सरकार के दो हैल्थ बिल - Punjab Kesari
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सरकार के दो हैल्थ बिल

केन्द्र सरकार ने संसद के मानसून सत्र में हंगामे के बीच सोमवार को दो हैल्थ ​बिल नैशनल डैंटल

केन्द्र सरकार ने संसद के मानसून सत्र में हंगामे के बीच सोमवार को दो हैल्थ ​बिल नैशनल डैंटल कमीशन बिल और नैशनल नर्सिंग और मिडवाइफरी कमीशन बिल पेश ​किये। डैंटिस्ट एक्ट 1948 में बना था। जबकि नर्सिंग और मिडवाइफरी नियामक 1947 में संसद के अ​धिनियम द्वारा स्थापित किया गया एक निकाय है। इन दोनों कानूनों में कई तरह की खामियां और जटिलताएं देेखी गई हैं। कानूनों में बदलाव एक लगातार चलने वाली प्रक्रिया है। समय के साथ-साथ कानूनों में सुधार किए जाते रहे हैं। ऐसा जरूरी भी है। मोदी सरकार ने न केवल पुराने कई कानूनों और नियमों को समाप्त किया है​ बल्कि कई कानूनों  में बदलाव किए गए। नैशनल डैंटल कमीशन बिल 2023 डैंटिस्ट एक्ट को खत्म करने और इसकी जगह एक नया कमीशन बनाने की सिफारिश करता है। इस विधेयक के पारित होते ही भारत में लम्बे समय से काम कर रही डैंटल कौंसिल ऑफ इंडिया खत्म हो जाएगी। विधेयक पारित होने से बहुत फायदे होंगे।
डैंटल कमीशन की संरचना राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग की तरह होगी। इस बिल का उद्देश्य डैंटल एजुकेशन को किफायती बनाना और ओरल हैल्थकेयर को सुलभ बनाना है। इस बिल का काम डैंटिस्ट्री और डैंटिस्टों के बीच में तालमेल बनाने के साथ ही इन्हें रेगुलेट करने की व्यवस्था करना है। एनडीसी को प्रभावी, कुशल और तुरंत निर्णय लेने के मकसद से बनाया गया है। डैंटल कमीशन 33 सदस्यीय होगा। इसमें 1 चेयरपर्सन, 8 एक्स ऑफिस मेंबर्स और 24 पार्ट टाइम सदस्य होंगे। कमीशन या बोर्ड के सभी सदस्यों का कार्यकाल 4 साल होगा। जबकि डैंटल काउंसिल ऑफ इंडिया में हर राज्य का एक नॉमिनी होता है। स्टेट काउंसिल और विश्वविद्यालयों में भी ऐसा ही होता है। इन नॉमिनीज के अलावा कें​द्रीय गवर्नर का भी एक नॉमिनी होता है।
निजी डैंटल कॉलेजों में 50 फीसदी सीटों पर फीस स्ट्रक्चर को रेगुलेट करने की व्यवस्था की जाएगी। एक्सीडेंट के मामलों में भी डैंटिस्ट्री या डैंटल हैल्थकेयर को तत्काल जोड़ने की प्रकिया पर भी इस बिल में प्रावधान किया गया है। भारत में लोग डैंटिस्ट में करियर बनाने से बचते हैं क्योंकि इस सैक्टर में जॉब के पर्याप्त मौके नहीं हैं। लोग इतना पैसा खर्च करने के बाद 10,000 रुपये से 20,000 रुपये पर काम कर रहे हैं और पास होने के बाद उन्हें कोई नौकरी नहीं मिल रही है। हमारी 95 प्रतिशत आबादी डैंटल समस्याओं से पीड़ित है, बावजूद इसके देश में डैंटिस्टों के लिए बेस्ट ऑप्शन नहीं है। ऐसे में इस बिल के आने से डैंटल एजुकेशन को बढ़ावा मिलेगा।
इसके साथ ही बहुप्रशिक्षित राष्ट्रीय नर्सिंग एवं मिडवाइफरी आयोग विधेयक पेश किया गया। इसे 2020 में भी पेश किया गया। संसदीय मामलों में अक्सर सदस्यों के बीच बहुत से भिन्न हित शामिल होते हैं जिससे महत्वपूर्ण बिलों के पास होने में देरी होती है। नैशनल मैडिकल कमीशन बिल को भी इस तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ा था, जिसे 2017 में अपनी प्रारम्भिक प्रस्तुति के बाद पारित होने में काफी समय लगा था। राष्ट्रीय नर्सिंग और ​िमडवाइफरी आयोग ​िवधेयक को भी अपनी यात्रा में ऐसी ही बाधाओं का सामना करना पड़ा है।
वर्तमान भारतीय नर्सिंग परिषद जटिल नर्सिंग पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने में विफल है। नर्सिंग शिक्षा और अभ्यास में शामिल विविध हितधारकों और विशिष्ट संस्थाओं को समायोजित करने के लिए राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के समान एक व्यापक ढांचे की स्थापना आवश्यक है। मौजूदा भारतीय नर्सिंग परिषद अधिनियम में नर्स प्रैक्टिशनर्स और नर्सिंग प्रैक्टिस के डॉक्टरों जैसी उभरती नर्सिंग शाखाओं के लिए अभ्यास के दायरे के संबंध में प्रावधानों का अभाव है। डॉक्टर ऑफ नर्सिंग प्रैक्टिस जैसे पायलट कार्यक्रमों को सफलतापूर्वक लागू करने के लिए, मजबूत निरीक्षण, एक शैक्षिक ढांचा, एक अन्तर्राष्ट्रीय  स्तर पर मानकीकृत पाठ्यक्रम और अभ्यास का स्पष्ट रूप से परिभाषित दायरा अनिवार्य है।
राष्ट्रीय नर्सिंग और मिडवाइफरी आयोग की स्थापना से नर्सों के लिए अभ्यास का दायरा और बढ़ेगा और नर्सिंग पेशे के कई आयामों में व्यापक सुधारों को बढ़ावा मिलेगा। इस कानून में नर्सिंग पेशे को ऊपर उठाने, शिक्षा और अभ्यास की गुुणवत्ता बढ़ाने और स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली में उन्नत नर्सिंग भूमिकाओं को एकीकृत करने की क्षमता है। यह आयोग नर्सिंग शिक्षा को अन्तर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बनाएगा। यह आयोग एक मजबूत ढांचा तैयार कर सकता है। जो नर्सों, रोगियों और समग्र रूप से स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र को काफी लाभ पहुंचाएगा।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com

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