अब ममता दीदी भी बोलें...जय श्रीराम ! - Punjab Kesari
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अब ममता दीदी भी बोलें…जय श्रीराम !

मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम हिंदुस्तान और दुनिया के चप्पे-चप्पे में विद्यमान हैं। जीवन में सफलता-असफलता, मान-अपमान, यश-अपयश, लाभ-हानि सब

मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम हिंदुस्तान और दुनिया के चप्पे-चप्पे में विद्यमान हैं। जीवन में सफलता-असफलता, मान-अपमान, यश-अपयश, लाभ-हानि सब कुछ श्रीराम ही देते हैं। गोस्वामी तुलसीदास जी ने ठीक ही कहा है-
“होत वही जो राम रचि राखा’’ अर्थात दुनिया में जो कुछ भी होना है वह श्रीराम ने पहले से ही तय कर रखा है। सारे देश और दुनिया ने रामायण में श्रीराम को अच्छी तरह से पढ़ रखा है, समझ रखा है और यह बात हर इंसान जानता है कि श्रीराम कदम-कदम पर उसके साथ हैं। हमें यह समझ में नहीं आता कि पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी को जय श्रीराम के उद्घोष से क्या तकलीफ है। 
जय श्रीराम का उद्घोष आम आदमी लगाए, भाजपा वर्कर लगाए या कोई भी लगाए तो इसमें किसी को क्या दिक्कत है। श्रीराम का जयघोष और जय दुर्गा के उद्घोष रोकने की कीमत ममता बनर्जी को चुकानी पड़ी है। हाल ही में लोकसभा चुनावों में भाजपा ने पश्चिम बंगाल में 18 सीटें हासिल की हैं और ममता 22 पर सिमट गई हैं। आने वाले तीन महीने बाद जब वहां विधानसभा चुनाव होंगे तो ममता का बचना नामुमकिन है, क्योंकि दूसरी तरफ भाजपा के साथ श्रीराम हैं और जहां श्रीराम हैं वहां सब कुछ मुमकिन है। राजनीतिक दृष्टिकोण से भाजपा ने एक नारा भी दिया है कि पीएम मोदी है तो सब कुछ मुमकिन है। 
राजनीति में वार-तकरार और पलटवार चलते हैं लेकिन ममता बनर्जी ने श्रीराम को लेकर और उनके उद्घोष पर तीखी प्रतिक्रिया से खुद को उस जगह खड़ा कर लिया है जहां कभी ​​हिरण्यकश्यप था जो अपने आपको भगवान से ऊपर मानता था। उसने भगवान विष्णु जी को हरि-हरि कहकर याद करने वाले अपने बेटे प्रह्लाद की हत्या की कोशिशें कीं। परिणाम सबके सामने है। नृसिंह का अवतार हुआ और ​हिरण्यकश्यप का संहार हुआ। भगवान के खिलाफ जाने वाले का हश्र विनाश के साथ ही होता है। विनाश काले विपरीत बुद्धि अर्थात  जब बुरा समय आता है तो बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है। बंगाल की जमीन पर ममता बनर्जी के साथ भी यही हुआ। 
हर साल वहां दुर्गा पूजा होती है। मां दुर्गा को हम महालक्ष्मी, महासरस्वती और महाकाली के रूप में मानते हैं। हर साल नवरात्रों में मां दुर्गा की पूजा होती है। बंगाल में झांकियां निकलती हैं और मूर्तियां​ विसर्जित की जाती हैं। गुलाल खेलकर हम मां दुर्गा को याद करते हैं। सत्ता के मद में ममता बनर्जी ने दुर्गा पूजा रोककर वहां मोहर्रम पर ताजिया निकालने की इजाजत दी और परिणाम सबके सामने है। हिंदुस्तान में श्रीराम बोलना गुनाह नहीं। जय श्रीराम हमारा विश्वास और हमारी आस्था है। ममता ने इसे रोकने की कोशिश की और हिंदुत्व की संस्कृति के सामने ममता की बांग्ला संस्कृति टिक नहीं पाएगी। 
याद रखो श्रीराम हैं तो हम हैं, श्रीराम हैं तो सब हैं, श्रीराम हैं तो हिंदुस्तान है, हिंदुस्तान है तो बंगाल है वरना आज की तारीख में ममता के साथ जो कुछ हो रहा है उससे उनके विनाश की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है। ममता बनर्जी ने जब 2011 में वामपंथियों को सत्ता से बेदखल किया तो मां दुर्गा और श्रीराम की कृपा काम कर रही थी पर उनको अहंकार चढ़ गया और उन्होंने यही समझ लिया कि वह अपने दम पर आई हैं। 2014 के लोकसभा चुनावों में भाजपा ने श्रीराम की नाव पर सवार होकर बंगाल में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और आज समय देखिए श्रीराम की कृपा ऐसी हुई कि ममता का शासन डगमगाने लगा है। 
श्रीराम का नारा एक बहुत बड़ी ताकत है, एक बहुत शुभ शुरूआत है। आज भाजपा 303 पर पहुंची है तो जब पहली बार भाजपा ने श्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में सत्ता पाई तो श्रीराम के नारे से ही पाई। जब वाजपेयी सरकार एक वोट से गिर गई थी तो उन्होंने अपने बेबाक संबोधन में कहा था कि आप भले ही आज हम पर हंस लीजिए परन्तु एक दिन आएगा जब पूरे देश में कमल खिलेगा और भाजपा को प्रचंड बहुमत मिलेगा। श्री वाजपेयी की दूरदर्शिता का परिणाम आज भाजपा व विपक्ष के सामने है। जो श्रीराम का नहीं वह किसी का नहीं। ममता को यह समझ लेना चाहिए कि हिंदुओं के देश में बच्चा-बच्चा जय श्रीराम कहेगा। श्रीराम के सामने जय बांग्ला नहीं चलेगा।
आप जय श्रीराम का जवाब जय श्रीराम से ही दे सकते हैं। हिंदुस्तान में श्रीराम की आस्था का सूत्रपात हुआ है जो पूरी दुनिया तक व्यापक है। जिस अयोध्या में श्रीराम का जन्म हुआ वहां पर उनके मंदिर को लेकर कुछ लफड़े भी हुए लेकिन श्रीराम सब कुछ सही कर देंगे। मामला कोर्ट में है, उनका मंदिर बनेगा और बनकर रहेगा। यह बात सरकार और राम भक्त जानते हैं। बस न्यायपालिका की आज के सिस्टम में एक मोहर लगनी बाकी है। श्रीराम के खिलाफ या भगवान के खिलाफ जिसने आवाज उठाई वो उसके पतन की निशानी है। 
हमारे देश की विचारधारा श्रीराम की ही देन है। हम जो कुछ पा रहे हैं श्रीराम के दम पर ही पा रहे हैं। हमारे जीवन की शुरूआत, हमारे दिन की शुरूआत जय श्रीराम से आरंभ होती है और राम नाम सत्य है के साथ ही खत्म होती है। यह बात बंगाल की संस्कृति को सबसे बड़ी मानने वाली ममता बनर्जी को समझ लेनी चाहिए और स्वीकार कर लेना चाहिए कि श्रीराम ही सर्वस्व हैं और श्रीराम ही सर्वशक्तिमान हैं।

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