कश्मीरियों को आगे आना होगा... - Punjab Kesari
Girl in a jacket

कश्मीरियों को आगे आना होगा…

हम सब जानते हैं कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के हटने के बाद हालातों में तेजी से सुुधार

हम सब जानते हैं कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के हटने के बाद हालातों में तेजी से सुुधार हुआ। पीएम स्पेशल पैकेज के तहत जरूरतमंद कश्मीरियों को हर प्रकार की सहायता मिली और साथ-साथ दूसरे राज्यों से कई लोगों को कश्मीर में नौकरियां मिलीं। उनकी अच्छी पोस्ट पर नियुक्ति भी हुई। जिसके तहत कश्मीर में हालात सुधरने लगे। यात्रियों का, पर्यटन को बढ़ावा ​मिलने लगा, जिसका सीधा फायदा कश्मीरियों को हुआ। रोजगार बढ़ने लगे, युवाओं का काम की तरफ रुझान शुरू हो गया। मेरे बहुत जानने वाले कश्मीर में सैर करने के लिए गए। कइयों ने तो मुझे भी चलने को कहा, मन तो बहुत करता है क्योंकि वहां से मेरे जीवन की अश्विनी जी के साथ बहुत यादें जुड़ी हैं। जितने भी लोग वहां गए सबने यही कहा कि वहां के लोग बहुत खुश हैं। चाहे वो मुस्लिम हों या हिन्दू। एक टैक्सी वाले ने और एक शिकारगाह वाले (जो मुस्लिम) ने कहा कि हम तो मोदी जी के बहुत शुक्रगुजार हैं। अब पर्यटक आने शुरू हो गए और हमारे दिन अब सामान्य हो रहे हैं। इससे पहले तो हमें रोटी के लाले पड़ रहे थे। तब दो वक्त की रोटी की भी समस्या पैदा हो गई थी। अनुच्छेद 370 के हटने के बाद मुश्किल से कश्मीर के हालात सुधरे हैं।
अब क्योंकि बाहरी ताकतें और कुछ उग्रवादी संगठनों को कश्मीर में शांति या कश्मीर की तरक्की मंजूर नहीं, न उन्हें मंजूर है कि वहां हिन्दू स्थापित हों। खास करके कश्मीरी पंडित। मैं पंडित परिवार से हूं और ऐसे बहुत से परिवारों को जानती हूं जिनकी जान कश्मीर में बसी है। हो भी क्यों न, कन्याकुमारी से लेकर कश्मीर तक हम सभी भारतीयों के लिए धरती एक है। हमारा देश है जो हमें दिलोजान से प्यारा है और हमें पूरा हक है हम देश के किसी भी कोने में बसें। मैंने अक्सर अनुपम खैर की मां दुलारी खैर की तड़प को देखा है, अपने घर को देखने की वहां रहने की यह तो एक नाम है, ऐसे कई नाम हैं।
परन्तु अब पहले युवा भट्ट को मारना, फिर टीवी आर्टिस्ट अमरीन फिर शिक्षिका रजनी बाला की हत्या आतंकवादियों की कायरता की निशानी है, जो निहत्थी महिलाओं और हिन्दुओं पर वार कर रहे हैं। यह इंसान हो ही नहीं सकते। दूसरा वो बाहर के लोगों के हाथों खेल रहे हैं। इस समय जरूरत है हर कश्मीरी को मजबूती से आगे आने की। यह बात जिनके परिवारों के लोग गए उन्हें बहुत बुरी और अटपटी लगेगी क्योंकि कहने और सुनने और सहने में बहुत अंतर है, क्योंकि हम इस बात के साक्षी हैं जब पंजाब में आतंकवाद चरम पर था, हमारे परिवार के दो स्तम्भों की निर्मम हत्या की गई क्योंकि पंजाब में उनकी बहुत अहमियत थी। लोगों में दहशत पैदा की गई थी। हिन्दू पंजाब छोड़ जाएं तब अश्विनी जी ने कलम सम्भाली थी और अपने ​पिता और दादा की तरह कलम की धार को तेज करते हुए लिखा था कि अगर आतंकवादी यह सोचते हैं कि उन्होंने लालाजी, रमेश जी की हत्या कर पंजाब को दहशत में डाल दिया है और हिन्दू पलायन कर जाएंगे सोच गलत है। हम यहीं डटे हैं, यहीं डटे रहेंगे और हमारा सारा परिवार वहीं डटा रहा। अभी दिल्ली अखबार शुरू हो चुका था हमें दिल्ली-जालंधर बहुत यात्रा करनी पड़ रही थी, परन्तु पूरे परिवार ने एकजुट होकर कलम से वहां रहकर मुकाबला किया यहां तक कि दिल्ली में हमें बहुत समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था। एक तो दिल्ली वालों को आतंकवाद की उस समय समझ नहीं थी। यहां तक कि हमें किराये पर घर देने को तैयार नहीं थे, क्योंकि हमारे साथ सिक्योरिटी थी। आदित्य को स्कूल में दाखिला नहीं मिला था, क्योंकि उसके साथ सिक्योरिटी थी। अन्य बच्चों को खतरा था। एक-एक कदम पर हमारे लिए चुनौतियां थीं। यहां तक की अश्विनी जी की बहन की शादी में सिर्फ मैंने और सासु मां ने की, अश्वनी जी उनका भाई व चाचा जी ही शामिल हो सके। न भाई न और कोई शामिल हो सका। परन्तु हमारे परिवार के कारण हिन्दुओं में हौसला था। फिर धीरे-धीरे सिख लोग भी आतंकवादियों की चाल समझ गए तो वो साथ उठ खड़े हुए, उनके साथ देने से ही पंजाब में अमन-चैन स्थापित हुआ। 
इस तरह हर कश्मीरियों से यह प्रार्थना है वो भी आतंकवादियों की चाल को समझें, आगे आएं और सरकार को सहयोग करें। चाहे वो हिन्दू हो या मुस्लिम या कश्मीरी पंडित। खासकर के हर कश्मीरी को यह समझना चाहिए कि अगर डर से हिन्दू समुदाय के लोग कश्मीर से पलायन करते हैं तो कश्मीर के हालात फिर से बिगड़ जाएंगे। न पर्यटक आएंगे और न ही विकास के काम होंगे। याद करें वो दिन जब कश्मीर घाटी आतंकवादियों के कब्जे में थी तब कश्मीरियों को दो वक्त की रोटी भी मुश्किल थी। कश्मीरियों को यह समझना होगा कि घाटी में हिन्दू लोग और कश्मीरी पंडित रहेंगे तभी खुशहाली होगी। क्योंकि जम्मू-कश्मीर की मुख्य आय पर्यटकों से है। अगर हिन्दुओं का पलायन हो गया तो यात्री भी नहीं आएंगे तो वहां के रहने वालों की रोजी-रोटी कैसे चलेगी। यात्री आते हैं तो होटल भरते हैं। लोग कश्मीरी शालें, ड्राइफ्रूट, फल खरीदते हैं। शिकारों में रहते हैं, डल झील आबाद रहती है। कई लोगों को रोजगार मिलता है। कुछ साल पहले जब कश्मीर का बुरा हाल था तो मेरी एक मित्र ने मेरे पास एक शाल वाले को भेजा कि इसे कुछ मिल जाएगा तो इसका घर और इससे जुड़े कई लोगों का घर बस जाएगा। अब वो नहीं आ रहा कि उसका व्यवसाय वहीं पर पर्यटकों के आने से चल पड़ा है।
इस समय सबकी सुरक्षा की जिम्मेवारी सरकार की है और जैसे शुुक्रवार से गृहमंत्री अमित शाह जी, एलजी मनोज सिन्हा एनएसए डोभाल, आर्मी चीफ मनोज पांडे के साथ मिटिंग चल रही है। मुझे पूरी उम्मीद है इसका हल निकलेगा। जम्मू-कश्मीर में आतंकी कश्मीरी पंडित, गैर कश्मीरी पंडित, गैर कश्मीरी हिन्दुओं और वतन परस्त मुस्लिमों की हत्याएं कर रहे है। उन पर जरूर शिकंजा कसा जाएगा और क्रूर आतंकवादी बढ़ नहीं पाएंगे। हर बुरी चीज का अंत अवश्य है। समय बदलता है, जरूर बदलेगा,  आतंकवादियों को कश्मीर से भागना पड़ेगा, परन्तु इस सबके के ​लिए हर कश्मीरी को सहयोग देना होगा, आगे आना होगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

thirteen − 4 =

Girl in a jacket
पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।