केरल देश और विदेश के पर्यटकों का आकर्षक गंतव्य बना हुआ है। पूर्व का वेनिस कहे जाने वाला यह राज्य अपनी असीम प्राकृतिक सुंदरता के लिए लोकप्रिय है। नारियल के पेड़ों से होकर गुजरती नौकाएं सैलानियों को आनंद प्रदान करती हैं। यहां का सादगी भरा जीवन सबको अपना बना लेता है। केरल के दर्शनीय स्थल पहाड़ी इलाकों में हैं। बादलों को स्पर्श करते ऊंचे-ऊंचे पहाड़ आपको ऐसा अहसास कराएंगे कि जैसे हाथ उठाते ही बादल आपकी मुट्ठी में आ गए हैं। केरल के पर्यटक स्थल हरियाली से हरे-भरे हैं। प्रकृति और मानव निर्मित साधनों का हर जगह मिश्रण नजर आता है। लेकिन केरल में हुए हाऊस बोट हादसे में 22 लोगों की मौत ने पर्यटकों की सुरक्षा को लेकर बहुत सारे सवाल खड़े कर दिए हैं। मरने वालों में 15 बच्चे भी शामिल हैं। यह सभी लोग छुट्टियां मनाने के लिए आए हुए थे। यह एक ऐसी त्रासदी है जो होने की प्रतीक्षा कर रही थी। तनूर नगरपालिका के पुरपुझा मुहाने में हाऊस बोट पलटने के कारणों का खुलासा हुआ है। हाऊस बोट अपनी क्षमता से दो गुणा पर्यटकों को ले जा रहा था। शाम के बाद हाऊसबोट के संचालन की अनुमति नहीं दी जाती। जहां तक कि मछली पकड़ने वाला नावों को भी शाम के बाद संचालन की अनुमति नहीं है लेकिन हादसे का शिकार हुई हाऊसबोट शाम के बाद पर्यटकों को कैसे ले जा रही थी। स्पष्ट है कि इस मामले में नियमों का उल्लंघन हुआ है।
अंधेरे में चल रही नाव खतरे से खाली नहीं होती। हाऊसबोट डूबने से मारे गए पर्यटकों के परिवारों में तो मातम छाया ही हुआ है लेकिन इससे केरल जाने वाले पर्यटकों में भी खौफ छा गया है। यद्यपि केरल सरकार ने हादसे की जांच के आदेश दे दिए हैं और हाऊसबोट के मालिक को भी गिरफ्तार कर लिया गया है। मृतकों के परिवारों को मुआवजे की घोषणा भी कर दी गई है लेकिन कोई भी आर्थिक सहायता पीडि़त परिवारों की पीड़ा को दूर नहीं कर पाएगी। हादसे में एक ही परिवार के 11 सदस्यों की मौत हुई। 68 वर्षीय बुजुर्ग रूकिया की आंखों से आंसू थम नहीं रहे जिसने 8 पोते-पोितयों समेत परिवार के 11 सदस्यों को खो दिया है। एक माह पहले ही अंतर्राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन विशेषज्ञ मुरली थुम्मा रुकुड़ी ने ऐसी हाऊसबोट त्रासदियों की चेेतावनी जारी की थी।
चेेतावनी नोट में चालक दल के प्रशिक्षण में कमी, सुरक्षा सामग्री जैसे लाइफ जैकेट, पर्यटकों की ऑनबोर्ड ब्रीफिंग की कमी और प्रचालन लाइसेंसों में अनियमितता का उल्लेख किया था। केरल में इससे पहले भी दिल दहला देने वाले नाव हादसे हो चुके हैं। इन हादसों में सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है। 30 सितम्बर 2009 को थेक्कड़ी में नाव हादसा हुआ था। एक डबल डेक्कर ट्रैवल बोट मुल्ला पेरियार डैम में लगभग 100 मीटर गहरे पानी में डूब गई थी। इस हादसे में 45 पर्यटकों की मौत हो गई थी। मृतकों में ज्यादातर दिल्ली और कलकत्ता के लोग शामिल थे। इस घटना की जांच के बाद पता चला था कि यह नाव ओवरलोड थी। नाव की अधिकतम क्षमता 70 थी जबकि उस पर 87 लोग सवार थे और यात्रियों में से किसी को भी सुरक्षा उपायों की जानकारी नहीं दी गई थी। इस हादसे के बाद जल परिवहन को विनियमित करने के लिए एक समुद्री बोर्ड के गठन की सिफारिश की गई थी। केरल मैरी टाइम बोर्ड का गठन 2017 में बंदरगाह निदेशालय, केरल राज्य समुद्री विकास निगम और केरल मैरी टाइम सोसायटी ने मिलकर किया था। थेक्कड़ी नाव दुर्घटना के मामले में जांच में देरी हुई। हादसे के 10 वर्ष बाद दूसरी चार्जशीट दायर की गई। ट्रायल अभी शुरू भी नहीं हुआ है। स्पष्ट है कि प्रशासन ने पूर्व के हादसों से कुछ नहीं सीखा। पर्यटकों के जीवन से लंबे समय से खिलवाड़ चल रहा है।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार केरल के कई जलमार्गों में 3213 अंतर्देशीय जहाज संचालन में हैं लेकिन कहा जा रहा है कि यह आंकड़ा 4000 के ऊपर है। इनमें बिना लाइसैंस वाले जहाज भी शामिल हैं। हाऊसबोट सहित केरल के सभी पर्यटक जहाजों की फिटनेस लाइसैंसिंग और सुनिश्चित संचालन करने की जिम्मेदारी समुद्री बोर्ड के पास है लेकिन उसके पास न तो पर्याप्त जनशक्ति है और न ही इस दिशा में कुछ करने की इच्छाशक्ति, लाइसैंस नवीनीकरण को चकमा देकर संचालित जहाजों को पकड़ने के लिए कोई विंग नहीं है। जलमार्गों से भरे इस राज्य में नाव पर्यटक की अपार संभावनाएं हैं लेकिन इसके फायदों को हासिल करने के लिए पर्यटकों की सुरक्षा की सर्वोच्च प्राथमिकता नहीं दी जा रही। नाव दुर्घटनाएं केरल में ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और अन्य राज्यों में भी होती रही है लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे। जर्जर नावें भी संचालित की जा रही हैं। नौका की फिटनैस भी ठीक नहीं होने की वजह से उनके पटरे टूट जाते हैं। सिस्टम लापरवाह इसलिए हैं क्योंकि हर जगह चौथ वसूली जारी है। केरल सरकार को चाहिए कि पर्यटकों के परिवारों को दुख के सागर में डूबने देने की बजाय सिस्टम में सुधार करे और पर्यटकों का जीवन सुरक्षित बनाने के लिए ठोस कदम उठाएं।
आदित्य नारायण चोपड़ा
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