शिक्षा से खिलवाड़ देश से गद्दारी - Punjab Kesari
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शिक्षा से खिलवाड़ देश से गद्दारी

फर्जीवाड़े से शिक्षा जगत में मचा हड़कंप, कौन है जिम्मेदार?

शिक्षा जगत में घपले-घोटाले के लिए एक के बाद एक चर्चा में रहे मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, बिहार, कर्नाटक, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल के बाद इस कड़ी में महाराष्ट्र का नाम भी जुड़ गया है। मैं तो हैरत में हूं कि हमारे प्रदेश में यह क्या हो रहा है? कौन है जिम्मेदार? कहां तो हम अपने प्रदेश में इस बात की चर्चा कर रहे हैं कि शिक्षा कैसे गुणवत्तापूर्ण हो और दूसरी ओर भर्ती में फर्जीवाड़ा और फर्जी शिक्षकों के नाम पर करोड़ों-करोड़ का वेतन घोटाला सामने आ रहा है? नागपुर संभाग में इस घोटाले की जांच-पड़ताल अभी शुरू हुई ही थी कि छत्रपति संभाजीनगर से खबरें आईं कि फर्जी सर्टिफिकेट के आधार पर पीएचडी प्राप्त करने के भी कई मामले सामने आए हैं। मुझे ध्यान है कि राज्यसभा में अपने कार्यकाल के दौरान मैंने कई बार पीएचडी घोटाले का मामला उठाया था और कहा था कि बड़े पैमाने पर थीसिस की चोरी करके पीएचडी की डिग्री ली जा रही है। यहां तो नामांकन के लिए भी फर्जी सर्टिफिकेट जमा किए जा रहे हैं, मैं तो सोच कर ही परेशान हूं कि फर्जी डॉक्यूमेंट वाला शिक्षक विद्यार्थियों को पढ़ाएगा क्या?

विश्वास नहीं होता कि नागपुर संभाग के 12 स्कूलों में 580 नियुक्तियां हुईं और स्कूल से लेकर शालेय शिक्षा विभाग और मंत्रालय में बैठे अधिकारियों को खबर नहीं लगी? बिल्कुल संक्षेप में बात करें तो अधिकारियों ने कुछ स्कूलों के प्रबंधन के साथ मिलीभगत करके शिक्षकों और कर्मचारियों के नाम पोर्टल पर फर्जी लॉगिन आईडी के माध्यम से दर्ज कराए। नियुक्ति पिछली तारीखों में दिखाई गई और एरियर के नाम पर करोड़ों-करोड़ रुपए का गबन हुआ। शायद यह सब चलता रहता लेकिन कुछ अधिकारियों को घोटाला समझ में आ गया और उन्होंने सहभागी होने से इन्कार कर दिया। वैसे इस घोटाले में कुछ बड़े नेताओं का भी हाथ है, जांच होगी तो नाम खुलेंगे। शिक्षा संचालनालय पुणे को इसकी भनक लगी तो 304 स्कूलों से 2019 से 2025 तक की अवधि में नियुक्त हुए शिक्षक व शिक्षकेतर कर्मचारियों की भर्ती रिपोर्ट मांगी गई। इनमें शिक्षकों की नियुक्ति का अप्रूवल, नियुक्ति की तारीख और मंजूरी के बारे में जानकारी देने के साथ ही वेतन देयक भी देने को कहा गया था।

इन स्कूलों ने 1056 नियुक्तियों की सूची तो भेज दी लेकिन विस्तृत जानकारी नहीं भेजी क्योंकि नियुक्तियां बाद में हुईं और वेतन पहले की तारीख से उठाया जा रहा था। फर्जीवाड़े में शामिल नागपुर शिक्षा विभाग के जिस अधिकारी नीलेश वाघमारे को निलंबित किया गया है, विभाग में उसका बड़ा जलवा रहा है। लोग कहते हैं वह मंत्रालय में अपने चाचा के होने की धौंस देता रहता था। क्या जांचकर्ता वास्तव में पता लगा पाएंगे कि वो चाचा है कौन? एक और गिरफ्तार अधिकारी नीलेश मेश्राम के बारे में जानकारी आ रही है कि वह खुद तीन स्कूलों का मालिक भी है। जांच होगी तो कई परतें खुलेंगी, फिलहाल इंतजार कीजिए। पृथ्वीराज चव्हाण के मुख्यमंत्रित्व काल में जब मेरे अनुज राजेंद्र दर्डा महाराष्ट्र के शिक्षा मंत्री थे तब उन्होंने बड़े पैमाने पर बोगस विद्यार्थियों के नाम पर चलने वाले स्कूलों का पर्दाफाश किया था। अभी मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के सचिव श्रीकर परदेशी तब नांदेड़ के कलेक्टर हुआ करते थे।

उन्होंने शिक्षा मंत्री राजेंद्र दर्डा के सामने एक प्रेजेंटेशन दिया जिसमें बताया गया था कि नांदेड़ के कुछ स्कूलों में जितने विद्यार्थियों के नाम हैं, उतने विद्यार्थी वहां हैं नहीं। राजेंद्र दर्डा ने मंत्रिमंडल की बैठक में जानकारी दी कि पूरे प्रदेश के स्कूलों की जांच के लिए वे एक सघन अभियान चलाने जा रहे हैं। तत्कालीन उपमुख्यमंत्री अजित पवार और अन्य मंत्रियों ने सहमति दी। यह महत्वपूर्ण था क्योंकि कई स्कूल बड़े दिग्गजों के थे या उनके लोगों के थे। राजेंद्र दर्डा ने परदेशी और दो अन्य अधिकारियों की टीम बनाई, तीन दिनों का देश का सबसे बड़ा जांच अभियान रंग लाया। उस समय शासन की सूची में 2 करोड़ 18 लाख विद्यार्थियों के नाम थे लेकिन जांच के दौरान 12 लाख विद्यार्थी मिले ही नहीं। मिलते भी कैसे? सारे फर्जी नाम थे, जरा सोचिए कि उन 12 लाख विद्यार्थियों के लिए शिक्षक, किताबें, कापियां, मिड-डे-मील और दूसरी जरूरी सुविधाओं के नाम पर करोड़ों की लूट हो रही थी।

आंकलन है कि राजेंद्र दर्डा के उस अभियान से शासन को सालाना करीब 100 करोड़ रुपए की बचत हुई थी। एक बात बहुत स्पष्ट है कि जब से शिक्षकों के लिए वेतनमान आया और अनुदान प्राप्त स्कूल के शिक्षकों को सरकारी वेतन मिलने लगा तब से घोटाले ज्यादा प्रबल हुए हैं। नीचे से ऊपर तक के लोग शामिल हैं। टैक्स पेयर्स के पैसे की बंदरबांट हो रही है। मुझे हैरत होती है कि यह सब हमारे देश में चल रहा है जहां शिक्षा को पवित्र कार्य माना गया है लेकिन अब तो स्कूलों और कॉलेजों के लिए प्रतिष्ठान शब्द का उपयोग किया जा रहा है यानी इसे व्यवसाय मानने वालों की कमी नहीं है। आप जानकर आश्चर्यचकित हो जाएंगे कि शिक्षा के कई ऐसे सौदागर हैं जिनके बड़े-बड़े शहरों में सौ-सौ करोड़ की कीमत वाले कई फ्लैट्स हैं। एक बात ध्यान रखिए कि शिक्षा से बड़ी दीक्षा समाज और कुछ नहीं दे सकता।

जब हम गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की परिस्थितियों का निर्माण करेंगे तभी गुणवत्तापूर्ण विद्यार्थी और शिक्षक तैयार कर पाएंगे, तभी विश्व में हम कह सकेंगे कि रामायण हमारी है, गीता हमारी है, रामायण, गीता और महाभारत पर दुनियाभर के विश्वविद्यालय अध्ययन कर रहे हैं और हम खोखले हुए जा रहे हैं। आप कुछ मत दीजिए, बस शिक्षा दीजिए। किसी गरीब परिवार में एक बच्चा पढ़ जाता है तो पूरे घर को बदल देता है। शिक्षा ही एकमात्र ऐसी चीज है जिसमें बदलाव की क्षमता है। मैंने करोड़पतियों को कंगाल होते देखा है लेकिन जिसके पास शिक्षा है उसे फर्श से अर्श तक का सफर करते देखा है। मेरी नजर में शिक्षा से खिलवाड़ खुद से भी गद्दारी है और देश-दुनिया से भी गद्दारी है, मुझे भरोसा है कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस इन गद्दारों को न्याय के तराजू तक जरूर ले जाएंगे। उनके साथ सचिव परदेशी भी हैं जिन्हें गद्दारों को दबोचने का पुराना अनुभव है।

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