मोरक्को : भूकंप की त्रासदी - Punjab Kesari
Girl in a jacket

मोरक्को : भूकंप की त्रासदी

जब भी प्रकृति अपना क्रोध दिखाती है तो कहर ढहाए बिना नहीं रहती। चांद और कई अन्य ग्रहों

जब भी प्रकृति अपना क्रोध दिखाती है तो कहर ढहाए बिना नहीं रहती। चांद और कई अन्य ग्रहों का छू लेने वाला विज्ञान भी प्राकृतिक आपदाताओं के सामने विवश है। पिछले कुछ वर्षों से प्रकृति के आक्रोश के खतरनाक मंजर देखने को मिल रहे हैं। भूकंप, सूनामी, बाढ़, तूफान आदि के रूप में प्रकृति मानव को अपनी चपेट में ले रही है। खौफनाक मंजर को देखकर ऐसा लगता है कि मनुष्य में प्राकृतिक आपदाताओं से संघर्ष करने का सामर्थ्य नहीं बचा है। भूकंप कब और कहां आएगा वैज्ञानिक इसका आज तक स्टीक उत्तर नहीं दे पाए। अफ्रीकी देश मोरक्को में आए भूकंप में 2000 से अधिक मौतें हो चुकी हैं और सैकड़ों लोग घायल हो चुके हैं। भूकंप का केन्द्र एटलस पर्वत के पास दूघिल नाम का गांव बताया जा रहा है जो यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल माराकेश से 70 किलोमीटर दूरी पर है। भूकंप की वजह से पलभर में इमारतें ध्वस्त हो गई और चोरों तरफ चीख-पुकार मच गई। जिस इलाके में भूकंप आया है वहां 120 साल बाद सबसे ताकतवर भूकंप है। 19 साल पहले भी मोरक्को में भूकंप ने कहर बरपाया था। 2004 में आए भूकंप में 628 लोगों की मौत हुई थी। तब हालात इस कदर बुरे थे कि तबाही के बीच लोग सड़कों पर प्रदर्शन करने को मजबूर थे। सरकार के ​खिलाफ प्रदर्शन करने वाले लोगों का कहना था कि उन्हें सरकार की तरफ से कोई मदद नहीं मिली। लोगों काे एम्बुलेंस तक नसीब नहीं हुई। 
मोरक्को का एक लम्बा इतिहास रहा है। मोरक्को अटलांटिक महासागर और भूमध्य सागर के साथ उत्तरी अफ्रीका में स्थित है। यह अल्जीरिया, स्पेन और पश्चिमी सहारा से घिरा हुआ है। विश्व के एक कोने में बसा यह देश यूरोप के करीब है।  1912 में मोरक्को-फ्रांस की संधि के साथ फ्रांस मोरक्को का संरक्षक बन गया। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद मोरक्को ने आजादी के लिए दबाव डालना शुरू किया और 1944 ईस्वीं में स्वतंत्रता के लिए आंदोलन का नेतृत्व करने के लिए इस्टिक्कल या स्वतंत्रता पार्टी बनाई गई थी। 1953 में संयुक्त राज्य अमेरिका के राज्य विभाग के अनुसार, लोकप्रिय सुल्तान मोहम्मद वी फ्रांस द्वारा निर्वासित किया गया था। उन्हें मोहम्मद बेन आराफा ने प्रतिस्थापित कर दिया था, जिसके कारण मोरक्कन लोगों ने आजादी के लिए और भी दबाव डाला। 1955 में मोहम्मद वी मोरक्को लौटने में सक्षम थे और 2 मार्च, 1956 को देश ने अपनी स्वतंत्रता प्राप्त की।
भारत में मोरक्को की पहचान खानाबदोश इब्नेबतूता से भी होती है। इब्नेबतूता मोरक्को का था जिसने 28 साल की उम्र में 75000 मील का सफर तय किया था। वह 1334 ई. में पहुंचा था, उस वक्त दिल्ली में सुलतान मोहम्मद बिन तुगलक का शासन था। तुगलक ने उसे 12000 दीनार के वेतन पर शहर का काजी नियुक्त किया था। बाद में घटनाक्रम बदला तो इब्नेबतूता को शक हो गया कि सुल्तान उसे मरवा देगा। उसके बाद इब्नेबतूता यहां से भाग गया। जहां तक भारत का संबंध है मोरक्को में लगभग 2000 भारतीय रहते हैं जिनमें से अधिकतर व्यापार करते हैं। कुछ भारतीय पर्यटन उद्योग से भी जुड़े हुए हैं। 1956 में भारत ने ही सबसे पहले मोरक्को को मान्यता प्रदान की थी। दोनों के संबंध इसलिए बने हुए हैं कि दोनों ही गुट निरपेक्ष आंदोलन के सदस्य रहे हैं। मोरक्को अफ्रीकी संघ और अरब लीग जैसे अंतर्राष्ट्रीय समूह का हिस्सा है। जिस अफ्रीकी संघ को जी-20 में भारत की पहल पर शामिल किया गया है। उस संघ का सदस्य मोरक्को भी है। मोरक्को की पहचान फुटबाल के लिए भी है। मोरक्को ने अपनी सेना के लिए 92 ट्रक भारत से ही खरीदे हैं। अपनी सेना को मजबूती देने के लिए मोरक्को ने भारत पर ही भरोसा किया। संकट की घड़ी में पूरी दुनिया का दायित्व है कि वह मानव की रक्षा के लिए आगे आए। इसलिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जी-20 सम्मेलन के अपने संबोधन में सबसे पहले मोरक्को में आए भूकंप में मारने वालों के प्रति संवेदना व्यक्त की और कहा कि इस कठिन समय में विश्व समुदाय मोरक्को के साथ है और उन्हें हम हर संभव सहायता देने के लिए तैयार हैं। 
भारत पूरे विश्व को अपना परिवार मानता है। इसलिए भारत हमेशा ही मानवता के कल्याण के लिए तत्पर रहता है। भारत ने प्राकृतिक आपदा प्रभावित देशों की हमेशा ही मदद की है। नेपाल का भूकंप हो या हैती का या तुर्की का भूकंप हो, भारत ने मानवता के नाते अपना फर्ज निभाया है। जी-20 में ब्रिटेन सहित सभी देशों ने मोरक्को की मदद का भरोसा दिया है। ऐसा भरोसा पाकर टूटा हुआ साहस पुनर्जीवित हो उठता है। दुख की घड़ी में ढांढस बंधाना मानवीय चरित्र भी है। प्राकृतिक आपदाएं संदेश देती हैं कि जब तक जियो प्रेम से जियो। प्रकृति का दोहन मत करो। प्रकृति के साथ-जीना सीखो और पर्यावरण का संतुलन बनाए रखो।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

three × four =

Girl in a jacket
पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।