नवाज शरीफ को सजा : दोहराया इतिहास - Punjab Kesari
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नवाज शरीफ को सजा : दोहराया इतिहास

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पाकिस्तान में न्यायपालिका हमेशा से ही ऐसी नहीं रही कि उनसे ईमानदार न्याय की उम्मीद की जा सके। पड़ोसी देश की न्यायपालिका न्याय प्रदान करने की बजाय सत्तारूढ़ शख्सियतों की गुलामी करती रही चाहे वह सेना से हो या किसी राजनीतिक पार्टी से। नवम्बर 2007 तक न्यायपालिका का रिकार्ड बहुत ही शर्मनाक था। वह असक्षम और दब्बू भी थी और सैनिक शासकों को बिना सोचे-समझे मान्यता प्रदान कर देती थी। न्यायपालिका में परिवर्तन तब आया जब तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश इफ्तिखार चौधरी ने सैनिक शासक परवेज मुशर्रफ के सामने खड़े होने का हौसला दिखाया और यह सुनिश्चित किया कि मुशर्रफ सत्ता से बाहर चले जाएं। क्योंकि न्यायपालिका मुशर्रफ के लिए सिरदर्द बनती जा रही थी इसलिए सक्रिय न्यायाधीशों से छुटकारा पाने के लिए मुशर्रफ ने पाकिस्तान में आपात स्थिति की घोषणा कर दी, लेकिन इफ्तिखार चौधरी ने आपात स्थिति को असंवैधानिक और अवैध घोषित किया। यह पहला मौका था जब पाकिस्तान के इतिहास में आपातकाल को अवैध घोषित किया गया हो।

इफ्तिखार चौधरी के इस हौसले को जनसमर्थन मिला और लाखों लोग सड़कों पर उतर आए। परिणामस्वरूप बेनजीर भुट्टो और नवाज शरीफ की देश वापिसी हुई और फरवरी, 2008 में आम चुनाव हुए और मुशर्रफ सत्ता से बेदखल हो गए। आम चुनावों के दौरान बेनजीर भुट्टो की मौत हो चुकी थी। मुशर्रफ की जगह आसिफ जरदारी पाकिस्तान के राष्ट्रपति बने ले​िकन वह भी उन वरिष्ठ न्यायाधीशाें को बहाल करने के इच्छुक नहीं थे, जिन्हें मुशर्रफ ने 2007 में बर्खास्त किया था। जरदारी तो मिस्टर टैन परसैंट के नाम से मशहूर थे क्योंकि वह हर सरकारी अनुबंध देने की एवज में दस प्रतिशत रिश्वत लेते थे।

इतिहास बार-बार अपने काे दोहराता रहा। अब मुशर्रफ, जरदारी सब मुकद्दमों का सामना कर रहे हैं। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को भ्रष्टाचार विरोधी अदालत (नेशनल अकाउंटिबिलिटी) ने अल अजीजिया स्टील मिल्स मामले में 7 साल की सजा सुनाई है, हालांकि फ्लैगशिप इनवेस्टमैंट मामले में एक और अदालत ने नवाज शरीफ को बरी कर दिया है। इससे पहले जुलाई में एक अन्य मामले में कोर्ट ने नवाज शरीफ, उनकी बेटी और दामाद को सजा सुनाई थी और जेल भेज दिया था। नवाज की गैर-मौजूदगी में उनकी पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग ने शाहबाज शरीफ के नेतृत्व में आम चुनाव लड़े थे।

नवाज शरीफ को लग रहा था कि जेल में बंद होने के कारण पाकिस्तान की जनता की सहानुभूति मिलेगी लेकिन चुनावों में उनकी पार्टी को शिकस्त मिली। पूर्व क्रिकेटर इमरान खान पाक के हुक्मरान बन गए। इमरान खान की ताजपोशी के पीछे पाक सेना के जरनैलों की बड़ी भूमिका रही। पाकिस्तान के चुनाव परोक्ष रूप से सेना की छत्रछाया में ही हुए। इमरान ने पाक सेना में सांठगांठ कर सत्ता हासिल की। ऐसे में इस बात की उम्मीद नहीं की जा सकती कि पाक की न्यायपालिका सेना की छाया से मुक्त होगी। हालांकि इमरान खान के प्रधानमंत्री बनने के कुछ दिन बाद ही सितम्बर में इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने नवाज को जमानत पर रिहाई के आदेश दे दिए थे।

पाकिस्तान मुस्लिम लीग ने चेतावनी भी दी थी कि अगर उनके नेता नवाज शरीफ को जेल भेजा गया तो वह बड़े पैमाने पर प्रदर्शन करेगी और संसद भी नहीं चलने देगी। जिस मामले में नवाज को सजा सुनाई गई वह अल अजीजिया स्टील मिल्स से जुड़ा हुआ है। यह मिल नवाज शरीफ के पिता मियां मोहम्मद शरीफ ने 2001 में सऊदी अरब में स्थापित की थी, जिसका कामकाज नवाज शरीफ के बेटे हुसैन नवाज देख रहे थे। शरीफ परिवार की तरफ से दलील में कहा गया कि स्टील मिल लगाने के लिए कुछ पैसा सऊदी सरकार से लिया गया। नेशनल एकाउंटिबिलिटी ब्यूरो के वकीलों का कहना था कि शरीफ परिवार के दावे में किसी भी दस्तावेजी सबूत से साबित नहीं होता कि मिल के लिए रकम कहां से आई। हुसैन नवाज कहता था कि उन्हें अपने दादा से 50 लाख डालर से अधिक रकम मिली थी, जिससे मिल लगाई गई। उनके मुताबिक इस मिल के लिए अधिकतर पैसा कतर के शाही खानदान की ओर से आया। एनएबी ने आरोप लगाया कि मिल के असली मालिक नवाज शरीफ ही हैं न कि उनके बेटे। मामले की सुनवाई के दौरान एनएबी अधिकारी भी कोई दस्तावेजी सबूत देने में असमर्थ रहे।

नवाज शरीफ का परिवार कोर्ट में भ्रष्टाचार के कई मामलों का सामना कर रहा है इसमें मनी लांड्रिंग, टैक्स चोरी और विदेशों में संपत्ति छुपाने के मामले शामिल हैं। सितम्बर, 2017 से अब तक नवाज शरीफ को 165 बार अदालत में पेश किया जा चुका है और 28 जुलाई 2017 को पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने नवाज शरीफ को प्रधानमंत्री पद के अयोग्य ठहरा दिया गया था। पनामा पेपर्स में भी उनका नाम सामने आया था। पाकिस्तान में हमेशा ही लोकतंत्र सेना के बूटों के तले रौंदा गया है। नवाज शरीफ को सजा भी सेना के इशारे पर ही सुनाई गई लगती है ताकि इमरान खान कुछ समय तक निष्कंटक शासन कर सकें। पाकिस्तान के हालात ऐसे नहीं कि कोई लम्बे अर्से तक शासन कर सके। देखना है भविष्य में इतिहास कब अपने को दोहराता है।

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