाएंगे जहां दुर्घटना का खतरा रहता है। साथ ही लोगों को नियमों का पालन भी करना होगा।
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की रिपोर्ट कहती है, साल 2021 में हिट एंड रन की 57,415 घटनाएं हुईं, जिसमें 25,938 मौतें हुईं और 45,355 घायल हुए। साल 2022 में यह आंकड़ा और बढ़ गया। इस साल हिट एंड रन के 67,387 मामले आए। 30,486 लोगों की मौत हुई और 54,726 घायल हुए। सड़क दुर्घटनाओं के अलग-अलग मामलों में भी एक्सीडेंट और घायलों-मौतों की संख्या में बढ़ाैतरी हुई है। पिछले 5 सालों में सबसे ज्यादा सड़क हादसाें से होने वाली मौतें साल 2022 में हुईं। इस साल 1,68,491 लोगों ने दम तोड़ा। यह आंकड़ा साल दर साल बढ़ा है। 2021 में सामने से गाड़ियों की भिड़ंत के 76,304 मामले आए और 27,248 मौतें हुईं। 2022 में ग्राफ और ऊपर चढ़ा। 77,886 ऐसी दुर्घटनाएं घटीं और 26,413 लोगों ने दम तोड़ा। सिर्फ 2022 के आंकड़ों पर नजर डालें तो सबसे ज्यादा 21.4 फीसदी सड़क दुर्घटनाएं गाड़ियों के पिछले हिस्से में भिड़ंत के कारण हुई। 14.6 फीसदी हिट एंड रन के मामले सामने आए। वहीं, 15.4 फीसदी एक्सीडेंट साइड से हुई गाड़ियों की भिड़ंत के कारण हुए। आंकड़ों के मुताबिक, 2022 हो या 2021, सबसे ज्यादा एक्सीडेंट और मौतें नेशनल हाइवे पर हुई हैं। पिछले 5 सालों का आंकड़ा बताता है कि एक्सीडेंट से सबसे ज्यादा मौतें उत्तर प्रदेश में हुई हैं। दूसरे पायदान पर तमिलनाडु है। 2022 की रिपोर्ट के मुताबिक, मौतों के मामले में महाराष्ट्र तीसरे, मध्य प्रदेश चौथे और पांचवें पर कर्नाटक है। चंडीगढ़, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, सिक्किम उन राज्यों में शामिल हैं जहां एक्सीडेंट और इससे होने वाली मौतों की संख्या कम है। कुल मिलाकर रोड सेफ्टी के लिए लोगों को खुद ही पग उठाने होंगे। लालबत्ती पर रुकना सेफ्टी है और लालबत्ती पर जंप करना या रांग साइड आना मौत को खुल्ला निमंत्रण है। जब सड़क पर चलते हैं तो इस मंत्र को याद रखिए कि कोई घर पर आपका इंतजार कर रहा है। कहने वाले ने ठीक ही कहा है कि जान है तो जहान है, इसलिए सुरक्षा के लिए, जिंदा रहने के लिए सड़क िनयमों का पालन जरूर करें।