केन्द्र में नरेन्द्र मोदी सरकार के 9 वर्ष पूरे होने के अवसर पर भारतीय जनता पार्टी ने आज से 30 जून तक चलने वाले देशव्यापी मेघा विशेष जनसम्पर्क अभियान शुरू कर दिया है। इस अभियान को अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनावों के मद्देनजर भाजपा की एक बड़ी कवायद के तौर पर देखा जा रहा है। इस दौरान भाजपा के दिग्गज नेता लोगों से संवाद कर उन्हें सरकार की उपलब्धियों के बारे में बताएंगे। 9 वर्ष के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू की गई योजनाओं और लिए गए साहसिक फैसलों के बारे में हर कोई जानता है लेकिन आज मैं मोदी शासन काल में देश की विदेश नीति और कूटनीतिक सफलताओं की चर्चा करना चाहूंगा। इसमें कोई संदेह नहीं कि मोदी सरकार ने राष्ट्रीय हितों को देखते हुए कड़े से कड़े फैसले लेने से भी परहेज नहीं किया। अक्सर यही कहा जाता है कि सरकारें बदलती रहती हैं लेकिन विदेश नीति नहीं बदलती। इस धारणा को मोदी सरकार ने काफी हद तक बदल डाला है। विदेश नीति को लेकर भारत जितना आक्रामक इस समय है उतना वह पहले कभी नहीं रहा। मोदी सरकार की सबसे बड़ी सफलता यूक्रेन-रूस युद्ध के दौरान हासिल की, जब उसने अमेरिका और उसके मित्र पश्चिमी देशों के दबाव के बावजूद स्वतंत्र फैसले लेने जारी रखे।
रूस हमारा जांचा-परखा मित्र है और भारत ने उससे गहरे संबंधों पर कोई आवरण डालने का प्रयास नहीं किया, बल्कि पूरी दुनिया का डटकर सामना किया। भारत-रूस मैत्री को अमेरिका सहित पूरी दुनिया जानती है। अमेरिका जानता है कि 1971 के युद्ध में जब उसने पाकिस्तान की मदद के लिए अपना जंगी बेड़ा भेजा था तब रूस ने भारत की मदद के लिए अपना युद्ध पोत भेज दिया था। अमेरिका तब पाकिस्तान के पाले में खड़ा था। रूस पर आर्थिक पाबंदियां लगाए जाने के बावजूद भारत ने राष्ट्रीय हितों को देखते हुए रूस से सस्ते में कच्चा तेल खरीदना जारी रखा जिससे भारत को न केवल फायदा हुआ बल्कि लोगों का जनजीवन भी सहज रहा। अमेरिका अब भारत का मित्र है लेकिन इसका अर्थ यह नहीं हैै कि हम उसके दबाव में अपने मित्र देश से संबंध बिगाड़ लें। किसी भी देश के साथ भारत को कैसे संबंध रखने हैं यह उसका सम्प्रभु अधिकार है। इसका फैसला अमेरिका और उसके दुमछल्ले देश नहीं कर सकते।
भारत के स्पष्ट स्टैंड से अमेरिका कुछ बोल नहीं पाया। भारत जहां चीन और रूस के साथ शंघाई सहयोग संगठन का सदस्य है। वहीं वह अमेरिका, जापान और आस्ट्रेलिया के साथ क्वाड का सदस्य है। 9 वर्षों के दौरान भारत ने हर देश के साथ अपने संबंधों का विस्तार किया। जी-20 की अध्यक्षता करना भारत की सबसे बड़ी उपलब्धि रही। जिसके साकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं। हर बड़े देश ने भारत के साथ व्यापारिक और रणनीतिक संबंध कायम कर लिए हैं।
जहां तक चीन का सवाल है भारत ने लगातार आक्रामक रवैया बनाए रखा है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर लगातार चीन से संबंधों को लेकर सख्त बयान दे रहे हैं। सीमा विवाद के चलते भारत ने चीन का कड़ा प्रतिरोध किया, जिसका अंदाजा चीन को भी नहीं था। भारत ने अपनी गूढ़ कूटनीति बरतते हुए डोकलाम हो या फिर गलवा घाटी के टकराव के बाद पूरी दुनिया में चीन का भांडाफोड़ कर रख दिया। आज चीन की छवि आतंकवाद समर्थक देश की बन गई है। चीन की भारत पर हमला करने की हिम्मत इसलिए नहीं पड़ रही कि अब वह महसूस करने लगा है कि भारत अब 2023 का भारत है। भारत से ज्यादा पंगा लेना उसे महंगा भी पड़ सकता है। कोरोना महामारी की उत्पत्ति को लेकर पूरी दुनिया में चीन की छवि बिगड़ चुकी है। खाड़ी देशों से भी भारत के संबंध काफी मधुर हैं। संयुक्त अरब अमीरात हो या फिर अन्य देश, भारत से उनका व्यापार बढ़ा है। जहां तक पाकिस्तान का संबंध है, उसकी क्या हालत है वह वहां का आवाम अच्छी तरह जानता है। राष्ट्रीय सुरक्षा को देखते हुए पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान के होश ठिकाने आ गए थे और अब पूरी दुनिया में अलग-थलग पड़ चुका है।
26 मई, 2014 को भारत के प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ लेने के साथ ही भारत की विदेश नीति में बड़े बदलाव भी पीएम मोदी ने शुरू कर दिए थे। उनकी उसी दूरदर्शिता का परिणाम है कि आज विदेशी मंचों पर भारत अपनी धाक जमा रहा है। पीएम मोदी जहां कहीं भी जाते हैं उनको जो सम्मान मिलता है व अद्भुत है। हाल ही की बात करें तो जी-7 समिट में भाग लेने के लिए पीएम मोदी जब जापान गए तो वहां ग्लोबल लीडर्स ने जितना उन्हें सम्मान दिया वह देखकर हर भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा हो गया। इसके बाद जब वो पापुआ न्यू गिनी पहुंचे तो वहां के पीएम प्रोटोकॉल तोड़कर उनका स्वागत करने के लिए एयरपोर्ट पहुंचे इसके साथ ही उन्होंने झुककर जब पीएम मोदी के पैर छुए तो विश्व इतिहास में ये पहली बार घटित हुई घटना बन गई जब किसी एक राष्ट्राध्यक्ष ने दूसरे देश के राष्ट्राध्यक्ष के पैर छुए हों। ये पीएम मोदी की लोकप्रियता को दिखाता है। मोदी शासन में विदेश नीति में इंडिया फर्स्ट को सर्वोपरि रखा।